Edited By Niyati Bhandari,Updated: 06 Jan, 2023 12:04 PM
नानी दार्शनिक अफलातून के पास विद्वानों का जमावड़ा लगा रहता था। सभी उनसे कुछ न कुछ ज्ञान पाकर ही लौटते थे। लेकिन अफलातून खुद को कभी ज्ञानी नहीं मानते, क्योंकि उनका मानना था कि इंसान पूर्ण ज्ञानी नहीं हो सकता है
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Unani philosopher aflatoon story: यूनानी दार्शनिक अफलातून के पास विद्वानों का जमावड़ा लगा रहता था। सभी उनसे कुछ न कुछ ज्ञान पाकर ही लौटते थे। लेकिन अफलातून खुद को कभी ज्ञानी नहीं मानते, क्योंकि उनका मानना था कि इंसान पूर्ण ज्ञानी नहीं हो सकता है वह हमेशा सीखता ही रहता है। एक दिन उनके एक मित्र ने उनसे कहा कि आपके पास दुनिया भर के विद्वान ज्ञान लेने आते हैं और वे आपसे बातें करते हुए अपना जीवन धन्य समझते हैं लेकिन आपकी एक बात मुझे आज तक समझ में नहीं आई।
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अफलातून बोले, ‘‘तुम्हें किस बात की शंका है, जाहिर तो करो ताकि पता चले।’’
मित्र ने कहा, ‘‘आप खुद बड़े विद्वान और ज्ञानी हैं, फिर भी मैंने देखा है, आप हर समय दूसरों से शिक्षा लेने को तत्पर रहते हैं। वह भी बड़े उत्साह और उमंग के साथ। इससे भी बड़ी बात है कि आपको उससे भी सीखने में परेशानी नहीं होती है, जो आपके पास कुछ सीखने के लिए आता है। आपको भला सीखने की जरूरत क्या है ? कहीं आप लोगों को खुश करने के लिए तो उनसे सीखने का दिखावा नहीं करते हैं ?’’
अफलातून ने हंसते हुए मित्र को जवाब दिया, ‘‘इंसान अपनी पूरी जिंदगी में कुछ भी पूरा नहीं सीख सकता, हमेशा कुछ न कुछ अधूरा ही रहता है। इसके अलावा हर इंसान के पास कुछ न कुछ ऐसा जरूर होता है जो दूसरों के पास नहीं है। अत: सभी को हर किसी से सीखते रहना चाहिए। यह भी सत्य है कि हर बात और हर अनुभव किताबों में नहीं मिलते, क्योंकि बहुत कुछ ऐसा है जो लिखा नहीं गया है। इसलिए वास्तविकता में रहकर लोगों से लगातार सीखते रहने की आदत डाली जाए तो यह आपको पूर्ण तो फिर भी नहीं बनाती, लेकिन पूर्णता के करीब जरूर ले जाती है। यही जिंदगी का सार है।’’