घाटे में आया देश का ये बड़ा बैंक, फर्जीवाड़े और लेखांकन गड़बड़ियों ने बढ़ाई मुश्किलें, ग्राहक रहे अलर्ट

Edited By Anu Malhotra,Updated: 22 May, 2025 10:10 AM

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इंडसइंड बैंक को अपनी स्थापना के बाद पहली बार किसी तिमाही में इतना बड़ा झटका लगा है। वित्त वर्ष 2025 की अंतिम तिमाही (जनवरी से मार्च) में बैंक को ₹2,236 करोड़ का भारी घाटा हुआ है, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में उसे ₹2,347 करोड़ का मुनाफा हुआ था। यह...

नई दिल्ली: इंडसइंड बैंक को अपनी स्थापना के बाद पहली बार किसी तिमाही में इतना बड़ा झटका लगा है। वित्त वर्ष 2025 की अंतिम तिमाही (जनवरी से मार्च) में बैंक को ₹2,236 करोड़ का भारी घाटा हुआ है, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में उसे ₹2,347 करोड़ का मुनाफा हुआ था। यह घाटा बैंक के लिए पिछले 18 सालों में पहला है और इसकी मुख्य वजह रही – बैंक के भीतर हुआ वित्तीय फर्जीवाड़ा और लेखांकन में गंभीर खामियां।

क्या हुआ बैंक में?
पिछले कुछ महीनों से बैंक के आंतरिक ऑडिट में बार-बार सामने आ रही विसंगतियों ने अंततः तिमाही नतीजों को झकझोर दिया। सबसे बड़ा खुलासा हुआ डेरिवेटिव ट्रेडों के गलत लेखांकन का, जिससे बैंक को लगभग ₹1,966 करोड़ का नुकसान हुआ। इसके अलावा माइक्रोफाइनेंस पोर्टफोलियो में भी गलत तरीके से ब्याज आय को दर्ज किए जाने की बात सामने आई, जिससे ₹684 करोड़ की राशि गलत तरीके से तिमाही आय में जोड़ी गई थी। इस गड़बड़ी को जनवरी में रिवर्स कर दिया गया।

टॉप मैनेजमेंट में उथल-पुथल
इन वित्तीय अनियमितताओं के चलते बैंक के सीईओ सुमंत कठपालिया और डिप्टी सीईओ अरुण खुराना को इस्तीफा देना पड़ा। बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के चेयरमैन सुनील मेहता ने माना कि संस्थान से चूक हुई है और उन्होंने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने भरोसा दिलाया कि बैंक इन खामियों को सुधारने के लिए प्रतिबद्ध है।

निवेशकों की चिंता बढ़ी
बैंक ने तिमाही परिणामों में सभी विसंगतियों के प्रभाव को सम्मिलित करते हुए कहा कि अब ध्यान पारदर्शिता बहाल करने और निवेशकों के विश्वास को लौटाने पर है। इसके लिए बैंक ने PricewaterhouseCoopers (PwC) को आंतरिक लेखा प्रक्रिया की जांच के लिए नियुक्त किया है। PwC की रिपोर्ट के अनुसार, 30 जून, 2024 तक बैंक पर लगभग ₹1,979 करोड़ का नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका है।

आगे की राह
अब जब नियामकीय एजेंसियों की निगरानी और सख्त होने की संभावना है, इंडसइंड बैंक पर भरोसे की बहाली और शासन प्रणाली में सुधार का भारी दबाव है। आने वाले महीनों में बैंक को पारदर्शिता, जवाबदेही और आंतरिक नियंत्रण में मजबूती लानी होगी, ताकि इस ऐतिहासिक घाटे से उबरने की राह बनाई जा सके।

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