Lal Bahadur Shastri birthday: भारत के प्रधानमंत्री, जिनका ‘बैंक बैलेंस था 365 रुपए’

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 02 Oct, 2022 01:58 PM

lal bahadur shastri

भारतीय राजनीति में ऐसे नेताओं की कमी नहीं, जिन्हें भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल तक जाना पड़ा, लेकिन इसी देश का एक ऐसा प्रधानमंत्री भी हुआ, जिसने ईमानदारी की मिसाल कायम की। पंडित जवाहर लाल नेहरू के

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118th birth anniversary of Lal Bahadur Shastri: भारतीय राजनीति में ऐसे नेताओं की कमी नहीं, जिन्हें भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल तक जाना पड़ा, लेकिन इसी देश का एक ऐसा प्रधानमंत्री भी हुआ, जिसने ईमानदारी की मिसाल कायम की। पंडित जवाहर लाल नेहरू के निधन के बाद प्रधानमंत्री बने लाल बहादुर शास्त्री की ईमानदारी के किस्सों में एक किस्सा यह भी दर्ज है कि शास्त्री जी के बेटे ने उनके प्रधानमंत्री रहते एक कार खरीदने की जिद की। कार की कीमत तब 12,000 रुपए थी परंतु शास्त्री जी के पास मात्र 7,000 रुपए ही थे। 

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उन्होंने पंजाब नैशनल बैंक से 5,000 रुपए इस वायदे के साथ कर्ज लिए कि एकमुश्त लौटा देंगे। यह अलग बात है कि कर्जा चुकाने के पहले ही उनका निधन हो गया। आज के राजनीतिज्ञों और नई पीढ़ी के लोगों को यह जान कर आश्चर्य ही होगा कि 12 हजार रुपए की एक कार खरीदने के लिए इस देश के प्रधानमंत्री को बैंक से लोन लेने तक की नौबत आई। 

शास्त्री जी की ईमानदारी और सादगी के और भी कई किस्से हैं। प्रधानमंत्री रहते एक बार उनके बेटे सुनील शास्त्री ने सरकारी वाहन का निजी इस्तेमाल किया। इस बात की जानकारी शास्त्री जी को हुई तो उन्होंने बेटे को साफ-साफ समझा दिया कि सरकारी वाहन प्रधानमंत्री के लिए मिला है, यह उनके परिवार के सदस्यों के इस्तेमाल के लिए नहीं है। इतना ही नहीं, उन्होंने ड्राइवर से लॉग बुक मांग कर देखा और बेटे ने जितने किलोमीटर की यात्रा की थी, उसके पैसे सरकारी खजाने में जमा कराए। 

उनकी ईमानदारी व बेबाकी का एक वाकया और है। स्वतंत्रता संग्राम में वह जेल में थे। निर्धन परिवारों के जो लोग जेल में थे, उनके परिवार का खर्च चलाने के लिए लाला लाजपत राय ने 50 रुपए मासिक सहायता की व्यवस्था की। यह रकम शास्त्री जी की पत्नी को भी जाती थी। पत्नी से पत्राचार में शास्त्री जी ने पूछा कि घर का खर्च उनके जेल के बाद कैसे चल रहा है तो पत्नी ने बताया कि पार्टी से हर महीने उन्हें 50 रुपए मिलते हैं। 40 रुपए में घर का काम चल जाता है। 

तब शास्त्री जी ने लाला लाजपत राय को पत्र लिखा कि मेरे घर का मासिक खर्च 40 रुपए ही है, इसलिए इतनी ही रकम उनकी पत्नी को भेजी जाए। बचे पैसे किसी दूसरे जरूरतमंद को दिए जा सकते हैं।

आज के संदर्भ में लाल बहादुर शास्त्री को याद करना इसलिए आवश्यक है कि जहां उन्होंने 40 रुपए में घर का खर्च चलने के कारण इतने ही रुपए दिए जाने की बात की, वहीं आज तो जनप्रतिनिधियों में वेतन-भत्ते बढ़ाने की होड़-सी लगी है। 

ग्राम सभाओं के मुखिया तक अपने लिए वेतन-भत्ते और कई तरह की सुविधाओं की मांग करने लगे हैं। शास्त्री जी ने जहां बेटे को सरकारी वाहन इस्तेमाल से मना किया, वहां आज के जनप्रतिनिधियों के परिजन ही नहीं, उनके चेले-चपेटे भी धड़ल्ले से सरकारी वाहनों का इस्तेमाल कर रहे हैं। 

आज के हालत समझने के लिए केवल इतना ही बताना काफी है कि एक रिपोर्ट के अनुसार 2019 के लोकसभा चुनाव में चुने गए 542 सांसदों में 475 करोड़पति हैं। इस संपत्ति की घोषणा उन्होंने अपने चुनावी हलफनामे में की है। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों में विजयी 403 विधायकों में 366 करोड़पति हैं यानी 91 प्रतिशत विधायक करोड़पति हैं। पिछली बार की तुलना में इस बार करोड़पति विधायकों की संख्या में 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 2017 के चुनाव में 80 प्रतिशत विधायक करोड़पति थे। शास्त्री जी के निधन के बाद जब उनकी बैंक पासबुक लोगों ने देखी तो सभी दंग रह गए। उनके खाते में मात्र 365 रुपए 35 पैसे ही थे। 

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