श्रीमद्भगवद्गीता: समस्त वैदिक ज्ञान का सार है श्री कृष्ण के उपदेश

Edited By Jyoti,Updated: 13 Jul, 2022 11:24 AM

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Srimad Bhagavad Gita in Hindi: महाभारत के युद्ध के समय जब अर्जुन जी की मन ये सोच कर विचलित हो गया कि युद्ध में दोनों तरफ से वह अपनों को खो रहे हैं तब श्री कृष्ण ने उन्हें युद्ध भूमि यानि कुरुक्षेत्र पर उपदेश दिया। इस उपदेश में उन्होंने अर्जुन को...

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Srimad Bhagavad Gita in Hindi:
महाभारत के युद्ध के समय जब अर्जुन जी की मन ये सोच कर विचलित हो गया कि युद्ध में दोनों तरफ से वह अपनों को खो रहे हैं तब श्री कृष्ण ने उन्हें युद्ध भूमि यानि कुरुक्षेत्र पर उपदेश दिया। इस उपदेश में उन्होंने अर्जुन को मानव के मन की हर स्थिति का कारण बतलाया, इतना ही नहीं उन्होंने अर्जुन को मानव जीवन से जुड़े ऐसे सूत्र बताए जो वर्तमान समय में भी मानव जीवन से संबंध रखते हैं। बता दें श्रीमद्भगवद्गीता में कुछ 18 अध्याय है कि जिनमें विभिन्न श्लोक वर्णन है, जिनके माध्यम से श्री कृष्ण ने अपने सखा अर्जुन को उपदेश दिए थे। इन्हीं से एक श्लोक ऐसा है जिसके अनुसार श्री कृष्ण के उपदेश समस्त वैदिक ज्ञान का सार है। आइए जानते हैं श्लोक व इसका तात्पर्य। 
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श्रीमद्भगवद्गीता
यथारूप
व्याख्याकार :
स्वामी प्रभुपाद
अध्याय 1
साक्षात स्पष्ट ज्ञान का उदाहरण भगवदगीता

श्रीमद्भागवत श्लोक-
ये मे मतमिदं नित्यमनुतिष्ठन्ति मानवा:।
श्रद्धावन्तोऽनसूयन्तो मुच्यन्ते तेऽपि कर्मभि:।।

तात्पर्य : श्री भगवान कृष्ण का उपदेश समस्त वैदिक ज्ञान का सार है, अत: किसी अपवाद के बिना यह शाश्वत सत्य है। जिस प्रकार वेद शाश्वत हैं, उसी प्रकार कृष्णभावनामृत का यह सत्य भी शाश्वत है। मनुष्य को चाहिए कि भगवान से ईर्ष्या किए बिना इस आदेश में दृढ़ विश्वास रखें।

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ऐसे अनेक दार्शनिक हैं जो भगवदगीता पर टीका रचते हैं किन्तु कृष्ण में कोई श्रद्धा नहीं रखते। वे कभी भी सकाम कर्मों के बंधन से मुक्त नहीं हो सकते किन्तु एक सामान्य पुरुष भगवान के इन आदेशों  में दृढ़ विश्वास करके कर्म नियम के बंधन से मुक्त हो जाता है, भले ही वह इन आदेशों का ठीक से पालन न कर पाए।  (क्रमश:)
 

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