Edited By Niyati Bhandari,Updated: 31 Dec, 2022 03:18 PM
एक दिन महान वायलिन वादक फ्रिट्ज क्रिस्लर एक संगीत समारोह में वायलिन बजा रहे थे। जब कार्यक्रम समाप्त हुआ तो क्रिस्सर के प्रशंसकों ने उन्हें घेर लिया।
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Inspirational Context: एक दिन महान वायलिन वादक फ्रिट्ज क्रिस्लर एक संगीत समारोह में वायलिन बजा रहे थे। जब कार्यक्रम समाप्त हुआ तो क्रिस्सर के प्रशंसकों ने उन्हें घेर लिया। एक बोला, ‘‘इतनी अच्छी वायलिन बजाने के लिए मैं अपनी पूरी जिंदगी लगा सकता हूं।’’
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क्रिस्लर बोले, ‘‘भाई, मैं तो अपना पूरा जीवन लगा चुका हूं। जब कला के प्रति आप अपना पूरा जीवन समर्पित करते हैं तभी कला का निखार निकल कर सामने आता है।’’
दूसरा बोला, ‘‘सर, सफलता भाग्य का परिणाम है।’’
क्रिस्लर बोले, ‘‘सफलता भाग्य का नहीं बल्कि लगातार अभ्यास का परिणाम है।’’
यह सुनकर तीसरा व्यक्ति बोला, ‘‘सर आप अभ्यास पर इतना फोकस क्यों कर रहे हो?’’
क्रिस्लर बोले, ‘‘अगर मैं एक महीने तक वायलिन बजाने का अभ्यास न करूं तो मेरे वायलिन बजाने में फर्क को श्रोता महसूस कर सकते हैं।’’
अगर मैं एक सप्ताह तक अभ्यास न करूं तो मेरी पत्नी फर्क को बता सकती है और अगर मैं एक दिन अभ्यास न करूं तो मैं खुद फर्क बता सकता हूं।
तीनों व्यक्ति बोले, ‘‘सर क्या अभ्यास के भी कुछ नियम हैं ?’’
क्रिस्लर बोले, ‘‘अभ्यास करते समय व्यक्ति को हमेशा खुशमिजाज और सकारात्मक विचारों से भरा रहना चाहिए।
जब वह सकारात्मक भावों के साथ प्रसन्नता से कला का अभ्यास करेगा तो धुन की आवाज भी दिल को छूने वाली ही बाहर निकलेगी।’’