Edited By jyoti choudhary,Updated: 27 Dec, 2025 12:26 PM

केंद्र सरकार 2026 तक पब्लिक सेक्टर बैंकों (PSU Banks) की पूरी तस्वीर बदलने की तैयारी में है। सरकार और रिजर्व बैंक (RBI) मिलकर एक ऐसा रोडमैप तैयार कर रहे हैं, जिससे भारतीय सरकारी बैंक न केवल देश में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मजबूत और...
बिजनेस डेस्कः केंद्र सरकार 2026 तक पब्लिक सेक्टर बैंकों (PSU Banks) की पूरी तस्वीर बदलने की तैयारी में है। सरकार और रिजर्व बैंक (RBI) मिलकर एक ऐसा रोडमैप तैयार कर रहे हैं, जिससे भारतीय सरकारी बैंक न केवल देश में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मजबूत और प्रतिस्पर्धी बन सकें। वित्तीय मजबूती और विदेशी निवेश के भरोसे के साथ यह कदम भारतीय बैंकिंग सिस्टम को नए मुकाम पर पहुंचाने की दिशा में एक अहम प्रयास माना जा रहा है। इसका उद्देश्य है कि विकसित भारत 2047 के लक्ष्यों को साधने में बैंकिंग सेक्टर निर्णायक भूमिका निभाए।
वैश्विक मुकाम की तैयारी
भारत में वर्तमान में 12 सरकारी बैंक हैं लेकिन अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में केवल स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) टॉप 50 में शामिल है। HDFC बैंक जैसे प्राइवेट बैंक भी टॉप 100 में नहीं हैं। सरकार का लक्ष्य है कि भविष्य में ऐसे विशालकाय बैंक हों जो बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को फंड कर सकें और ग्लोबल मार्केट की चुनौतियों का सामना कर सकें।
पहले से जारी मर्जर प्रक्रिया
यह पहला प्रयास नहीं है। 2019-20 में हुए मेगा मर्जर में 27 सरकारी बैंकों की संख्या घटकर 12 रह गई थी। उदाहरण के तौर पर, ओरिएंटल बैंक और यूनाइटेड बैंक का विलय PNB में हुआ, सिंडिकेट बैंक कैनरा बैंक में समा गया, जबकि इलाहाबाद बैंक इंडियन बैंक में विलय हुआ। 2017 में SBI ने अपने सहयोगी बैंकों को मिला कर अपनी संपत्ति 44 लाख करोड़ रुपए तक बढ़ाई थी।
मजबूत वित्तीय आधार और विदेशी भरोसा
सरकार इस बड़े कदम में इसलिए विश्वास रखती है क्योंकि सरकारी बैंकों की बैलेंस शीट मजबूत है। वित्त वर्ष 2026 की पहली छमाही में 12 PSU बैंकों ने करीब 93,675 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया है, और साल खत्म होते तक यह आंकड़ा 2 लाख करोड़ रुपये पार करने की संभावना है। आईडीबीआई बैंक में विदेशी हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया मार्च 2026 तक पूरी करने का लक्ष्य है। यस बैंक और आरबीएल बैंक जैसे उदाहरण भारतीय बैंकिंग सिस्टम में विदेशी निवेशकों का भरोसा बढ़ा रहे हैं।
यदि योजना सफल होती है, तो 2026 तक भारतीय बैंकिंग इतिहास में एक नया अध्याय लिखा जाएगा, जिसमें सरकारी बैंक वैश्विक स्तर पर अपनी ताकत दिखा सकेंगे।