Edited By jyoti choudhary,Updated: 24 Feb, 2023 05:40 PM
महामारी के प्रकोप वाले वर्षों के दौरान डिजिटल अर्थव्यवस्था के महत्व को लेकर लोगों की समझ और जागरूकता बढ़ी है। विशिष्ट पहचान संख्या ‘आधार' जारी करने वाला भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सौरभ गर्ग ने शुक्रवार को...
नई दिल्लीः महामारी के प्रकोप वाले वर्षों के दौरान डिजिटल अर्थव्यवस्था के महत्व को लेकर लोगों की समझ और जागरूकता बढ़ी है। विशिष्ट पहचान संख्या ‘आधार' जारी करने वाला भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सौरभ गर्ग ने शुक्रवार को यह कहा। ‘भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था की स्थिति' विषय पर आईपीसीआईडीई के सालाना सम्मेलन में गर्ग ने कहा, ‘‘आज डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना का पैमाना और संख्या हैरान करने वाले हैं।'' उन्होंने बताया कि 2019 से 2022 के बीच सत्यापन की संख्या दोगुनी हो गई है।
यूआईडीएआई के प्रमुख ने कहा, ‘‘जब आप डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना की बात करते हैं तो आधार निश्चित ही बुनियादी पहचान-पत्र होता है। 2019 से 2022 के बीच किए गए सत्यापन में सौ फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। हम उस स्तर पर पहुंच गए हैं जहां प्रतिदिन सात से आठ करोड़ लेनदेन हो रहे हैं।'' यह वृद्धि इस बात को रेखांकित करती है कि डिजिटल अर्थव्यवस्था की वृद्धि कितनी अधिक तेज है। गर्ग ने कहा, ‘‘महामारी के प्रकोप वाले बीते तीन वर्षों ने सभी के बीच इस समझ को और मजबूत किया है कि डिजिटल अर्थव्यवस्था किस प्रकार मदद कर सकती है और आगे जाकर यह कितनी अधिक उपयोगी साबित हो सकती है।''