Edited By Niyati Bhandari,Updated: 18 Jan, 2023 09:04 AM
2023 वर्ष को अंक ज्योतिष के हिसाब से देखा जाए तो यह वर्ष केतु के प्रभाव का वर्ष है। केतु ग्रह स्वयं एक बड़े बदलाव करने वाले ग्रह के रूप में जाना जाता है।
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नई दिल्ली (स.ह.): 2023 वर्ष को अंक ज्योतिष के हिसाब से देखा जाए तो यह वर्ष केतु के प्रभाव का वर्ष है। केतु ग्रह स्वयं एक बड़े बदलाव करने वाले ग्रह के रूप में जाना जाता है। ज्योतिष आचार्य रेखा कल्पदेव के अनुसार केतु के विषय में कहा गया है कि यह स्थान छुड़वाता है। गोचर में इस समय भारत की कुंडली में केतु छठे भाव में संचार कर रहा है।
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उन्होंने कहा कि भारत की कुंडली में तीसरा भाव विशेष रूप से पीड़ित है। तीसरा भाव उत्तर दिशा इंगित करता है। कर्क राशि भारत की जन्म राशि है और सिंह राशि भारत के हृदयभाव की राशि है। मकर राशि में शनि कर्क राशि को पीड़ा दे रहा था और कुंभ राशि में जाने पर सिंह राशि भारत के हृदय को आघात लगने के योग बना रही है।
कुंभ राशि में कल शनि प्रवेश कर गए हैं और भारत के उत्तरी राज्यों जिनमें हिमाचल और उत्तराखंड मुख्य रूप से आते हैं, उनके लिए घातक ग्रह योग बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि जुलाई 2023 की अवधि और खराब हो सकती है। हम जो उत्तराखंड में भूमि खिसकने की स्थिति देख रहे हैं वह वास्तव में हिमालय की बड़ी परतों के खिसकने के कारण है।
उन्होंने कहा कि ऐसे में भूमि खिसकने की समस्या केवल अकेले जोशीमठ की समस्या नहीं है बल्कि यह पूरे उत्तराखंड व हिमाचल की समस्या है। चार धाम तीर्थ स्थल इसकी चपेट में आ सकते हैं। शनि का गोचर भारत के नक्शे में बड़े बदलाव का संकेत दे रहा है। उन्होंने कहा कि आने वाले ग्रह योग 180 दिन तक भारत के लिए काफी भयावह साबित हो सकते हैं। बड़ी संख्या में जान-माल की हानि और भौगोलिक बदलाव की स्थिति इस समय देखने को मिलेगी। सनातन धर्म के बड़े-बड़े धार्मिक स्थल इसकी चपेट में आ सकते हैं।
17 जनवरी 2023 से लेकर 29 मार्च 2025 तक शनि कुंभ राशि में रहेंगे परन्तु गुरु मेष राशि में गोचर करेंगे तब हालात और खराब होंगे। आर्थिक और भौगोलिक रूप से 2023 का वर्ष अनुकूल नहीं कहा जा सकता है।