क्या होता है इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन? कैसे रहते हैं वहां अंतरिक्ष यात्री, जानिए

Edited By Updated: 27 Jun, 2025 04:31 PM

what is the international space station how astronauts live there

Axiom-4 मिशन 25 जून को सफलतापूर्वक लॉन्च हो गया है। इस ऐतिहासिक मिशन का हिस्सा बने हैं भारत के शुभांशु शुक्ला, जो अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर पहुंचने वाले पहले भारतीय नागरिक बन गए हैं। इस मिशन के तहत सभी अंतरिक्ष यात्री अगले दो सप्ताह तक...

National Desk : Axiom-4 मिशन 25 जून को सफलतापूर्वक लॉन्च हो गया है। इस ऐतिहासिक मिशन का हिस्सा बने हैं भारत के शुभांशु शुक्ला, जो अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर पहुंचने वाले पहले भारतीय नागरिक बन गए हैं। इस मिशन के तहत सभी अंतरिक्ष यात्री अगले दो सप्ताह तक ISS में रहेंगे और विभिन्न वैज्ञानिक शोधों में हिस्सा लेंगे।

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) क्या है?
ISS एक ऐसा अंतरिक्ष स्टेशन है जो पृथ्वी की निचली कक्षा (Low Earth Orbit) में स्थित है और इसे पाँच देशों – अमेरिका, रूस, यूरोप, जापान और कनाडा के सहयोग से विकसित किया गया है। इसका कुल वजन लगभग 4.2 लाख किलोग्राम है और इसमें 15 से अधिक प्रेशराइज्ड मॉड्यूल (दबावयुक्त खंड) शामिल हैं। ISS पृथ्वी की परिक्रमा 28,000 किमी/घंटा की गति से करता है और हर 90 मिनट में एक चक्कर पूरा करता है। इसका मतलब है कि स्टेशन पर मौजूद अंतरिक्ष यात्री दिन में लगभग 16 बार सूर्योदय और सूर्यास्त देख सकते हैं।

तकनीकी विशेषताएं और ऊर्जा स्रोत
ISS में 8 विशाल सौर पैनल लगे हैं जो लगभग 120 किलोवाट बिजली उत्पन्न करते हैं। यह ऊर्जा बैटरियों में स्टोर की जाती है, जिससे अंतरिक्ष स्टेशन की सभी प्रणालियां – वैज्ञानिक उपकरण, ऑक्सीजन उत्पादन, पर्यावरण नियंत्रण और जीवन की मूलभूत जरूरतें – संचालित होती हैं।

 कितने लोग रह सकते हैं ISS में?

आमतौर पर ISS पर 6 अंतरिक्ष यात्रियों का स्थायी दल रहता है, लेकिन Axiom-4 जैसे खास मिशनों के दौरान 10 अतिरिक्त लोग भी अस्थायी रूप से इसमें रह सकते हैं। स्पेस स्टेशन पर जीवन बेहद नियोजित होता है। अंतरिक्ष यात्री एक सख्त डेली रूटीन का पालन करते हैं, जिसमें दो घंटे का व्यायाम भी शामिल होता है ताकि शून्य गुरुत्वाकर्षण में मांसपेशियों और हड्डियों के क्षरण को रोका जा सके। स्टेशन पर निजी शयन कक्ष, भोजन कक्ष (गैली), शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएं भी मौजूद हैं। संचार में बहुत ही कम देरी होती है, जिससे अंतरिक्ष यात्री मिशन कंट्रोल और परिवार से रीयल टाइम में बात कर सकते हैं। ISS को पृथ्वी की कक्षा में मौजूद सबसे उन्नत रिसर्च लैब माना जाता है। यहां जीवन विज्ञान, सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण भौतिकी, जैव प्रौद्योगिकी, पृथ्वी अवलोकन, अंतरिक्ष कृषि जैसे क्षेत्रों में प्रयोग किए जाते हैं। एक खास मॉड्यूल है कपोला, जिसमें सात खिड़कियां हैं। यह अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी का शानदार 360-डिग्री दृश्य देखने का मौका देता है।

कैसे पहुंचते हैं स्पेस स्टेशन

अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन तक परिवहन अब कई अंतरिक्ष यानों के बीच साझा किया जाता है। कार्गों मिशन के दौरान खाना, पानी, वैज्ञानिक उपकर और स्पेयर पार्टस की आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण डरैगन, सिग्नस, एचटीवी और बहुत जल्द, ड्रीम चेज़र जैसे अंतरिक्ष यान भी हैं। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन कम से कम 2030 तक चलने की उम्मीद है। आईएसएस अंततः एक्सिओम स्टेशन, स्टारलैब और अन्य जैसे वाणिज्यिक अंतरिक्ष स्टेशनों के लिए रास्ता देगा। नासा और रोस्कोस्मोस द्वारा प्रबंधित एक नियंत्रित डीऑर्बिट की योजना बनाई गई है, ताकि दशकों से परिक्रमा कर रहे इस प्रयोगशाला के मिशन का सुरक्षित अंत सुनिश्चित किया जा सके।


 

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