Edited By Anu Malhotra,Updated: 10 Nov, 2025 02:53 PM

भारत के बैंकिंग क्षेत्र में एक और बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। केंद्र सरकार अब छोटे-छोटे सरकारी बैंकों को एक साथ मिलाकर बड़े, सक्षम और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बैंक बनाने की दिशा में काम कर रही है। प्राइवेटाइजेशन की राह पर चलने के बाद सरकार...
नेशनल डेस्क: भारत के बैंकिंग क्षेत्र में एक और बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। केंद्र सरकार अब छोटे-छोटे सरकारी बैंकों को एक साथ मिलाकर बड़े, सक्षम और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बैंक बनाने की दिशा में काम कर रही है। प्राइवेटाइजेशन की राह पर चलने के बाद सरकार अब “बैंक मर्जर मॉडल” को फिर से सक्रिय करने जा रही है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संकेत दिए हैं कि भारत को अब “वर्ल्ड-क्लास बैंकिंग सिस्टम” की जरूरत है। इस दिशा में सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के बीच उच्चस्तरीय बातचीत चल रही है। लक्ष्य है— छोटे बैंकों को समेकित कर कुछ ऐसे बड़े बैंक तैयार करना जो वैश्विक स्तर पर टॉप 100 बैंकों में जगह बना सकें।
सिर्फ 4 सरकारी बैंक रह सकते हैं देश में
फिलहाल देश में कुल 12 सरकारी बैंक हैं। सूत्रों के मुताबिक, सरकार इनकी संख्या घटाकर केवल 4 प्रमुख बैंक रखने की योजना बना रही है। इनमें शामिल होंगे—
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स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI)
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पंजाब नेशनल बैंक (PNB)
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केनरा बैंक (Canara Bank)
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बैंक ऑफ बड़ौदा (Bank of Baroda)
बाकी छोटे और मध्यम आकार के सरकारी बैंकों का विलय इन्हीं चार दिग्गज बैंकों में किया जा सकता है।
किन बैंकों का हो सकता है विलय
सरकार की योजना के मुताबिक, निम्नलिखित बैंकों का मर्जर बड़े बैंकों में किया जा सकता है—
सूत्रों की मानें तो यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन बैंक को मिलाकर देश का दूसरा सबसे बड़ा सरकारी बैंक बनाया जा सकता है — जो आकार और संपत्ति दोनों में एसबीआई के बाद सबसे बड़ा होगा।
मर्जर से किस पर पड़ेगा असर
बैंकों के इस पुनर्गठन का असर करोड़ों ग्राहकों और लगभग 2.3 लाख कर्मचारियों पर पड़ने वाला है।
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कर्मचारियों के लिए चुनौती:
सरकार ने भले ही नौकरी सुरक्षा का आश्वासन दिया हो, लेकिन शाखाओं के विलय से कई शाखाएं बंद हो सकती हैं। प्रमोशन, ट्रांसफर और इन्क्रीमेंट पर असर पड़ेगा।
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ग्राहकों पर असर:
खाताधारकों को नई पासबुक, चेकबुक और अकाउंट नंबर मिल सकते हैं। हालांकि, एफडी, लोन या ब्याज दरों पर कोई तत्काल प्रभाव नहीं होगा।
मर्जर के फायदे और चुनौतियां
फायदे:
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बड़े बैंक वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनेंगे।
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पूंजी और ऋण वितरण क्षमता में बढ़ोतरी होगी।
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संचालन खर्च घटेगा और बैंकिंग सेवाएं बेहतर होंगी।
चुनौतियां:
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ट्रांजिशन के दौरान तकनीकी और प्रशासनिक दिक्कतें।
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शाखा समेकन से ग्रामीण इलाकों में पहुंच घटने का खतरा।
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कर्मचारियों में असंतोष और ट्रांसफर से जुड़ी परेशानियां।