हिमाचल प्रदेश कांग्रेस में कतरे जा सकते हैं कइयों के पर

Edited By ,Updated: 09 Nov, 2024 05:51 AM

many wings may be clipped in himachal pradesh congress

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने हिमाचल प्रदेश में जिला और ब्लॉक इकाइयों के साथ-साथ पूरी प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पी.सी.सी.) इकाई को भंग कर दिया है। अब सरकार में बदलाव की अगली कतार लग गई है। सूत्रों के अनुसार महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव...

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने हिमाचल प्रदेश में जिला और ब्लॉक इकाइयों के साथ-साथ पूरी प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पी.सी.सी.) इकाई को भंग कर दिया है। अब सरकार में बदलाव की अगली कतार लग गई है। सूत्रों के अनुसार महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव के बाद राज्य में मंत्रिमंडल में फेरबदल किया जा सकता है। इकाई के पुनर्गठन के तहत पार्टी प्रमुख प्रतिभा सिंह के पर कतरे जा सकते हैं। कांग्रेस हाईकमान हिमाचल प्रदेश के प्रभारी राजीव शुक्ला को भी बदलने की तैयारी में है। यहां पार्टी संसदीय चुनाव में 4 में से एक भी सीट नहीं जीत पाई थी। राज्य में राज्यसभा सीट जीतने के लिए पर्याप्त संख्या होने के बावजूद कांग्रेस जीत नहीं पाई और हार गई। 

सपा की ‘होॄडग वार’ : ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ नारे को लेकर जुबानी जंग के बीच समाजवादी पार्टी ने एक नया नारा गढ़ा है, ‘न बंटेंगे न कटेंगे, एक हैं और एक रहेंगे।’ इसका जवाब देने के लिए लखनऊ में सपा मुख्यालय में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और सपा प्रमुख अखिलेश यादव की एक साथ तस्वीरों वाले पोस्टर लगाए गए और पूर्व में यू.पी. के जातिगत मुद्दों पर ध्यान वापस लाने का प्रयास किया गया। सपा के होर्डिंग में आगे लिखा था, ‘बंटेंगे तो गैस सिलैंडर 1200 में मिलेगा। एक होंगे तो 400 रुपए में मिलेगा।’ 

एक अन्य होॄडग में लिखा था, ‘गंगा-जमुना तहजीब को न ही बंटने देंगे, न ही समाज की एकता को काटने देंगे।’ इस बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा महाराष्ट्र में एक चुनावी रैली में अपना नारा ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ दोहराने के बाद, उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने गुरुवार को कहा कि राज्य के लोग इस तरह की टिप्पणियों की सराहना नहीं करते हैं। अजीत पवार ने कहा कि महाराष्ट्र छत्रपति शिवाजी महाराज, राजॢष शाहू महाराज और महात्मा फुले का है। आप महाराष्ट्र की तुलना अन्य राज्यों से नहीं करें, महाराष्ट्र के लोगों को यह पसंद नहीं है। 

बिहार में एक और राजनीतिक दल : प्रशांत किशोर द्वारा जनसभा की शुरुआत के साथ ही राज्य में एक और राजनीतिक पार्टी आप सब की आवाज (ए.एस.ए.) का उदय हो गया। पूर्व केंद्रीय मंत्री राम चंद्र प्रसाद सिंह ने पिछले महीने अपनी नई पार्टी की घोषणा की थी, जब उन्होंने जद (यू) को छोड़ दिया। संयोग से 66 वर्षीय सिंह कुर्मी जाति से आते हैं, जो अन्य पिछड़ा वर्ग में आती है और पटेल को अपना आदर्श मानते हैं। नीतीश भी इसी जाति से हैं। बिहार की आबादी में कुर्मी करीब 3 प्रतिशत हैं, लेकिन आॢथक रूप से संपन्न हैं। उन्हें जमींदारों में गिना जाता है, वे सामाजिक-राजनीतिक रूप से जागरूक हैं और उन्हें ऊपर की ओर बढऩे वाला माना जाता है। आर.सी.पी. सिंह, जिन्होंने बिहार के शराबबंदी कानून और बिगड़ती सार्वजनिक शिक्षा की आलोचना की और अपनी आवाज उठाई, अगले चुनाव में 243 विधानसभा सीटों में से 140 पर उम्मीदवार उतारने का लक्ष्य रखते हैं। आर.सी.पी. और प्रशांत दोनों ही एक समय में सी.एम. नीतीश कुमार के सबसे करीबी सहयोगी थे, लेकिन अब दोनों ही राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी हैं।

जरांगे का हैरानीजनक कदम : एक आश्चर्य पैदा करते हुए, मराठा कोटा कार्यकत्र्ता मनोज जरांगे-पाटिल ने महाराष्ट्र विधानसभा के निर्णायक चुनावों से नाम वापस ले लिया, लेकिन उन्होंने कहा कि वह 20 नवंबर को होने वाले चुनावों में 10-15 उम्मीदवारों का समर्थन करेंगे। इस कदम से कांग्रेस, शरद पवार के नेतृत्व वाली एन.सी.पी. (श.प.) और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यू.बी.टी.) सहित विपक्ष को लाभ मिलने की उम्मीद है क्योंकि इससे भाजपा विरोधी वोटों का विभाजन रुकेगा। हालांकि, जरांगे-पाटिल ने यह स्पष्ट किया कि मराठा आरक्षण की मांग से जुड़ा अभियान जारी रहेगा। दूसरी ओर, महाराष्ट्र में लोकसभा चुनावों में भाजपा के नेतृत्व वाले एन.डी.ए. के खराब प्रदर्शन के पीछे मराठा वोटों को एक प्रमुख कारक के रूप में देखा गया, जहां कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी गुट ने प्रमुखता से बढ़त हासिल की। 

राज्य की कुल आबादी में मराठा 30.33 प्रतिशत हैं। महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महायुति और विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एम.वी.ए.) के बीच मुकाबला द्विध्रुवीय माना जाता है। भाजपा वर्तमान में सत्तारूढ़ महायुति के बैनर तले अजीत पवार के नेतृत्व वाली एन.सी.पी. और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के साथ गठबंधन में है। शिवसेना (यू.बी.टी.), एन.सी.पी (शरद पवार) और कांग्रेस विपक्षी एम.वी.ए. गठबंधन का हिस्सा हैं। 

महायुति के बीच लड़ाई : महाराष्ट्र में 20 नवंबर को मतदान और 23 नवंबर को मतगणना होगी। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना, भाजपा और अजीत पवार की एन.सी.पी. से युक्त सत्तारूढ़ गठबंधन महायुति के बीच लड़ाई शुरू हो गई है, जो सत्ता बरकरार रखने की कोशिश कर रही है। वहीं शिवसेना (यू.बी.टी.), एन.सी.पी. (श.प.) और कांग्रेस की विपक्षी एम.वी.ए. बहुमत हासिल करने और मौजूदा सरकार को गिराने की आकांक्षा रखती है। शिवसेना (यू.बी.टी.) के उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के लिए अपनी पार्टी का घोषणापत्र जारी किया, जिसमें पुरुष छात्रों के लिए मुफ्त शिक्षा, आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को स्थिर करने और धारावी पुर्नवकास परियोजना को खत्म करने का आश्वासन दिया गया है। ठाकरे ने कहा कि अगर एम.वी.ए. सत्ता में आती है, तो यह कोलीवाड़ा और गाथोन के कलस्टर विकास को खत्म कर देगी। दूसरी ओर राकांपा (श.प.) प्रमुख शरद पवार ने कहा कि महाराष्ट्र के लोग बदलाव की उम्मीद कर रहे हैं और विपक्षी एम.वी.ए. आगामी राज्य विधानसभा चुनावों के बाद उन्हें यह विकल्प देने की दिशा में काम करेगी। पवार ने देश में जाति जनगणना की कांग्रेस नेता राहुल गांधी की मांग का भी समर्थन किया।-राहिल नोरा चोपड़ा
 

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