मां ने अपने 9 महीने के बच्चे को गर्म सलाखों से दागा, फिर बताई सारी बात... वजह जान आपके भी उड़ जाएंगे होश

Edited By Updated: 11 Nov, 2025 09:36 PM

mother burns her 9 month old baby with hot iron rods

राजस्थान के भीलवाड़ा से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। यहां एक मां ने अंधविश्वास के चलते अपने ही 9 महीने के मासूम बेटे को गर्म सलाखों से दाग दिया। निमोनिया से पीड़ित बच्चे की हालत अचानक बिगड़ गई और इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।

नेशनल डेस्क: राजस्थान के भीलवाड़ा से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। यहां एक मां ने अंधविश्वास के चलते अपने ही 9 महीने के मासूम बेटे को गर्म सलाखों से दाग दिया। निमोनिया से पीड़ित बच्चे की हालत अचानक बिगड़ गई और इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।

क्या है पूरा मामला?

भीलवाड़ा के सदर थाना क्षेत्र के इरांस गांव में रहने वाली एक महिला ने अपने 9 महीने के बेटे को सर्दी-जुकाम और निमोनिया होने पर किसी के कहने पर गर्म सलाखों से दाग दिया। इससे बच्चे की तबीयत गंभीर हो गई। परिजन उसे तुरंत महात्मा गांधी अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां तीन दिन तक इलाज चला, लेकिन रविवार दोपहर मासूम ने दम तोड़ दिया।

पुलिस ने मां के खिलाफ दर्ज किया मामला

सदर थाना प्रभारी कैलाश विश्नोई ने बताया कि बच्चे की मौत के बाद पुलिस ने मां के खिलाफ जेजे एक्ट और भारतीय न्याय संहिता की धाराओं में मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया। थाना प्रभारी ने कहा कि पिता के घर आने पर मां-बाप के बीच इस घटना को लेकर विवाद हुआ था, जिसके बाद महिला ने अपनी गलती पर पछतावा भी जताया। उन्होंने साफ कहा- “अपराधी चाहे मां ही क्यों न हो, कार्रवाई जरूर की जाएगी।”

अस्पताल प्रशासन की अपील: अंधविश्वास से बचें

महात्मा गांधी अस्पताल के पीएमओ डॉ. अरुण गौड़ ने बताया कि बच्चे को निमोनिया था, लेकिन परिजनों ने यह मान लिया कि गर्म सलाखों से दागने से वह ठीक हो जाएगा। इसके बजाय बच्चे की हालत और खराब हो गई और उसकी मौत हो गई। डॉ. गौड़ ने लोगों से अपील की-“अगर बच्चों को बुखार या सांस की तकलीफ हो, तो तुरंत अस्पताल पहुंचें। अंधविश्वास के झांसे में आने से जान जा सकती है।”

इकलौते बेटे की मौत से टूटा परिवार

जानकारी के मुताबिक, मृत बच्चा अपने माता-पिता की इकलौती संतान था। पूरे गांव में इस घटना के बाद मातम का माहौल है। यह घटना एक बार फिर चेतावनी देती है कि बीमारियों के इलाज में अंधविश्वास नहीं, विज्ञान और डॉक्टरों पर भरोसा जरूरी है।

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