आज रात दिखेगा अद्भुत नज़ारा, आसमान में चमकेगा खून जैसे लाल रंग वाला 'बक मून', जानें इसके पीछे की रहस्यमयी कहानी

Edited By Updated: 10 Jul, 2025 02:46 PM

today the blood red  buck moon  will shine in the sky

गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर आज यानि की 10 जुलाई को आसमान में 'बक मून' दिखाई देगा। यह सामान्य पूर्णिमा के चाँद से थोड़ा अलग और ज़्यादा चमकीला होता है। बक मून हर साल जुलाई महीने की पूर्णिमा को दिखाई देता है और इससे कई दिलचस्प मान्यताएं और एक अनोखी...

नेशनल डेस्क: गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर आज यानि की 10 जुलाई को आसमान में 'बक मून' दिखाई देगा। यह सामान्य पूर्णिमा के चाँद से थोड़ा अलग और ज़्यादा चमकीला होता है। बक मून हर साल जुलाई महीने की पूर्णिमा को दिखाई देता है और इससे कई दिलचस्प मान्यताएं और एक अनोखी नामकरण कहानी जुड़ी है।

बक मून: जुलाई की पूर्णिमा का खास चाँद

'बक मून' नाम उत्तरी अमेरिका की जनजातियों द्वारा दिया गया था। ये जनजातियाँ प्रकृति और जानवरों से जुड़ी घटनाओं के आधार पर पूर्णिमा के चाँद को नाम देती थीं। जिस तरह जनवरी की पूर्णिमा के चाँद को 'वूल्फ मून' (Wolf Moon) और फरवरी की पूर्णिमा के चाँद को 'स्नो मून' (Snow Moon) कहा जाता है, उसी परंपरा को निभाते हुए जुलाई की पूर्णिमा के चाँद को 'बक मून' नाम दिया गया।

कितना अलग है बक मून?

जुलाई की पूर्णिमा का चाँद जिसे बक मून कहा जाता है सामान्य दिनों के चाँद से ज़्यादा चमकीला होता है। ऐसा तब होता है जब सूर्य आकाश में अपने सबसे ऊँचे स्थान पर होता है और चाँद आकाश में अपने सबसे निचले पथ पर आ जाता है।

यह भी कहा जाता है कि बक मून निकलने के बाद इसका रंग लाल-सुनहरा हो जाएगा। इसे 'रेले स्कैटरिंग प्रभाव' कहा गया है। यह इसलिए होता है क्योंकि चाँद की सतह से परावर्तित होने वाली सूर्य की रोशनी पृथ्वी तक पहुँचने में अधिक दूरी तय करती है, जिससे प्रकाश बिखर जाता है और लाल-नारंगी रंग दिखाई देता है। अगर रात में आसमान साफ़ हो तो दूरबीन का इस्तेमाल करके इसे स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।

गुरु पूर्णिमा और बक मून का संबंध

जुलाई का बक मून अक्सर गुरु पूर्णिमा के दिन ही पड़ता है। गुरु पूर्णिमा, हिंदू महीने आषाढ़ की पूर्णिमा होती है, जो ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार जुलाई की पहली पूर्णिमा के साथ मेल खाती है। यह दिन शिक्षकों, गुरुओं और ज्ञान का उत्सव है, जो आध्यात्मिक और शैक्षिक मार्गदर्शन के महत्व को दर्शाता है।

चाँद को कैसे मिला 'बक मून' नाम?

'बक मून' नाम का इतिहास अल्गोंक्विन लोगों से जुड़ा है, जो मूल रूप से अमेरिकी जनजाति के लोग थे। यह जनजाति प्राकृतिक घटनाओं का पता लगाने और उन्हें याद रखने के लिए चाँद में दिखने वाले बदलाव को आधार बनाती थी।

'बक' का मतलब male deer होता है। जुलाई का महीना वह समय होता है जब नर हिरण के सींग बढ़ने लगते हैं। पुराने सींग गिरने के बाद नए और मखमली परत से ढके सींग निकलते हैं। यही वजह है कि जुलाई की पूर्णिमा के चाँद को 'बक मून' कहा गया। नर हिरण में पहली पूर्णिमा के आसपास अपने सींगें फिर से निकलनी शुरू हो जाती थीं।

अन्य जनजातीय नाम

इस चाँद को दूसरी अमेरिकी जनजातियाँ "थंडर मून" भी कहती हैं, क्योंकि यह अमेरिका के कुछ हिस्सों में इस समय देखे जाने वाले मौसमी तूफानों का संकेत था। कुछ अमेरिकी जनजातियों ने इसे "सैल्मन मून" भी कहा, क्योंकि यह उस समय दिखाई देता है जब सैल्मन मछलियाँ धारा के विपरीत तैरना शुरू करती हैं।

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