वक्त रहते हो जाइए सावधान! भविष्य की ये 5 तकनीकें बन सकती हैं आजादी की दुश्मन

Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 27 May, 2025 03:34 PM

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तकनीक की तरक्की ने इंसान की जिंदगी को जहां पहले से ज्यादा आसान बनाया है वहीं इसका दूसरा चेहरा अब डराने लगा है। कुछ ऐसी नई तकनीकें हैं जो अगर गलत हाथों में चली गईं तो इंसान की आज़ादी, गोपनीयता और यहां तक कि लोकतंत्र के लिए भी खतरा बन सकती हैं।

नेशनल डेस्क: तकनीक की तरक्की ने इंसान की जिंदगी को जहां पहले से ज्यादा आसान बनाया है वहीं इसका दूसरा चेहरा अब डराने लगा है। कुछ ऐसी नई तकनीकें हैं जो अगर गलत हाथों में चली गईं तो इंसान की आज़ादी, गोपनीयता और यहां तक कि लोकतंत्र के लिए भी खतरा बन सकती हैं। आइए जानते हैं उन 5 तकनीकों के बारे में जिनसे भविष्य में इंसानियत को सबसे ज्यादा खतरा हो सकता है।

1. चेहरा पहचानने वाली तकनीक: पहचान नहीं निजता पर हमला

फेसियल रिकग्निशन यानी चेहरे की पहचान करने वाली तकनीक को पहले सुरक्षा के लिए एक क्रांतिकारी खोज माना गया था। एयरपोर्ट, मोबाइल अनलॉकिंग और सीसीटीवी कैमरों में इसका खूब इस्तेमाल हो रहा है। लेकिन आज ये तकनीक निजी आज़ादी के लिए खतरा बनती जा रही है। चीन में इसका इस्तेमाल खासतौर पर उइगर मुस्लिमों की निगरानी के लिए किया जाता है। रूस में भी सरकार सड़कों पर लगे कैमरों से 'संदिग्धों' की ट्रैकिंग करती है। यह तकनीक व्यक्ति के हावभाव, बायोमेट्रिक पहचान और चेहरे के हरेक भाव को रिकॉर्ड करती है। ऐसे में अगर सरकारें या अपराधी संगठन इसका गलत इस्तेमाल करें तो किसी भी नागरिक की निजता पूरी तरह खत्म हो सकती है।

2. स्मार्ट ड्रोन: आसमान से मौत का फरमान

ड्रोन का इस्तेमाल पहले तक केवल शादी-ब्याह की फोटोग्राफी या मनोरंजन तक सीमित था लेकिन अब यह युद्ध के मैदान में जानलेवा हथियार बन चुका है। स्मार्ट ड्रोन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से खुद से निर्णय ले सकते हैं और निशाना साध सकते हैं। इनका इस्तेमाल सैन्य अभियानों में तो फायदेमंद है लेकिन अगर तकनीकी गड़बड़ी हो जाए या यह तकनीक आतंकी संगठनों के हाथ लग जाए तो यह निर्दोष लोगों की जान ले सकती है। कल्पना कीजिए एक ऐसा ड्रोन जो किसी नेता, अफसर या आम नागरिक पर हमला कर दे और उसे नियंत्रित करने वाला कोई न हो।

3. डीपफेक और एआई क्लोनिंग: झूठ को सच बनाने वाली तकनीक

अब आवाज की नकल करना या किसी का नकली वीडियो बनाना पहले से कहीं आसान हो गया है। डीपफेक तकनीक किसी व्यक्ति की पुरानी तस्वीरों और कुछ सेकंड की आवाज से एक ऐसा वीडियो तैयार कर सकती है जो पूरी तरह नकली हो लेकिन असली जैसा लगे। राजनीति में इससे अफवाहें उड़ाई जा सकती हैं, किसी नेता या सेलिब्रिटी की छवि खराब की जा सकती है। आम लोगों को ब्लैकमेल करने और गलत मामलों में फंसाने में भी इसका दुरुपयोग किया जा सकता है। एआई क्लोनिंग भी इसी तरह से किसी की पहचान चुराकर फर्जीवाड़ा करने की सुविधा देती है।

4. फेक न्यूज बॉट्स: लोकतंत्र पर सबसे बड़ा खतरा

आज के दौर में सोशल मीडिया पर सच और झूठ में फर्क करना मुश्किल हो गया है। AI सिस्टम जैसे GROVER केवल एक हेडलाइन पढ़कर पूरी फर्जी खबर बना सकता है जो असली जैसी लगती है। OpenAI और अन्य संस्थाएं पहले ही इस तकनीक को बनाकर रख चुकी हैं लेकिन इसका दुरुपयोग रोकने के लिए कोड सार्वजनिक नहीं किया गया। अगर यह तकनीक गलत हाथों में चली गई तो चुनावों को प्रभावित करने, धार्मिक दंगे भड़काने और सरकारों को अस्थिर करने जैसे काम आसानी से हो सकते हैं। इससे समाज में अविश्वास और भ्रम की स्थिति बन सकती है।

5. स्मार्ट डस्ट: जासूसी की अदृश्य दुनिया

स्मार्ट डस्ट यानी माइक्रो इलेक्ट्रोमैकेनिकल सिस्टम्स (MEMS) इतनी छोटी डिवाइसेज होती हैं जो नमक के कण जैसी दिखती हैं। इनमें सेंसर, कैमरा और कम्युनिकेशन सिस्टम लगे होते हैं जो लगातार डेटा रिकॉर्ड कर सकते हैं। स्वास्थ्य सेवाओं और निगरानी में इसका उपयोग सही हो सकता है लेकिन अगर इसका इस्तेमाल जासूसी, निगरानी और लोगों की गोपनीयता में दखल देने के लिए हुआ तो यह गंभीर खतरा बन सकता है। कल्पना कीजिए आपके घर या ऑफिस में कोई नजर नहीं आ रही डिवाइस आपकी हर हरकत रिकॉर्ड कर रही हो।

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