Magh Gupt Navratri: गुप्त इच्छाओं को पूरा करने के लिए 9 रातों तक करें ये साधना

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 28 Jan, 2025 06:30 AM

magh gupt navratri

Magh Gupt Navratri 2025: एक वर्ष में चार बार नवरात्रि का पर्व आता है। जिनमें से चैत्र और शारदीय नवरात्रि नवदुर्गा को समर्पित होते हैं। मां की सात्विक पूजा की जाती है। माघ और आषाढ़ माह में आने वाले नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। चारों...

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Magh Gupt Navratri 2025: एक वर्ष में चार बार नवरात्रि का पर्व आता है। जिनमें से चैत्र और शारदीय नवरात्रि नवदुर्गा को समर्पित होते हैं। मां की सात्विक पूजा की जाती है। माघ और आषाढ़ माह में आने वाले नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। चारों नवरात्रि ऋतु परिवर्तन के वक्त ही मनाए जाते हैं। गुप्त नवरात्रि तांत्रिक पूजा से जुड़े हुए हैं, इनमें महाविद्या के 10 स्वरूपों की पूजा गोपनीय रुप से होती है। महाविद्या के दस रूपों का नाम- मां काली, मां तारा, मां त्रिपुर सुंदरी, मां भुवनेश्वरी, मां छिन्नमस्ता, मां त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, मां बगलामुखी, मां मातंगी और मां कमला हैं। इन महाविद्याओं की रात के समय की गई गुप्त पूजा गुप्त इच्छाओं को पूरा करती है।

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Gupt Navratri 2025 Date and Timing: पंचांग के अनुसार, माघ शुक्ल प्रतिपदा तिथि का मंगलमय आरंभ 29 जनवरी की शाम 06 बजकर 5 मिनट पर होगा और समापन 30 जनवरी की शाम 04 बजकर 01 मिनट पर होने वाला है। उदया तिथि को ध्यान में रखते हुए  माघ गुप्त नवरात्र का आरंभ 30 जनवरी को होगा।

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Gupt Navratri puja vidhi: रात के समय इस विधि से करें गुप्त पूजा- मां को लाल सिंदूर और चुनरी चढ़ाकर नारियल, केले, सेब, तिल के लडडू और बताशे का भोग लगाएं। लाल गुलाब के फूलों से मंदिर सजाकर, मां को लाल गुलाब की माला पहनाएं, सरसों के तेल का दीपक लगाकर आसन पर बैठकर इन मंत्रों का जाप करें-

Gupt Navratri Mantra: हर तरह का कल्याण चाहते हैं तो इस मंत्र का जाप करें-
सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुऽते॥

स्वास्थ्य एवं सफलता के लिए-
देहि सौभाग्यं आरोग्यं देहि में परमं सुखम्‌।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषोजहि॥

बाधा मुक्ति एवं धन-पुत्र प्राप्ति के लिए-
सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धन धान्य सुतान्वितः।
मनुष्यों मत्प्रसादेन भवष्यति न संशय॥

तन और मन से सुंदर पत्नी के ‍‍‍लिए-
पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्।
तारिणीं दुर्ग संसारसागस्य कुलोद्‍भवाम्।।

गरीबी दूर करने के लिए-
दुर्गेस्मृता हरसि भतिमशेशजन्तो: स्वस्थैं: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।
दरिद्रयदुखभयहारिणी कात्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता।।

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वैभव प्राप्ति एवं भय मुक्ति के लिए-
ऐश्वर्य यत्प्रसादेन सौभाग्य-आरोग्य सम्पदः।
शत्रु हानि परो मोक्षः स्तुयते सान किं जनै॥

विपत्ति नाशक मंत्र-
शरणागतर्दिनार्त परित्राण पारायणे।
सर्वस्यार्ति हरे देवि नारायणि नमोऽतुते॥

शत्रुओं का नाश करने के लिए-
ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्‍टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्वाम् कीलय बुद्धिम्विनाशाय ह्रीं ॐ स्वाहा।।

सपने में कार्य-सिद्धि के लिए-
दुर्गे देवी नमस्तुभ्यं सर्वकामार्थसाधिके।
मम सिद्धिमसिद्धिं वा स्वप्ने सर्वं प्रदर्शय।।

सर्व विघ्न नाशक मंत्र-
सर्वबाधा प्रशमनं त्रेलोक्यस्यखिलेशवरी।
एवमेय त्वया कार्य मस्माद्वैरि विनाशनम्‌॥

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