Edited By Niyati Bhandari,Updated: 29 Sep, 2023 07:59 AM
कभी मरघट जरूर जाओ रोज न सही, पर कभी-कभी मरघट जरूर जाओ और वहां जलती हुई चिताओं को देखो। वहां ज्यों-ज्यों चिता जलेगी
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कभी मरघट जरूर जाओ
रोज न सही, पर कभी-कभी मरघट जरूर जाओ और वहां जलती हुई चिताओं को देखो। वहां ज्यों-ज्यों चिता जलेगी, तुम्हारी चेतना भी जागती चली जाएगी। दरअसल किसी की जलती हुई चिता तुम्हारे लिए एक चेतावनी है कि आज नहीं तो कल तुम्हारा भी यही हाल होने वाला है। समझ हो तो किसी की भी अर्थी जीवन का अर्थ दे सकती है और समझ न हो तो तरुणसागर जैसे मुनि भी कुछ नहीं कर सकते। जो अर्थी को देखकर जीवन का अर्थ नहीं समझ सकता, वह डोली को देखकर जीवन का क्या अर्थ समझेगा।
कभी पत्नी, बच्चों, नौकर से कोई गलती हो जाती है तो तुम उसे दंड देते हो। कभी खुद तुमसे कोई गलती हो जाए तो खुद को भी तो दंड दो।
खुद को भी दंड दो
जैसे सुबह प्रार्थना न हो और नाश्ता कर लो तो दंड लो-आज मैं दिन में दो बार से ज्यादा अपना मुंह जूठा नहीं करूंगा। क्रोध में किसी को कुछ कह दो तो दंड लो-आज मैं घंटे भर का मौन रखूंगा। मां-बाप या गुरु तुम्हें कब तक दंड देंगे ? आप अपने जज खुद बनिए और अंत:करण की अदालत में खुद को खड़ा कर खुद को दंडित करिए। जो खुद को दंड देगा वह अनर्थ दंड के पाप से स्वत: बच जाएगा। घर तो पशु-पक्षी भी बना लेते हैं, मनुष्य को चाहिए कि वह उस को आदर्श घर बनाए।
घर को आदर्श बनाएं
जिस घर में परिवार के सदस्यों का एक-दूसरे के प्रति प्रेम व सम्मान न हो वह घर तो हो सकता है लेकिन आदर्श घर नहीं। हम परिवार में एक-दूसरे की सिर्फ कमियां न देखें बल्कि उनकी खूबियां भी स्वीकार करें। अपनी-अपनी जिम्मेदारियां खुद समझें।
घर में छोटे-मोटे झगड़े तो होते ही रहते हैं किन्तु बेहतर यही है कि उनको भुलाकर प्यार से मिल-जुल कर रहें और हां, परिवार का हर सदस्य मुखिया न बने बल्कि बुजुर्ग ही मुखिया हो लेकिन इस बात का ध्यान रहे कि मुखिया को हिटलर नहीं होना चाहिए।
भारतीय संस्कृति में जो महत्व गंगा का है वही महत्व जीवन में अहिंसा का है। अहिंसा की गंगा भारत की अस्मिता और प्रतिष्ठा है।
जियो और जीने दो
अहिंसा है तो गंगा है और गंगा है तो भारत चंगा है। जिस दिन देश से अहिंसा खत्म हो जाएगी, समझ लेना गंगा भारत से लुप्त हो जाएगी और गंगा लुप्त हुई तो भारत भिखमंगा हो जाएगा। अहिंसा जगत माता है। अहिंसा परमो धर्म: इसलिए जिओ और जीने दो।