Edited By Niyati Bhandari,Updated: 08 Sep, 2023 08:58 AM
कृष्ण कहते हैं इसका कारण यह है कि उनका मन राग-द्वेष में डूबा हुआ है। जो व्यक्ति तीव्र लालसा रखता है या बहुत अधिक घृणा करता है वह मोह माया आसक्ति के जाल में फंस जाता है।
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Gurudev Sri Sri Ravi Shankar: कृष्ण कहते हैं इसका कारण यह है कि उनका मन राग-द्वेष में डूबा हुआ है। जो व्यक्ति तीव्र लालसा रखता है या बहुत अधिक घृणा करता है वह मोह माया आसक्ति के जाल में फंस जाता है। जब ऐसे व्यक्तियों को जीवन में धन या संबंधों में समस्याओं का सामना करना पड़ता है, तो उनका मस्तिष्क इससे ग्रस्त हो जाता है। वे अनगिनत घंटे, महीने या वर्ष चिंता में ही बिता देते हैं, इससे उबरने में सक्षम नहीं हो पाते, यह नहीं जान पाते कि भगवान कृष्ण कौन हैं ?
भगवान कृष्ण कहते हैं, जिनके पाप नष्ट नहीं होते वे अज्ञान और भ्रम में फंसे रहते हैं लेकिन जिनके पुण्य फल देने लगते हैं, वे अपने सभी दुखों से मुक्त हो जाते हैं और मेरी ओर आकर्षित होने लगते हैं।
जब आप प्रबुद्धि की ओर चलना शुरू करते हैं, तो अज्ञानता का अंधकार नहीं रह सकता। पाप हमें इस यात्रा का आरंभ नहीं करने देता। यही वह बात है जो हमें दुख, पीड़ा और कष्ट देती है। लेकिन जब आप समझ जाते हैं कि आप यह शरीर नहीं बल्कि शुद्ध चेतना हैं, तो आपके भीतर अपार शक्ति का उदय होता है। एक बार जब परमात्मा में विश्वास पैदा हो जाता है या अनुभव हो जाता है, तो आपको और कुछ करने की आवश्यकता नहीं होती। अपने विश्वास पर रत्ती भर भी संदेह न करें। ईश्वर को वास्तव में जानने और उसके प्रकाश में चलने का यही अर्थ है।
कृष्ण सभी संभावनाओं, मनुष्य और ईश्वर होने के प्रत्येक पहलू के पूर्ण विकसित होने के प्रतीक हैं। जन्माष्टमी वह दिन है, जब आप कृष्ण के विराट स्वरूप को एक बार फिर से इस चेतना में याद करते हैं और उनकी अनुभूति करते हैं। अपने वास्तविक स्वरूप को अपने दैनिक जीवन में प्रकट करना ही कृष्ण के जन्म का वास्तविक रहस्य है।