बुरा समय करना है दूर, सुबह इस विधि से करें सूर्य देव का स्वागत

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 16 Mar, 2023 12:26 PM

surya namaskar

सूर्य नमस्कार भारतीय योग परम्परा का अद्भुत उपहार है। यह विभिन्न आसनों और व्यायाम का समन्वय है, जिससे शरीर के सभी अंगों-उपांगों का पूरा व्यायाम हो जाता

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Surya namaskar: सूर्य नमस्कार भारतीय योग परम्परा का अद्भुत उपहार है। यह विभिन्न आसनों और व्यायाम का समन्वय है, जिससे शरीर के सभी अंगों-उपांगों का पूरा व्यायाम हो जाता है। सूर्य की किरणों से मिलने वाले विटामिन-डी की प्राप्ति होती है। हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि जो प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करते हैं, वे आयु, प्रज्ञा, बल, वीर्य, तेज प्राप्त करते हैं।

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आदित्यस्य नमस्कारन, ये कुर्वन्ति दिनेदिने, आयु: प्रज्ञा बमंवीर्यम, तेजस तेषाञ्ज च जायते।

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सूर्य नमस्कार मन और आत्मा को विकसित करते हुए शारीरिक क्षमता बढ़ाने का भी एक अद्भुत व्यायाम है। जिस तरह सूर्य से सारी कायनात रोशन होती है, चर-अचर में जीवन और उष्मा का संचार होता है उसी तरह सूर्य नमस्कार से व्यक्ति की क्षमताओं, आरोग्य, आकर्षण आदि का विकास होता है, जो मानसिक सुख, समृद्धि के नए द्वार खोलता है। सूर्य नमस्कार एक ऐसी चाबी है जो सीधा-सा गणित सुझाती है। स्वस्थ-तनस्वस्थ मनसुख, शांति, समृद्धि।

सूर्य नमस्कार सूर्य का स्वागत : व्यायाम
सूर्य नमस्कार तन से मन से एवं वाणी से सूर्य का स्वागत है। उसके दो आधुनिक पहलू हैं। पहला सांधिक सूर्य नमस्कार और दूसरा संगीत के साथ सूर्य नमस्कार।

ध्येय: सदा सवितृ-मंडल-मध्यवर्ती नारायण: सरसिजाऽसन  सन्निविष्ट:॥
केयूरवान मकर-कुंडलवान किरीट। हारी हिरण्यम वपुर्धूत शंख-चक्र:॥


अर्थ : सौर मंडल के मध्य में, कमल के आसन पर विराजमान (सूर्य) नारायण, जो बाजूबंद, मकर की आकृति के कुंडल, मुकुट, शंख, चक्र धारण किए हुए तथा स्वर्ण आभायुक्त शरीर वाले हैं, का सदैव ध्यान करते हैं।

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सूर्य नमस्कार
सूर्य नमस्कार 12 स्थितियों से मिल कर बना है। सूर्य नमस्कार के एक पूर्ण चक्र में इन्हीं 12 स्थितियों को क्रम से दो बार दोहराया जाता है। 12 स्थितियों में से प्रत्येक के साथ एक मंत्र जुड़ा है। मंत्र दोहराने का मन पर बड़ा शक्तिशाली और तेज प्रभाव पड़ता है। सुनाई देने वाली अथवा न सुनाई देने वाली ध्वनि-तरंगों के मन पर सूक्ष्म प्रभाव पड़ने के कारण ऐसा होता है। यहां तक कि इस वातावरण का उपयोग आधुनिक विज्ञान भी कर रहा है। उदाहरण के लिए, विश्व के विभिन्न भागों में स्थित कुछ प्रगतिशील अस्पतालों में अनेक मनोचिकित्सक ध्वनि के रूप में अपने रोगियों का लम्बे समय तक सुझाव या अन्य व्यक्ति द्वारा दिए सुझावों के अधीन रख कर इलाज करते हैं। इन पाश्चात्य सुझावों तथा योग और अनेक धर्मों में प्रयुक्त मंत्रों में केवल इतना अंतर है कि सुझावों का प्रयोग शारीरिक और मानसिक दशा को सुधारने में किया जाता है, जबकि मंत्रों का इस्तेमाल शुद्ध आध्यात्मिक कारणों से किया जाता है।

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सूर्य के मंत्र
ॐ मित्राय नम:
हित करने वाला मित्र

ॐ रवये नम:
शब्द का उत्पत्ति स्रोत

ॐ सूर्याय नम:
उत्पादक, संचालक

ॐ भानवे नम:
ओज, तेज
 
ॐ खगाय नम:
आकाश में स्थित/ विचरण करने वाला

ॐ पुष्णे नम:
पुष्टि देने वाला

ॐ हिरण्यगर्भाय नम:
बलदायक

ॐ मरीचये नम:
व्याधिहारक/ किरणों से युक्त

ॐ आदित्याय नम:
सूर्य

ॐ सवित्रे नम:
सृष्टि उत्पादन कर्त्ता

ॐ अर्काय नम:
पूजनीय

ॐ भास्कराय नम:
र्कीतदायक 

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