Edited By Niyati Bhandari,Updated: 25 May, 2023 07:10 AM

हिंदू धर्म में भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र कुमार कार्तिकेय की पूजा का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है। श्री गणेश की तरह
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Skanda Sashti May 2023: हिंदू धर्म में भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र कुमार कार्तिकेय की पूजा का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है। श्री गणेश की तरह भगवान कार्तिकेय की पूजा भी जीवन से जुड़ी सभी बाधाओं को दूर करके सुख, सौभाग्य और सफलता का वरदान दिलाती है। भगवान कार्तिकेय को स्कंद भी कहा जाता है। भगवान कार्तिकेय की पूजा के लिए स्कंद षष्ठी व्रत को बहुत ज्यादा शुभ माना गया है। पंचांग के अनुसार प्रत्येक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि स्कंद षष्ठी कहलाती है। मई महीने में यह पावन तिथि 25 मई 2023 यानी आज पड़ रही है। आइए स्कंद षष्ठी तिथि और इस दिन रखे जाने वाले व्रत के बारे में विस्तार से जानते हैं।

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हिंदू मान्यता के अनुसार प्रत्येक माह के शुक्लपक्ष में पड़ने वाली स्कंद षष्ठी तिथि पर विधि-विधान से भगवान कार्तिकेय के लिए व्रत और पूजन करने पर साधक को मनचाहा फल प्राप्त होता है। मान्यता है कि इसी पावन तिथि पर भगवान कार्तिकेय का जन्म हुआ था। यही कारण है कि लोग इस तिथि पर उनकी विधि-विधान से पूजा करते हैं। भगवान कार्तिकेय जी की पूजा और व्रत उत्तर भारत के मुकाबले दक्षिण भारत में ज्यादा रखा जाता है। दक्षिण भारत में भगवान कार्तिकेय को मुरुगन के नाम से पूजा जाता है। हिंदू मान्यता के अनुसार भगवान मुरुगन देवताओं के सेनापति हैं, जो अपने भक्तों को बड़े से बड़े संकट से पलक झपकते बाहर निकाल लाते हैं

Skanda Shashti Puja Significance स्कंद षष्ठी पूजा महत्व
भगवान कार्तिकेय की पूजा सबसे अधिक दक्षिण भारत में की जाती है। वहां उन्हें भगवान मुरुगन के नाम से पूजा जाता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार भगवान कार्तिकेय देवताओं के सेनापति हैं और संकट में पड़े अपने भक्तों को जल्द सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं। ऐसे में स्कंद षष्ठी के दिन व्रत और पूजा पाठ करने से व्यक्ति को कई प्रकार के दुखों से मुक्ति प्राप्त हो जाती है और जीवन में धन-धान्य और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
Skanda Shashti Puja vidhi स्कंद षष्ठी पूजा विधि
स्कंद षष्ठी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान ध्यान करें और फिर भगवान कार्तिकेय की बालस्वरूप प्रतिमा या तस्वीर शुभ दिशा में स्थापित करें। इसके बाद उन्हें चंदन, धूप, दीप, पुष्प, वस्त्र इत्यादि अर्पित करें। भोग में एक मिष्ठान और पंच फल अवश्य रखें। इसके बाद स्कंद षष्ठी व्रत की कथा सुनें। इस दिन माता कार्तिकेय और भगवान शिव की पूजा अवश्य करें। पूजा के अंत में कार्तिकेय भगवान की आरती करें और प्रसाद को परिवार के सदस्यों में बांट दें।

Mahaupay of worshiping Skanda Shashti स्कंद षष्ठी की पूजा का महाउपाय
हिंदू मान्यता के अनुसार भगवान कार्तिकेय को मोर पंख बहुत पसंद हैं क्योंकि मोर उनकी सवारी है। ऐसे में स्कंद षष्ठी की पूजा में साधक को विशेष रूप से भगवान कार्तिकेय को मोर पंख अर्पित करना चाहिए।
वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड राष्ट्रीय गौरव रत्न से विभूषित
पंडित सुधांशु तिवारी
9005804317
