गाड़ी पूरी उलट गई थी, बचने की कोई उम्मीद नहीं थी: ओडिशा ट्रेन हादसे के चश्मदीद गवाह की दर्दनाक आपबीती

Edited By Anu Malhotra,Updated: 03 Jun, 2023 03:38 PM

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ओडिशा के बालासोर जिले में शुक्रवार को हुए भीषण ट्रेन हादसे के कारण जमीन में धंस गए डिब्बे को शनिवार को क्रेन और बुलडोजर की मदद से ऊपर लाने की कोशिश की गई। यह आखिरी डिब्बा है, जिस तक बचावकर्ता अभी तक पहुंच नहीं पाए हैं। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

नेशनल डेस्क:  ओडिशा के बालासोर जिले में शुक्रवार को हुए भीषण ट्रेन हादसे के कारण जमीन में धंस गए डिब्बे को शनिवार को क्रेन और बुलडोजर की मदद से ऊपर लाने की कोशिश की गई। यह आखिरी डिब्बा है, जिस तक बचावकर्ता अभी तक पहुंच नहीं पाए हैं। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। ओडिशा के बालासोर जिले में शुक्रवार शाम कोरोमंडल एक्सप्रेस और बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस ट्रेन के पटरी से उतरने और एक मालगाड़ी से टकराने से जुड़े रेल हादसे में मृतक संख्या शनिवार को बढ़कर 280 से अधिक हो गई और इस हादसे में 900 से अधिक यात्री घायल हुए हैं। अधिकारियों ने बताया कि ट्रेन का एक डिब्बा एक अन्य ट्रेन के डिब्बे के उसके ऊपर गिरने के कारण धंस गया है और उसे निकाले जाने के बाद मृतक संख्या बढ़ने की आशंका है। इस बीच कुछ चश्मदीदों ने दिल दहला देने वाली आपबीत सुनाई। 

बचने की कोई उम्मीद नहीं थी
 बालासोर में दुर्घटनाग्रस्त हुई ट्रेन में यात्रा कर रहे एक व्यक्ति ने आपबीती सुनाते हुए कहा कि मैं S1 डिब्बे में था। बचने की कोई उम्मीद नहीं थी, गाड़ी पूरी उलट गई थी। मैं बिहार का रहने वाला हूं और चेन्नई जा रहा था। मैं चेन्नई में एक कपड़ा दुकान में काम करता हूं।
 
एक स्थानीय ने बताया, "हमारे यहां से दो लोग नितिन राय और चंदन राय कोरोमंडल एक्सप्रेस से यात्रा कर रहे थे। हमें जब रेल दुर्घटना की खबर मिली तब हमने फोन किया, उस समय नितिन का फोन ऑन था। एक अन्य व्यक्ति ने फोन उठाकर बताया कि नितिन की दुर्घटनास्थल पर मृत्यु हो चुकी है। दुर्घटना के बाद से चंदन राय से कोई संपर्क नहीं हो पाया है।"

हमें बचने की उम्मीद नहीं थी
वहीं इस हादसे में बालासोर रेल दुर्घटना में बालीघाट पुरवापारा ग्राम पंचायत क्षेत्र के धनगरा के एक निवासी की मृत्यु हो गई।  मृतक की मां ने कहा, "मेरे बेटे की कल बालासोर रेल दुर्घटना में मृत्यु हो गई। वह चेन्नई जाने के लिए घर से निकला था। उसकी उम्र 26 साल थी, उसके दो बच्चे थे, उनके सिर से पिता का साया उठ गया। 

उधर, एक ही परिवार के तीन सदस्य सुरक्षित जब अपने घर लौटे तो उन्होंने बताया, "हम खड़गपुर से चेन्नई जा रहे थे। बालासोर के पास ही हमें एक झटका लगा और लोग एक-दूसरे के ऊपर गिरने लगे। हमें समझ नहीं आया कि क्या हो रहा है, हमें बचने की उम्मीद नहीं थी।"
 

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