Edited By Anu Malhotra,Updated: 24 May, 2025 07:51 AM

भारतीय स्वास्थ्य व्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाली दवाओं की गुणवत्ता को लेकर एक बार फिर चिंता बढ़ गई है। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) की अप्रैल 2025 की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि देशभर से लिए गए करीब 3000 दवा सैंपलों में से 196 सैंपल...
नई दिल्ली: भारतीय स्वास्थ्य व्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाली दवाओं की गुणवत्ता को लेकर एक बार फिर चिंता बढ़ गई है। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) की अप्रैल 2025 की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि देशभर से लिए गए करीब 3000 दवा सैंपलों में से 196 सैंपल गुणवत्ता मानकों पर खरे नहीं उतरे। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि बिहार से लिया गया एक सैंपल नकली पाया गया है।
CDSCO हर महीने विभिन्न राज्यों से दवाओं के नमूने इकट्ठा करता है और उनकी गुणवत्ता की जांच करता है। इस बार की जांच में 60 नमूने केंद्रीय प्रयोगशाला में और 136 नमूने राज्य प्रयोगशालाओं में परीक्षण के दौरान असफल पाए गए। ये सैंपल 'नॉट ऑफ स्टैंडर्ड क्वालिटी' (NSQ) श्रेणी में रखे गए हैं, जिसका मतलब है कि ये पूरी तरह हानिकारक नहीं हैं, लेकिन इनमें जरूरी गुणवत्ता मानकों की कमी पाई गई है।
कौन-कौन सी दवाएं हुईं फेल?
गुणवत्ता में असफल पाई गई दवाओं में पैरासिटामोल 500mg, ग्लिमेपिराइड (डायबिटीज के लिए), टेल्मिसर्टन (हाई ब्लड प्रेशर), मेट्रोनिडाजोल (इंफेक्शन के लिए), शेल्कल 500, पैन डी और सेपोडेम XP 50 ड्राई सस्पेंशन जैसी आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं शामिल हैं। ये दवाएं रोजमर्रा की बीमारियों में दी जाती हैं, जिससे इस रिपोर्ट के मायने और भी गंभीर हो जाते हैं।
बड़ी फार्मा कंपनियों पर सवाल
रिपोर्ट के अनुसार, इन दवाओं का निर्माण देश की कई जानी-मानी कंपनियों जैसे हिंदुस्तान एंटीबायोटिक्स लिमिटेड, अल्केम हेल्थ साइंस, हेटेरो ड्रग्स और कर्नाटक एंटीबायोटिक्स ने किया था। खासतौर पर हिमाचल प्रदेश में बनी 57 दवाएं इस लिस्ट में शामिल हैं, जिससे वहां की फार्मा इकाइयों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठने लगे हैं।
स्वास्थ्य के लिए खतरा
ऐसी दवाएं जो मानकों पर खरी नहीं उतरतीं, न केवल इलाज को बेअसर बनाती हैं, बल्कि मरीजों के लिए अतिरिक्त स्वास्थ्य जोखिम भी पैदा करती हैं। कभी-कभी इनके सेवन से गंभीर साइड इफेक्ट्स तक हो सकते हैं। गौरतलब है कि 2014 में बिहार में एक सबस्टैंडर्ड दवा के कारण एक मरीज की मौत हो गई थी, जिसके बाद कई कंपनियों पर कार्रवाई की गई थी।
CDSCO ने फेल सैंपल वाले बैच को बाजार से हटाने और संबंधित कंपनियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करने के निर्देश दिए हैं। यह कदम देश की दवा सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत बनाने की दिशा में अहम साबित हो सकता है।