Vastu Shastra: दिशाओं के महत्व और होने वाले फायदे जानकर कर सकते हैं दुनियां मुट्ठी में

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 15 Dec, 2022 11:34 AM

importance of directions in vastu shastra

चारों दिशाओं और कोणों के अधिष्ठित देवताओं के अनुसार गृह निर्माण कराने से उसमें वास करने वाले को सुख-समृद्धि एवं आरोग्य की प्राप्ति होती है। वास्तुशास्त्र के अनुसार भवन/भूखंड की सभी दिशाओं और

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Importance of directions in vastu shastra: चारों दिशाओं और कोणों के अधिष्ठित देवताओं के अनुसार गृह निर्माण कराने से उसमें वास करने वाले को सुख-समृद्धि एवं आरोग्य की प्राप्ति होती है। वास्तुशास्त्र के अनुसार भवन/भूखंड की सभी दिशाओं और कोणों से विभिन्न प्रकार की ऊर्जा और शक्तियां पृथ्वी को प्रभावित करती हैं। आठों दिशाओं के अधिष्ठाता देवता होते हैं। दिशानुसार देवताओं के नाम इस प्रकार हैं- उत्तर- कुबेर व सोम, दक्षिण- यम, पूर्व- इंद्र व सोम, पश्चिम- वरुण, उत्तर-पूर्व [ईशान]- सोम व शिव, पूर्व-दक्षिण [आग्नेय कोण], अग्नि देवता, दक्षिण-पश्चिम [नैऋत्य]- नैऋत्य तथा उत्तर-पश्चिम [वायव्य कोण]- वायु देवता। चारों दिशाओं और चार कोणों का प्रभाव मानव जीवन पर पड़ता है क्योंकि इन स्थानों के स्वामियों के अनुसार शुभाशुभ फल प्राप्त होते हैं।

PunjabKesari Importance of directions in vastu shastra

1100  रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं। अपनी जन्म तिथि अपने नाम, जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर व्हाट्सएप करें

PunjabKesari Importance of directions in vastu shastra

Which direction is best for Vastu Shastra
पूर्व दिशा-
यह पैतृक स्थान है। इस दिशा में खुला स्थान नहीं छोड़ने से क्लेश होता है।

आग्नेय- यह कोण आरोग्य तथा स्वास्थ्य प्रदान करता है।

दक्षिण- धन-धान्य, समृद्धि, प्रसन्नता और शांतिदायक है।

नैऋत्य- स्वयं के व्यवहार और आचार-विचार के लिए उत्तरदायी है।

पश्चिम- सफलता, यश और भव्यता प्रदान करता है।

वायव्य- अन्य व्यक्तियों के साथ परस्पर संबंध नियंत्रित करता है।

उत्तर- मातृक स्थान है। इस दिशा में किसी भी प्रकार का दोष, जैसे खाली स्थान नहीं छोड़ने से माता पक्ष को हानि पहुंचती है।

ईशान- यह कोण वंश वृद्धि को स्थायित्व प्रदान करता है।

PunjabKesari Importance of directions in vastu shastra

Direction in Vastu Shastra निर्माण में रखें इन बातों का ध्यान
भवन में यदि दिशाओं के अनुसार निर्माण नहीं होता, तो दिशाओं से संबंधित प्रभावों के अनुसार प्रतिकूल फल मिलना संभव है इसलिए निर्माण संबंधी इन बातों का ध्यान रखें।

ईशान कोण बढ़ा हुआ शुभफलदायी है। इस कोण में कोई भी पक्का निर्माण या चबूतरा बनाकर इसे भारी नहीं करें। छत और फर्श का ढलान ईशान की ओर रखें। 

नैऋत्य कोण में किया गया किसी भी तरह का विस्तार दुष्कर्मों को जन्म देता है। इसे ईशान की अपेक्षा ऊंचा रखें।

वायव्य दिशा में व्यापार योग्य सामान का संग्रह करें। विवाह योग्य कन्या का शयनकक्ष बनवाएं।

आग्नेय दिशा रसोई घर के लिए सर्वोत्तम स्थान है। इस कोण में किया गया विस्तार शुभ नहीं होता।

ध्यान रखें कि भवन निर्माण के समय खुला स्थान दक्षिण और पश्चिम की तुलना में उत्तर और पूर्व में अधिक रखें। भवन की दक्षिण और पश्चिम की बाह्य दीवारों की मोटाई उत्तर और पूर्व की दीवारों से अधिक हो तथा फर्श पश्चिम-दक्षिण की ओर ऊंचा तथा ईशान की ओर सबसे नीचा बनाएं।

PunjabKesari kundli

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!