Edited By Anu Malhotra,Updated: 24 Jun, 2025 08:27 AM

भारतीय क्रिकेट को एक और गहरा झटका लगा है। टीम इंडिया के पूर्व अनुभवी स्पिनर दिलीप दोशी का लंदन में निधन हो गया है। इस खबर के सामने आते ही पूरे खेल जगत में शोक की लहर दौड़ गई। बीसीसीआई ने एक भावुक पोस्ट साझा कर उनके निधन पर गहरा दुख जताया। बोर्ड ने...
नेशनल डेस्क: भारतीय क्रिकेट को एक और गहरा झटका लगा है। टीम इंडिया के पूर्व अनुभवी स्पिनर दिलीप दोशी का लंदन में निधन हो गया है। इस खबर के सामने आते ही पूरे खेल जगत में शोक की लहर दौड़ गई। बीसीसीआई ने एक भावुक पोस्ट साझा कर उनके निधन पर गहरा दुख जताया। बोर्ड ने कहा कि दिलीप दोशी न केवल एक शानदार गेंदबाज़ थे, बल्कि भारतीय क्रिकेट की एक मजबूत विरासत भी थे, जिन्होंने अपने प्रदर्शन से मैदान पर अपनी अलग छाप छोड़ी।
BCCI ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल पर लिखा, “हम भारत के पूर्व स्पिनर दिलीप दोशी के दुखद निधन पर शोक व्यक्त करते हैं। उनका लंदन में देहांत हो गया। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे।” इस श्रद्धांजलि के साथ कई दिग्गज क्रिकेटरों और प्रशंसकों ने भी उन्हें सोशल मीडिया पर याद किया।
दिलीप दोशी ने भारतीय टीम के लिए उस दौर में क्रिकेट खेला जब स्पिन गेंदबाज़ी को एक बौद्धिक युद्ध कहा जाता था। 32 साल की उम्र में उन्होंने भारत के लिए टेस्ट डेब्यू किया, जो उस समय काफी देर से माना जाता था, लेकिन उनके प्रदर्शन में कभी उम्र आड़े नहीं आई। उनका गेंदबाज़ी एक्शन और रणनीति उस जमाने में विरोधी बल्लेबाज़ों के लिए चुनौती बना रहता था। उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में 33 मैचों में 114 विकेट लिए और वनडे में भी उन्होंने भारत के लिए शानदार गेंदबाज़ी की।
क्रिकेट से आगे बढ़कर वे एक चिंतक और विचारशील खिलाड़ी के रूप में जाने जाते थे। उन्होंने अपनी आत्मकथा ‘स्पिन पंच’ में न सिर्फ अपने खेल के अनुभव साझा किए, बल्कि क्रिकेट प्रशासन और व्यक्तिगत संघर्षों पर भी खुलकर लिखा। 1981 में मेलबर्न टेस्ट में उनका प्रदर्शन आज भी याद किया जाता है, जिसे भारत ने ऐतिहासिक तरीके से जीता था।
दिलीप दोशी सिर्फ एक क्रिकेटर नहीं, बल्कि एक संवेदनशील और बहुआयामी व्यक्तित्व थे। उनका जीवन क्रिकेट तक सीमित नहीं था। म्यूजिक और कलात्मकता से उनका गहरा लगाव था। मशहूर रॉकस्टार मिक जैगर के साथ उनकी गहरी दोस्ती ने भी कई बार सुर्खियां बटोरीं। उनके बेटे नयन दोशी ने भी सौराष्ट्र और सरे के लिए खेलकर इस क्रिकेट परंपरा को आगे बढ़ाया।