Edited By Rohini Oberoi,Updated: 23 Dec, 2025 01:34 PM

महाराष्ट्र के ठाणे जिले की एक अदालत ने अपनी सौतेली मां की हत्या के आरोपी 24 वर्षीय व्यक्ति को बरी करते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष परिस्थितिजन्य सबूतों की पूरी कड़ी जोड़ने में नाकाम रहा। प्रधान जिला और सत्र न्यायाधीश एस बी अग्रवाल ने शाहनवाज यूनुस...
नेशनल डेस्क। महाराष्ट्र के ठाणे जिले की एक अदालत ने अपनी सौतेली मां की हत्या के आरोपी 24 वर्षीय व्यक्ति को बरी करते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष परिस्थितिजन्य सबूतों की पूरी कड़ी जोड़ने में नाकाम रहा। प्रधान जिला और सत्र न्यायाधीश एस बी अग्रवाल ने शाहनवाज यूनुस अंसारी को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत लगाए गए आरोपों से बरी कर दिया।
यह आदेश 18 दिसंबर को पारित किया गया और इसकी एक प्रति मंगलवार को उपलब्ध करायी गयी। अभियोजन पक्ष के अनुसार अंसारी ने कथित तौर पर 28 और 29 मई 2020 की दरमियानी रात को साकेत-कालवा पुल के पास अपनी सौतेली मां रेशमा खातून की हत्या कर दी थी। उसने बताया कि रेशमा द्वारा अंसारी और उसके भाई-बहन को परेशान करना तथा 90,000 रुपये का कर्ज न चुकाना इस अपराध का कारण बना।
न्यायाधीश एस बी अग्रवाल ने अभियोजन पक्ष की दलीलों में अहम कमियों और विरोधाभासों को उजागर किया और मृतका के भाई की गवाही को अविश्वसनीय बताया। अदालत ने यह देखते हुए सीसीटीवी सबूतों को भी खारिज कर दिया कि सत्यापन करने वाले टेक्नीशियन ने यह माना कि उसने सिर्फ पुलिस द्वारा तैयार किए गए दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर किए थे।
उसने कहा कि पांच गवाहों ने अस्पष्ट गवाही दी या यह माना कि उन्होंने पुलिस थानों में कागजों पर हस्ताक्षर किए थे। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष परिस्थितिजन्य सबूतों के आधार पर दोषसिद्धि के लिए कानूनी मानक को पूरा नहीं कर सका।