Sawan Pradosh Vrat: आज सावन के दूसरे प्रदोष व्रत पर बन रहे हैं बेहद शुभ योग, जानें मुहूर्त व महत्व

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 30 Jul, 2023 11:57 AM

sawan pradosh vrat

सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत ही महत्व माना जाता है। सावन के महीने में पड़ने के कारण इसका शुभ फल और भी बढ़ जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल अधिक मास होने के कारण कुल 4 प्रदोष व्रत पड़ रहे हैं।

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Sawan Pradosh Vrat 2023: सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत ही महत्व माना जाता है। सावन के महीने में पड़ने के कारण इसका शुभ फल और भी बढ़ जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल अधिक मास होने के कारण कुल 4 प्रदोष व्रत पड़ रहे हैं। सावन का दूसरा और अधिकमास का पहला रवि प्रदोष व्रत 30 जुलाई के दिन यानी आज पड़ रहा है। रविवार के दिन पड़ने के कारण इसे रवि प्रदोष व्रत भी कहा जाएगा। रवि प्रदेष तिथि पर रवि योग, इंद्र योग और सर्वार्थ सिद्धि योग के अलावा कई और शुभ योग भी बन रहे हैं। आज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। आइए जानते हैं रवि प्रदोष तिथि का महत्व, शुभ मुहूर्त, और शुभ योग-

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Auspicious time of Pradosh fast date प्रदोष व्रत तिथि का शुभ मुहूर्त
सावन अधिकमास प्रदोष व्रत 30 जुलाई 2023 दिन रविवार
त्रयोदशी तिथि का आरंभ - 30 जुलाई, सुबह 10 बजकर 34 मिनट से
त्रयोदशी तिथि का समापन - 31 जुलाई, सुबह 7 बजकर 26 मिनट तक
शिव पूजा मुहूर्त - रात 7 बजकर 14 मिनट से 9 बजकर 19 मिनट तक।
 पूजा के लिए 2 घंटे 6 मिनट का समय मिलेगा।

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Auspicious yoga is being made on the day of Pradosh fast प्रदोष व्रत तिथि के दिन बन रहे शुभ योग
सावन के दूसरे प्रदोष व्रत पर रवि योग, इंद्र योग और सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहे हैं। जिसके कारण इसका महत्व और बढ़ गया है। इस योग में भोलेनाथ की पूजा करने से शुभ फल मिलता है।
सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 6 बजकर 10 मिनट से शुरू होगा और 9 बजकर 2 मिनट तक रहेगा।
रवि योग सुबह 9 बजकर 2 मिनट से अगले दिन सुबह 6 बजकर 11 मिनट तक रहेगा।
इंद्र योग 29 जुलाई को सुबह 9 बजकर 34 मिनट से 30 जुलाई को सुबह 6 बजकर 34 मिनट तक रहेगा।

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रवि प्रदोष व्रत का महत्व Significance of Ravi Pradosh Vrat
रवि प्रदोष व्रत वाले दिन शिवलिंग का अभिषेक करने का महत्व बढ़ जाता है। इस रोज सच्चे मन से उपासना और पूजा करने से मनचाहा फल मिलता है और आरोग्य की प्राप्ति होती है। स्कंद पुराण के अनुसार, प्रदोष तिथि वाले दिन महादेव अपने कैलाश पर्वत में नृत्य करते हैं। सभी देवी-देवता उनकी वंदना करते हैं। प्रदोष व्रत के प्रभाव से कुंडली में नवग्रह की स्थिति मजबूत होती है और हर संकट से निजात मिलती है।

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