अडानी मामले की सुनवाई 15 मई तक टली, SEBI को मिला जांच के लिए 3 महीने का समय

Edited By jyoti choudhary,Updated: 12 May, 2023 05:05 PM

adani case hearing postponed till may 15 sebi got 3 months

सुप्रीम कोर्ट अब 15 मई 2023 को अडानी-हिंडनबर्ग मामले की सुनवाई करेगी। इससे पहले सेबी ने कोर्ट से छह महीने के समय की मांग की थी। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने सेबी से कहा कि जांच पूरी करने के लिए छह महीने के समय की मांग उचित नहीं है। उन्होंने...

बिजनेस डेस्कः सुप्रीम कोर्ट अब 15 मई 2023 को अडानी-हिंडनबर्ग मामले की सुनवाई करेगी। इससे पहले सेबी ने कोर्ट से छह महीने के समय की मांग की थी। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने सेबी से कहा कि जांच पूरी करने के लिए छह महीने के समय की मांग उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि हम 14 अगस्त के आसपास सुनवाई करेंगे और तीन महीने के भीतर आप जांच पूरी कर लें। चीफ जस्टिस ने कहा हमने जो कमेटी बनाई थी उसे अबतक पढ़ा नहीं है। चीफ जस्टिस ने कहा कि सोमवार को सुनवाई के दौरान सेबी के आवेदन पर विचार करेंगे।

इससे पहले सुनवाई के दौरान शेयर बाजार के रेग्यूलेटर सेबी ने कोर्ट से अडानी मामले की जांच को पूरा करने के लिए छह महीने के और समय की मांग की। सेबी के तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा कि मामले को देखते हुए छह महीने का और समय चाहिए।

हालांकि वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कोर्ट से कहा कि सेबी IOSCO का पार्टनर है जिसका सदस्य टैक्स हेवेन देश भी हैं। IOSCO की संधि के मुताबिक कोई भी देश किसी भी प्रकार की जानकारी मांग सकता है और इसमें कुछ गुप्त नहीं है। उन्होंने कहा कि सेबी पहले भी जानकारी मांग सकती थी। सरकार के मुताबिक सेबी 2017 से जांच कर रही है। प्रशांत भूषण ने कहा कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के लिए सेबी के 19 दिसंबर 2022 को जारी मास्टर सर्कुलेशन में कहा है कि सभी निवेशकों को के लिए लाभार्थी मालिकों के नाम का खुलासा करना जरुरी है। 

2 मार्च 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट के सामने आने के बाद अडानी समूह के शेयरों में भारी गिरावट की जांच करने और छोटे निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सेबी (SEBI) के मौजूदा रेग्युलेटरी मैकेनिज्म की समीक्षा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अगुवाई में एक्सपर्ट कमेटी का गठन किय था। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज ए एम सापरे (AM Sapre) के नेतृत्व में कमेटी का गठन किया है जिसमें आईसीआईसीआई बैंक के पूर्व सीईओ रहे के वी कामथ, इंफोसिस के को-फाउंडर नंदन नीलेकणि सदस्य बनाए गए थे। इनके अलावा एसबीआई के पूर्व चेयरमैन ओ पी भट्ट, जस्टिस जे पी देवधर और सोमशेखर संदरेशन कमेटी भी समिटी के अन्य सदस्य थे। सुप्रीम कोर्ट ने इस कमेटी से दो महीने में अपनी रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में जमा करने को कहा था। कमेटी ने दो महीने के भीतर अपने रिपोर्ट तैयार कर कोर्ट में जमा करा दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को अपनी जांच दो महीने में पूरे करने को कहा था। सेबी से इस बात की जांच के लिए कहा गया कि सेबी के सेक्शन 19 का कोई उल्लंघन हुआ है या नहीं और क्या अडानी समूह के स्टॉक्स के भाव में किसी प्रकार की छेड़छाड़ की गई है। कोर्ट ने सेबी से कोर्ट द्वारा बनाई कमेटी को सभी प्रकार की जानकारियां उपलब्ध कराने का भी आदेश दिया था लेकिन सेबी का कहना है कि दो महीनो में इसकी जांच पूरी नहीं की जा सकती और उसे इसके लिए छह महीने का समय चाहिए जिसका याचिकाकर्ता विरोध कर रहे थे।

अपनी अर्जी में सेबी ने कोर्ट को बताया कि हिंडनबर्ग के आरोपों के मुताबिक 12 ऐसे संदिग्ध ट्रांजैक्शन हैं। ये ट्रांजैक्शन जटिल होने के साथ ही इसमें कई सब-ट्रांजैक्शन भी मौजूद है। सेबी के मुताबिक जांच के दौरान कई घेरलू और विदेशी बैंकों से वित्तीय ट्रांजैक्शन के स्टेटमेंट की जरुरत होगी। 10 वर्ष से पुराने बैंक स्टेटमेंट की भी जरुरत होगी जिसे हासिल करने में वक्त लगेगा साथ ही ये चुनौतिपूर्ण भी है। सेबी का कहना है कि उसकी कोशिश होगी कि जांच को छह महीने में पूरा कर लिया जाए।
 

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