वर्ष 2023 में भी विदेशी निवेशकों का पसंदीदा गंतव्य बना रहेगा भारत

Edited By jyoti choudhary,Updated: 25 Dec, 2022 05:30 PM

india will continue to be the preferred destination for foreign investors

अमेरिका में सख्त मौद्रिक नीति अपनाए जाने और रूस-यूक्रेन युद्ध जारी रहने से पैदा हुई वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता के बावजूद भारत अपनी प्रोत्साहन-संबद्ध प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना और काफी हद तक सेहतमंद आर्थिक वृद्धि की संभावना को देखते हुए वर्ष 2023 में...

नई दिल्लीः अमेरिका में सख्त मौद्रिक नीति अपनाए जाने और रूस-यूक्रेन युद्ध जारी रहने से पैदा हुई वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता के बावजूद भारत अपनी प्रोत्साहन-संबद्ध प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना और काफी हद तक सेहतमंद आर्थिक वृद्धि की संभावना को देखते हुए वर्ष 2023 में विदेशी निवेशकों के आकर्षण का केंद्र बना रह सकता है। सरकार की तरफ से कारोबारी सुगमता और कुशल श्रमशक्ति को बढ़ाने के लिए किए गए उपायों, देश के भीतर प्राकृतिक संसाधनों की मौजूदगी, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) से जुड़ी नीतियों के उदार होने, विशाल घरेलू बाजार की मौजूदगी और वृद्धि दर अच्छी रहने की संभावनाओं से नए साल में भी भारत विदेशी निवेशकों का भरोसा जीतने में कामयाब रह सकता है। 

हालांकि अनुबंधों के क्रियान्वयन में देरी, थकाऊ प्रक्रिया और ऊंची ब्याज दरें चिंता का विषय रह सकती हैं। संयुक्त राष्ट्र की संस्था अंकटाड की तरफ से जारी विश्व निवेश रिपोर्ट 2022 के मुताबिक, उद्योग जगत में नई परियोजनाओं के लिए होने वाले निवेश में सुधार की गति अब भी विकासशील देशों में कमजोर बनी हुई है। रिपोर्ट कहती है कि यूक्रेन संकट की वजह से पैदा हुई खाद्य, ईंधन एवं वित्त समस्याएं पहले से ही कोविड-19 महामारी के दुष्परिणामों का सामना कर रहे विकासशील देशों पर भारी पड़ रही हैं। इन परिस्थितियों में भी भारत विदेशी निवेश आकर्षित करने के मामले में वर्ष 2022 में अच्छी स्थिति में रहा है। 

नवीनतम सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, भारत ने जनवरी-सितंबर 2022 की अवधि में 42.5 अरब डॉलर का विदेशी निवेश हासिल किया है। इसके पहले वर्ष 2021 में भी भारत में 51.3 अरब डॉलर का विदेशी निवेश आया था। भारत को अब तक का सर्वाधिक एफडीआई वित्त वर्ष 2021-22 में मिला था जब विदेशी निवेशकों ने यहां कुल 84.84 अरब डॉलर लगाए थे। हालांकि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में भारत में आने वाला इक्विटी एफडीआई 14 प्रतिशत घटकर 26.9 अरब डॉलर पर आ गया। अप्रैल-सितंबर की इस अवधि में कुल एफडीआई निवेश (इक्विटी निवेश, दोबारा निवेश की गई राशि और अन्य पूंजी) भी घटकर 39 अरब डॉलर रह गया जबकि एक साल पहले की समान अवधि में यह 42.86 अरब डॉलर रहा था।

उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (डीपीआईआईटी) में सचिव अनुराग जैन ने कहा कि भारत विदेशी निवेशकों के लिए पसंदीदा गंतव्य बना हुआ है। इसके लिए उन्होंने एफडीआई नीति में उदारीकरण, कारोबारी सुगमता बढ़ाने के लिए उठाए गए कदमों, उद्योग पर नियम अनुपालन बोझ में की गई कमी, पीएलआई योजनाओं के विस्तार और ढांचागत विकास के लिए शुरू किए गए पीएम गतिशक्ति अभियान को प्रमुख कारण बताया। जैन ने कहा, "पिछले लगातार आठ वर्षों से देश में एफडीआई निवेश का नया रिकॉर्ड बनता आ रहा है। हालांकि मौजूदा भू-राजनीतिक चुनौतियों और धीमी पड़ती आर्थिक वृद्धि से जुड़ी चुनौतियां बनी हुई हैं और आने वाले समय में कुछ नई चुनौती भी आ सकती है।" 

बहरहाल डीपीआईआईटी सचिव का मानना है कि सरकार की तरफ से पीएलआई योजनाओं में लगातार किए जा रहे विस्तार का फायदा उठाने के लिए विदेशी निवेशक भारत में विनिर्माण गतिविधियों में निवेश करना चाहेंगे। कारोबार से जुड़ी मंजूरियों को जल्द देने के लिए शुरू किया गया नेशनल सिंगल विंडो सिस्टम (एनएसडब्ल्यूएस) पोर्टल भी विदेशी निवेशकों के लिए मददगार होगा। देश में विनिर्माण गतिविधियों को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार ने 14 क्षेत्रों के लिए पीएलआई योजना की घोषणा की थी। इनमें उत्पाद, दूरसंचार और वाहन कलपुर्जा भी शामिल हैं। इस योजना के लिए 1.97 लाख करोड़ रुपए का आवंटन किया गया था। अभी तक इस योजना के तहत 13 क्षेत्रों में 650 आवेदनों को मंजूरी दी जा चुकी है। विशेषज्ञों को भी भरोसा है कि वर्ष 2023 में विदेशी निवेश की मजबूती बनी रहेगी। 

डेलॉयट इंडिया की अर्थशास्त्री रुमकी मजूमदार ने कहा कि अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारत का प्रदर्शन तुलनात्मक रूप से बेहतर रहने की संभावना और मजबूत आर्थिक परिदृश्य भारत को विदेशी निवेश के लिहाज से एक आकर्षक गंतव्य के रूप में स्थापित करेगा। इंडसलॉ के संस्थापक साझेदार कार्तिक गणपति का भी मानना है कि भारत की वृद्धि काफी हद तक घरेलू उपभोग पर आधारित होने और अर्थव्यवस्था के तेजी से डिजिटलीकरण को देखते हुए भारत एक आकर्षक निवेश गंतव्य बना रहेगा। 

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