Shattila Ekadashi: कल है षटतिला एकादशी, छोटा सा तिल करेगा बड़ी इच्छाएं पूरी

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 05 Feb, 2024 08:03 AM

shattila ekadashi vrat

माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी षटतिला नाम से प्रसिद्ध है। इस बार यह व्रत 6 फरवरी को होगा। इसमें भगवान विष्णु के पूजन का विधान है। व्रत के प्रभाव से जन्म-जन्मान्तरों के

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2024 Shattila Ekadashi Vrat: माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी षटतिला नाम से प्रसिद्ध है। इस बार यह व्रत 6 फरवरी को होगा। इसमें भगवान विष्णु के पूजन का विधान है। व्रत के प्रभाव से जन्म-जन्मान्तरों के पाप मिट जाते हैं तथा अंत में भगवान के परमधाम की प्राप्ति सहज ही हो जाती है। इस दिन 6 प्रकार से तिलों का सेवन किया जाता है, इसी कारण व्रत का नाम भी षटतिला पड़ा है।

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Shattila Ekadashi Mantra : पदम पुराण के अनुसार व्रत में तिलों का जहां अधिक से अधिक प्रयोग किया जाना चाहिए, वहीं तिलों का दान करना अति उत्तम कर्म है। व्रत करने पर प्रात: स्नान आदि के पश्चात श्री कृष्ण मंत्र ‘ओम नमो भगवते वासुदेवाय’ का 108 बार जाप करने से प्रभु प्रसन्न होकर कृपा करते हैं।

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Shattila Ekadashi puja vidhi: कैसे करें तिलों का प्रयोग? षटतिला एकादशी में भगवान विष्णु का पूजन एवं अभिषेक तिलों से करें, तिलों के तेल का दीपक जलाएं, तिल मिश्रित जल से ही स्वयं स्नान करें, रात को चन्द्रमा को तिलों से ही अर्घ्य दें, तिलों के लड्डूओं का प्रसाद भगवान को भोग लगाएं और तिलों से ही हवन यज्ञ करते हुए अग्नि में आहूतियां डालनी चाहिए। ब्राह्मणों को तिल, काली गाय, गर्म वस्त्र, जूते और छाते का दान करना श्रेष्ठ कर्म है। रात को मंदिर में दीपदान करें, हरिनाम संकीर्तन करें, तुलसी पूजन करें। भगवान विष्णु सदा ही एकादशी व्रत करने वाले भक्तों पर अपनी विशेष कृपा करते हैं।

Shattila Ekadashi 2024 Significance: क्या है पुण्य कर्म?
एकादशी व्रत के प्रभाव से जीव के जहां सभी पापों का नाश हो जाता है, वहीं सभी प्रकार की चिंताएं मिट जाती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि एवं खुशहाली आती है, जिस कामना से कोई इस व्रत को करता है, उसकी सभी कामनाएं प्रभु अवश्य ही पूरी करते हैं तथा जीव निरोगी होता है।

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Shattila Ekadashi Importance: क्या कहते हैं विद्वान? सभी का मंगल करने वाला यह एकादशी व्रत करने से जीव को केवल सभी सुखों की प्राप्ति ही नहीं होती बल्कि जीवन में किसी वस्तु का कभी कोई अभाव ही नहीं रहता। भगवान को एकादशी तिथि अति प्रिय है तथा इस व्रत को सच्चे भाव से करने वाले भक्तों पर भगवान कृपा जरुर करते हैं।

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