Edited By Radhika,Updated: 31 Dec, 2025 02:48 PM

देशभर में नए साल के जश्न के बीच फूड डिलीवरी और क्विक कॉमर्स सेक्टर में बड़ा घमासान छिड़ गया है। एक तरफ देशभर के लाखों 'गिग वर्कर्स' ने बेहतर वेतन और सुरक्षित कामकाजी माहौल की मांग को लेकर आज यानी 31 दिसंबर को हड़ताल का बिगुल फूँका है, तो दूसरी तरफ...
नेशनल डेस्क: देशभर में नए साल के जश्न के बीच फूड डिलीवरी और क्विक कॉमर्स सेक्टर में बड़ा घमासान छिड़ गया है। एक तरफ देशभर के लाखों 'गिग वर्कर्स' ने बेहतर वेतन और सुरक्षित कामकाजी माहौल की मांग को लेकर आज यानी 31 दिसंबर को हड़ताल का बिगुल फूँका है, तो दूसरी तरफ स्विगी (Swiggy) और जोमैटो (Zomato) जैसी दिग्गज कंपनियों ने इस संकट से निपटने के लिए भारी-भरकम इंसेंटिव की घोषणा कर दी है।
हड़ताल की वजह और कंपनियों की चिंता
तेलंगाना गिग एंड प्लेटफॉर्म वर्कर्स यूनियन और IFAT जैसे संगठनों ने वेतन में पारदर्शिता और '10-मिनट डिलीवरी' जैसी प्रथाओं के विरोध में इस हड़ताल का आह्वान किया है। कंपनियों के लिए यह इसलिए बड़ी चिंता है क्योंकि न्यू ईयर ईव साल का वह समय होता है जब ऑर्डर की संख्या अपने चरम पर होती है। 25 दिसंबर को हुई सांकेतिक हड़ताल से हुए नुकसान को देखते हुए कंपनियां इस बार कोई जोखिम नहीं लेना चाहतीं।

जोमैटो का 'पेनल्टी माफी' और बड़ा रिवॉर्ड
जोमैटो ने अपने डिलीवरी पार्टनर्स को लुभाने के लिए आज शाम 6 बजे से रात 12 बजे तक के 'पीक आवर्स' में प्रति ऑर्डर 120 से 150 रुपये तक के भुगतान की घोषणा की है। यही नहीं कंपनी ने वर्कर्स से एक दिन में 3,000 रुपये तक की कमाई का वादा भी किया है। सबसे बड़ी राहत यह है कि आज ऑर्डर रिजेक्ट करने या कैंसिल होने पर लगने वाली पेनल्टी को भी अस्थायी रूप से माफ कर दिया गया है।
स्विगी का 10,000 रुपये वाला मेगा ऑफर
स्विगी ने अपने राइडर्स के लिए और भी बड़ा दांव खेला है। कंपनी ने 31 दिसंबर और 1 जनवरी के बीच काम करने वाले वर्कर्स को 10,000 रुपये तक की कुल कमाई का मौका देने का दावा किया है। इसमें आज शाम के 6 घंटों के लिए 2,000 रुपये का विशेष 'पीक-आवर' इंसेंटिव भी शामिल है, ताकि साल की सबसे व्यस्त विंडो में पर्याप्त संख्या में राइडर्स सड़कों पर मौजूद रहें।

क्या टल जाएगी हड़ताल?
जेप्टो और ब्लिंकिट जैसे क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स ने भी इसी तरह के ऑफर दिए हैं। डिलीवरी वर्कर्स यूनियनों का कहना है कि यह केवल एक अस्थायी 'बैंड-एड' लगाने जैसा काम है। उनका दावा है कि कंपनियां केवल आज की समस्या सुलझाना चाहती हैं, जबकि वर्कर्स की मांगें स्थायी सुरक्षा और सम्मानजनक वेतन की हैं। अब देखना यह होगा कि आज रात आपके फोन पर 'Order Delivered' का मैसेज आता है या हड़ताल का असर पार्टियों का जायका बिगाड़ देता है।