Ahmedabad plane crash: जलकर राख हो गए शव, लेकिन नहीं मिटा इंसानी शरीर का यह हिस्सा – जानिए क्यों!

Edited By Updated: 16 Jun, 2025 11:16 AM

plane crash in ahmedabadeverything was burnt but human teeth did not melt

अहमदाबाद में हुए भीषण विमान हादसे ने देश को झकझोर कर रख दिया। एयर इंडिया की फ्लाइट AI171 महज टेकऑफ के 5 मिनट बाद ही दुर्घटनाग्रस्त हो गई और भयानक आग ने विमान को जलाकर खाक कर दिया। हादसे में 241 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई, लेकिन इस दिल दहला देने वाली...

नेशनल डेस्क: अहमदाबाद में हुए भीषण विमान हादसे ने देश को झकझोर कर रख दिया। एयर इंडिया की फ्लाइट AI171 महज टेकऑफ के 5 मिनट बाद ही दुर्घटनाग्रस्त हो गई और भयानक आग ने विमान को जलाकर खाक कर दिया। हादसे में 241 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई, लेकिन इस दिल दहला देने वाली घटना के बीच एक बेहद अहम और वैज्ञानिक तथ्य भी सामने आया—शव जलकर पूरी तरह राख हो गए, मगर इंसान के दांत सलामत रह गए।

 1000°C की आग में भी क्यों नहीं जले दांत?
इस रहस्य से पर्दा उठाते हुए वरिष्ठ फॉरेंसिक विशेषज्ञ डॉ. बीएन मिश्रा ने बताया कि इंसानी दांत कैल्शियम फॉस्फेट और कैल्शियम कार्बोनेट से बने होते हैं, जो फॉस्फेट ग्रुप का हिस्सा हैं। ये तत्व अत्यंत उच्च तापमान—यहां तक कि 1000 डिग्री सेल्सियस तक—भी सहन कर सकते हैं। ऐसे में जब शरीर का बाकी हिस्सा जलकर नष्ट हो गया, दांत फिर भी अपनी बनावट में टिके रहे।

 फॉरेंसिक जांच में अहम सुराग बनते हैं दांत
हादसे के बाद जब शव पहचान के लायक नहीं बचे, तब इन बचे हुए दांतों और कुछ हड्डियों के अवशेष ने पहचान की प्रक्रिया को संभव बनाया। फॉरेंसिक टीम ने इनका उपयोग करके डीएनए सैंपलिंग और डेंटल रिकॉर्ड मिलान जैसे तरीकों से पीड़ितों की पहचान की।

 ब्लैक बॉक्स के साथ-साथ दांत भी बने सबूत
हाल ही में दुर्घटनाग्रस्त विमान का दूसरा ब्लैक बॉक्स यानी कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर भी मलबे से बरामद कर लिया गया। इससे हादसे के तकनीकी कारणों का पता लगाने में मदद मिलेगी, लेकिन मानव अवशेषों की पहचान में सबसे विश्वसनीय कड़ी बनकर उभरे दांत।

DNA परीक्षण से शवों की पहचान
हादसे में अधिकांश शव बुरी तरह जल गए थे, जिससे उनकी पहचान करना कठिन हो गया था। अधिकारियों ने डीएनए परीक्षण के माध्यम से शवों की पहचान शुरू की है। अब तक 32 शवों की पहचान की जा चुकी है, और 14 शवों को उनके परिजनों को सौंपा जा चुका है। हालांकि, कई परिवारों ने पहचान प्रक्रिया में हो रही देरी पर चिंता जताई है। 
 
जांच में अंतरराष्ट्रीय सहयोग
इस हादसे की गंभीरता को देखते हुए, भारत सरकार ने विमानन सुरक्षा एजेंसियों से जांच में सहयोग लिया है। अमेरिका की नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड (NTSB) और ब्रिटेन की एयर एक्सीडेंट्स इन्वेस्टिगेशन ब्रांच (AAIB) ने भी अपनी टीम भेजी है। बोइंग कंपनी ने भी अपनी तकनीकी टीम को जांच में सहायता के लिए भेजा है।

 एकमात्र जीवित यात्री की कहानी
रमेश विश्वास कुमार, जो सीट 11A पर बैठे थे, इस हादसे में चमत्कारिक रूप से जीवित बच गए। वह आपातकालीन निकासी द्वार के पास बैठे थे, जिससे उन्हें बाहर निकलने का अवसर मिला। उनके अनुसार, विमान में उड़ान भरने के कुछ ही समय बाद बिजली चली गई थी, और कुछ समय बाद विमान में कंपन महसूस हुआ। इसके बाद, विमान के इंजन में विस्फोट हुआ और विमान में आग लग गई। रमेश ने भागकर एक खुली जगह पर जाकर जान बचाई। 

हादसे के कारणों की जांच जारी
विमानन विशेषज्ञों का मानना है कि हादसा तकनीकी खराबी, पायलट की गलती, या अन्य कारणों से हो सकता है। हालांकि, जांच एजेंसियों ने अभी तक साजिश या विस्फोट के कोई ठोस सबूत नहीं मिलने की बात कही है। गुजरात के आतंकवाद निरोधक दस्ते (ATS) ने भी समानांतर जांच शुरू की है और मलबे से डिजिटल वीडियो रिकॉर्डर (DVR) सहित अन्य सबूत जुटाए हैं।
 

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