Akshaya Tritiya: लक्ष्मी कभी नहीं छोड़ेगी आपका घर, बस करना होगा ये काम

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 22 Apr, 2023 07:58 AM

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अपने नाम से ही शुभ एवं स्थायी प्रभाव प्रदान करने वाली तिथि जिसका कभी भी क्षय न हो अर्थात जिसका कभी भी समापन न हो, अक्षय कहलाती है और यह शुभ मुहूर्त बनता है अक्षय तृतिया पर। वैशाख माह के

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Akshaya Tritiya 2023: अपने नाम से ही शुभ एवं स्थायी प्रभाव प्रदान करने वाली तिथि जिसका कभी भी क्षय न हो अर्थात जिसका कभी भी समापन न हो, अक्षय कहलाती है और यह शुभ मुहूर्त बनता है अक्षय तृतिया पर। वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतिया तिथि को अक्षय तृतिया के नाम से संबोधित किया गया है। इस वर्ष यह तिथि मंगल रोहिणी नक्षत्र के शोभन योग, तैतिल करण और वृष राशि के चंद्रमा में मनायी जाएगी। ग्रहों का ऐसा प्रभावमयी शुभ योग लगभग 50 वर्षों बाद ही बन रहा है, जिसमें कि दो ग्रह उच्च के और दो ग्रह स्वराशि में विचरण करेंगे। शुभ योग में अक्षय तृतिया 30 वर्ष बाद मनायी जाएगी। आज ही के दिन अबुझ मुहूर्त का भी योग रहेगा जिसमें किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य बिना शुभ मुहूर्त निकलवाए किये जा सकेंगे। 

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अक्षय तृतिया तिथि का आरम्भ 3 मई 2022 दिन मंगलवार को प्रातः 5 बजकर 18 मिनट पर हो जाएगा और समापन 4 मई 2022 दिन बुधवार को प्रातः 7 बजकर 32 मिनट पर होगा। इस दिन को सोने, चांदी, हीरे, जवाहरात, बर्तन इत्यादि किसी भी प्रकार की महंगी वस्तुओं की खरीदारी को शुभ माना जात है। इस दिन शुभ मुहूर्त की खरीदी गयी वस्तुओं का कभी क्षय अर्थात समापन नहीं होता तथा खरीदी गयी वस्तुओं से घर में सम्पन्नता का प्रभाव बना रहता है। 

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इस दिन श्रीहरि विष्णु जी के साथ-साथ माता अन्नपूर्णा की भी पूजा की जाती है क्योंकि माता अन्नपूर्णा का अवतरण भी इसी ही तिथि को हुआ था। इसी तिथि को परशुराम जयंती के रूप में भी मनाया जाता है क्योंकि आज ही के दिन महार्षि जमदग्नि की पत्नी रेणुका ने भगवान श्रीहरि विष्णु जी के 6वें अवतार परशुराम जी को जन्म दिया था। हमारे धार्मिक पवित्र ग्रंथों के अनुसार माता अन्नपूर्णा बनारस यानि कि काशी नगरी में निवास करती हैं। जिसके प्रभाव से काशी में माता अन्नपूर्णा की कृपा से कोई भी जीव भूखा नहीं सोता। इस दिन अन्न दान का विशेष महत्व रहता है। 

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अगर कोई भी व्यक्ति अपने घर में माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करना चाहता है तो उन्हें पूर्ण विधि के साथ श्रीहरि विष्णु जी की पूजा अवश्य करनी चाहिए, जिसकी विधि इस प्रकार है- सुबह स्नान के पश्चात श्रीहरि विष्णु जी की प्रतिमा या तस्वीर के सामने देसी घी की जोत जलाकर प्रभु को प्रार्थना करें - हे प्रभु ! जिस तरह आपने गज को मकर के मुख से मुक्त कर उसके सभी प्रकार के संकटों को हरा कृपा कर मेरे भी सभी प्रकार के संकटों को हरो। इसके पश्चात गजेन्द्र मोक्ष का पाठ करें तत्पश्चात श्रीलक्ष्मी स्त्रोत का पाठ कम से कम एक बार अवश्य करें। बाद में लक्ष्मी जी की आरती पूर्ण विधि से करें और माता अन्नपूर्णा की भी आराधना करने से घर में कभी भी अन्न की कमी नहीं रहेगी। पूर्ण सम्पन्नता का आशीर्वाद प्राप्त करने के आप योग्य हो जाएंगे।

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Sanjay Dara Singh 
AstroGem Scientist
LLB., Graduate Gemologist GIA (Gemological Institute of America), Astrology, Numerology and Vastu (SSM).

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