Gudi Padwa: क्यों है गुड़ी पड़वा पर्व मराठी लोगों के लिए खास, जानें इसका इतिहास

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 09 Apr, 2024 07:58 AM

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भारत में कई तरह के धार्मिक पर्व, त्योहार और उत्सव मनाए जाते हैं। इन्हीं उत्सवों में से एक है गुड़ी पड़वा। गुड़ी पड़वा चैत्र महीने के पहले दिन पड़ता है। गुड़ी पड़वा से मराठी नववर्ष की शुरुआत मानी जाती है।

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Gudi Padwa 2024: भारत में कई तरह के धार्मिक पर्व, त्योहार और उत्सव मनाए जाते हैं। इन्हीं उत्सवों में से एक है गुड़ी पड़वा। गुड़ी पड़वा चैत्र महीने के पहले दिन पड़ता है। गुड़ी पड़वा से मराठी नववर्ष की शुरुआत मानी जाती है। इसी दिन से हिंदूओं का नया साल भी शुरु होता है। गुड़ी पड़वा को उगादी और संवत्सर पडवो भी कहते हैं। इस दिन लोग अपने घर के बाहर एक खास तरह का झंडा लगाते हैं और उसकी पूजा करते हैं। माना जाता है कि इनकी पूजा करने से सारा साल सुख, सफलता और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं क्या है गुड़ी पड़वा का इतिहास और इसे कैसे मनाया जाता है।

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What is the history of Gudi Padwa क्या है गुड़ी पड़वा का इतिहास
माना जाता है कि ब्रह्मा जी ने गुड़ी पड़वा के दिन ही सारे संसार की रचना की थी। कुछ कथाओं के अनुसार यह भी मान्यता है कि इस दिन राजा शालिवाहन युद्ध में अपनी जीत हासिल करके राज्य में वापस आए थे। वहां के लोगों ने झंडा गाड़ कर उनका स्वागत किया था। गुड़ी पड़वा के दिन झंडा लगाकर उसकी पूजा की जाती है। इसकी पूजा करने से सारा साल सुख, सफलता और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। गुड़ी को बुराई पर अच्छाई का प्रतीक भी माना जाता है।

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How to celebrate Gudi Padwa कैसे मनाते हैं गुड़ी पड़वा
इस दिन घर की महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद विजय के प्रतीक के रूप में घर के बाहर झंडा लगाकर उसकी पूजा करती है। गुड़ी बनाने के लिए बांस की लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है और उसके ऊपर एक कलश उल्टा करके रख दिया जाता है। इसे आम के पत्ते या फिर फूलों के साथ सजाया जाता है। इस दिन के लिए तेल से नहाने की और नीम के पत्तों को खाने की एक खास प्रथा है। घर के मुख्य द्वार पर रंगोली बनाई जाती है। सभी लोग खास तौर के पोषाक पहनते हैं और भोग में श्रीखंड बनाया जाता है।

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