New Year: 1 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है ‘नया साल’

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 02 Jan, 2023 06:56 AM

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1 जनवरी खास है, यह तो हम सभी को पता है, लेकिन यह क्यों खास है, यह कभी सोचने की कोशिश की है ? वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल से शुरू होता है, दीवाली के बाद भी नया साल मनाने की प्रथा है, कुछ जगहों पर लोहड़ी के बाद नया साल माना जाता है।

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Why do we celebrate New Year on 1st Jan: 1 जनवरी खास है, यह तो हम सभी को पता है, लेकिन यह क्यों खास है, यह कभी सोचने की कोशिश की है ? वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल से शुरू होता है, दीवाली के बाद भी नया साल मनाने की प्रथा है, कुछ जगहों पर लोहड़ी के बाद नया साल माना जाता है। यह सब इतना अलग है तो फिर 1 जनवरी को ही पूरी दुनिया में नया साल क्यों माना गया ?

पहले नया साल हर जगह पर अलग-अलग दिन मनाया जाता था। भारत की तरह ही अलग-अलग देश भी इसे अलग दिनों पर मनाना पसंद करते थे, लेकिन फिर रोम के राजा नूमा पोंपिलस ने अपने राज में इस प्रथा में बदलाव किया।

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हालांकि, इसका पूरा श्रेय नूमा को नहीं जाता और काफी कुछ जूलियस सीजर ने भी किया था। उन्हीं के दौरान रोमन कैलेंडर में 1 जनवरी को नया साल माना गया। तो चलिए जानते हैं कि कैसे रोमन कैलेंडर में बदलाव हुआ।

दरअसल, इससे जुड़ी दूसरी कहानी रोमन शासक जूलियस सीजर से जुड़ी हुई है। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि सीजर के दौर में 1 जनवरी को नया साल मनाने की शुरूआत हुई थी। उससे पहले रोमन कैलेंडर मार्च से शुरू होता था और फरवरी या मार्च के महीने में किसी एक दिन 27वां या 28वां दिन जोड़ दिया जाता था। इस कैलेंडर में 365 नहीं, बल्कि 355 दिन माने जाते थे।

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इसकी शुरूआत 45 ईसा पूर्व में हुई। ईसा मसीह का जन्म, उनकी मृत्यु और दोबारा जीवित हो जाने की बात को 1 जनवरी से जोड़ा गया। 25 दिसम्बर को ईसा मसीह का जन्म होने के बाद जैसे-जैसे ईसाई धर्म आगे बढ़ा वैसे-वैसे नया साल 1 जनवरी को मनाने की प्रथा भी शुरू हो गई।

माना जाता है कि जूलियस सीजर के राज के दौरान गिनती को लेकर कुछ गलतियां हो गई थीं और इसलिए नया साल हमेशा बदलता रहता था। इसके बाद तत्कालीन पोप ग्रेगरी ने जूलियन कैलेंडर यानी उस दौर के रोमन कैलेंडर में बदलाव किया और 1 जनवरी को नया साल घोषित किया।

जूलियस सीजर द्वारा बनाया गया कैलेंडर  
अब बात करते हैं जूलियन कैलेंडर की, जिसमें थोड़ा सा बदलाव कर नया कैलेंडर बना था। दरअसल, ये सब कुछ शुरू हुआ था रोम्यूलस से, जिसे रोम का संस्थापक कहा जाता है। वह 8वीं सदी ईसा पूर्व में आए और उसके एक साल बाद ही नूमा पोंपिलस ने सत्ता हासिल की। नूमा ने ही 12 महीने का एक कैलेंडर बनाया, जिसे सबसे पहले मॉर्डन कैलेंडर से जोड़कर देखा जाता है। हालांकि, अलग-अलग सीजन और दिनों के दौरान ये कैलेंडर सिंक्रोनाइज नहीं हो पाता था।

दरअसल, उस दौरान जिन महंतों को कैलेंडर बनाने की जिम्मेदारी दी गई थी, वे हमेशा इसमें कई दिन जोड़ते रहते थे ताकि इलैक्शन डेट्स सही रहें। इसके बाद 46 ईसा पूर्व में जूलियस सीजर के आने के बाद उसने कई महान एस्ट्रॉनोमर्स से सलाह ली और फैसला लिया गया कि मून साइकिल नहीं, बल्कि सन साइकिल को फॉलो किया जाए। इसके बाद साल का कैल्कुलेशन 365 और 1/4 दिन बना। यही कारण है कि हर 4 साल में एक बार एक दिन एड हो जाता है।  सीजर ने उसी साल 67 दिन कैलेंडर में जोड़े ताकि 45 ईसा पूर्व का पहला दिन 1 जनवरी को मनाया जा सके।

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रोमन देवता के सम्मान में चुना गया जनवरी महीना
जनवरी महीने का नाम भी उसी दौरान रोमन देवता जैनस के नाम के आधार पर रखा गया। जैनुआर, फैब्रुआर नामक महीनों के नाम ऐसे ही अलग-अलग रखे गए।

हालांकि, सीजर के बनाए इस कैलेंडर में आगे और भी बदलाव हुए, जैसे क्रिसमस का दिन तय हो गया, लीप ईयर जुड़ गया, हर दिन में जो 11 मिनट का अंतर सीजर के कैलेंडर में आ रहा था, उसे दूर किया गया, लेकिन जो कैलेंडर उस दौर में बना था उसे ही पूरी दुनिया ने स्वीकार किया और उसे ही मॉर्डन कैलेंडर माना गया। यही कारण है कि हर वर्ष नया साल 1 जनवरी को मनाया जाता है।

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