Religious Katha: घोर तपस्या से नहीं बल्कि इस तरह किया जा सकता है भगवान को प्रसन्न

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 05 Mar, 2023 11:09 AM

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महाराष्ट्र के कुछ संत त्रिवेणी से कमंडलों में गंगाजल लिए श्रीरामेश्वर की यात्रा कर रहे थे। रास्ते में उन्होंने देखा कि एक गधा रेतीले

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Religious Context: महाराष्ट्र के कुछ संत त्रिवेणी से कमंडलों में गंगाजल लिए श्रीरामेश्वर की यात्रा कर रहे थे। रास्ते में उन्होंने देखा कि एक गधा रेतीले मैदान में पड़ा हुआ गर्मी के मारे प्यासा तड़प रहा है। साधुओं को उस पर दया आ गई। पर उपाय क्या था ?

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आसपास दूर तक कोई जलाशय न था, जहां से पानी लाकर उसे पिलाते। सिर पर सूरज भयानक रूप से तप रहा था और ऐसे में लंबे समय में पानी की जरूरत सभी को पड़ने वाली थी। कमंडलों में जो गंगाजल था, वह रामेश्वर में भगवान शंकर के अभिषेक के लिए था। कोई भक्त कैसे उसे इस्तेमाल होने दे सकता था। सभी संत इसी असमंजस में वहां खड़े थे। एकाएक संत एकनाथ आगे बढ़े और अपने कमंडल का जल गधे को पिलाने लगे।

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किसी ने कहा, ‘‘यह क्या, श्री रामेश्वर के अभिषेक के लिए लाया जल आप गधे को पिलाने लगे?

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एकनाथ बोले, ‘‘कहां है गधा ? श्री रामेश्वर ही तो यहां मुझसे जल मांग रहे हैं। मैं उनका ही अभिषेक कर रहा हूं।

एकनाथ के इस श्रद्धा और मानवीय भाव को देख सभी दंग रह गए।

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