Srimad Bhagavad Gita: गीता आचरण से जानें कैसे पाएं गुणों पर ‘जीत’

Edited By Updated: 22 Mar, 2022 12:30 PM

srimad bhagavad gita

श्री कृष्ण कहते हैं कि किसी कर्म का कोई कर्ता नहीं होता। कर्म वास्तव में 3 गुणों के बीच परस्पर प्रभाव का परिणाम है- ‘सत’, ‘रज’ और ‘तम’ जो प्रकृति का हिस्सा हैं। अर्जुन को दुखों से मुक्त होने के लिए श्री कृष्ण इन गुणों से

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Srimad Bhagavad Gita: श्री कृष्ण कहते हैं कि किसी कर्म का कोई कर्ता नहीं होता। कर्म वास्तव में 3 गुणों के बीच परस्पर प्रभाव का परिणाम है- ‘सत’, ‘रज’ और ‘तम’ जो प्रकृति का हिस्सा हैं। अर्जुन को दुखों से मुक्त होने के लिए श्री कृष्ण इन गुणों से पार पाने अथवा जीतने की सलाह देते हैं। अर्जुन जानना चाहते हैं कि ‘गुणातीत’ (गुणों से परे) कैसे होते हैं और जब व्यक्ति इस अवस्था को प्राप्त कर लेता है तो वह कैसा होता है?

PunjabKesari geeta

हम पहले ही ‘द्वन्द्व-अतीत’ (ध्रुवों से पार पाना), ‘द्रष्टा’ (गवाह) और ‘समत्व’ गुणों पर चर्चा कर चुके हैं जो गीता में निहित हैं। श्री कृष्ण इंगित करते हैं कि इन तीनों के संयोजन से ‘गुण-अतीत’ का निर्माण होता है।  

श्री कृष्ण के अनुसार एक व्यक्ति जिसने ‘गुणातीत’ की स्थिति प्राप्त कर ली है, वह महसूस करता है कि गुण आपस में बातचीत कर रहे हैं, इसलिए वह केवल एक ‘साक्षी’ बना रहता है। वह न तो किसी विशेष गुण के लिए तरसता है और न ही वह किसी अन्य के विरुद्ध है।

‘गुणातीत’ एक साथ ‘द्वन्द्व-अतीत’ भी है। सुख-दु:ख के ध्रुवों को समझ कर वह दोनों के प्रति तटस्थ रहता है। वह प्रशंसा और आलोचना के प्रति तटस्थ है क्योंकि उसे पता है कि ये तीन गुणों के उत्पाद हैं। इसी तरह, वह मित्रों और शत्रुओं के प्रति तटस्थ है, यह महसूस करते हुए कि हम स्वयं के मित्र हैं और स्वयं के शत्रु भी हैं।

भौतिक दुनिया ध्रुवीय है तथा एक से दूसरी ओर झुकाव स्वाभाविक है। दूसरी ओर यहां-वहां होने वाले ‘पैंडुलम’ को भी एक स्थिर बिंदू की आवश्यकता होती है। भगवान श्री कृष्ण उस स्थिर बिंदू पर पहुंचने का संकेत दे रहे हैं, जहां से हम बिना हिले ध्रुवों का हिस्सा बन सकते हैं।

सोने, पत्थर और मिट्टी को ‘गुणातीत’ समान महत्व देता है। इसका अर्थ है कि वह एक को दूसरी से निम्न नहीं मानता। वह चीजों को वैसे ही महत्व देता है जैसी वे हैं, न कि अन्यों के मूल्यांकन के अनुसार। श्री कृष्ण आगे कहते हैं कि ‘गुणातीत’ वह है जो कर्ता की भावना को त्याग देता है। 

यह तब होता है जब हम अपने अनुभवों के माध्यम से महसूस करते हैं कि चीजें अपने आप होती हैं और कर्ता का उस में शायद ही कोई योगदान है।

PunjabKesari gita


 

Related Story

Trending Topics

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!