World Television Day: टेलीविजन दिवस के मौके पर जानें, किस तरह शुरू हुआ इसका सफर

Edited By Prachi Sharma,Updated: 21 Nov, 2023 08:20 AM

world television day

आज टेलीविजन यानी टी.वी. एक आम चीज है जो हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा है लेकिन अगर आज से लगभग 100 साल पहले की बात करें तो शायद ही किसी

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World Television Day: आज टेलीविजन यानी टी.वी. एक आम चीज है जो हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा है लेकिन अगर आज से लगभग 100 साल पहले की बात करें तो शायद ही किसी को इसके बारे में पता भी होगा। वर्ष 1927 में टी.वी. के आविष्कार के 21 वर्ष बाद 1948 में भी अमेरिका में केवल कुछ हजार लोगों के पास ही टी.वी. था लेकिन 1990 के दशक में आते-आते टी.वी. घर-घर में पहुंचने लगा। जब भी टेलीविजन के आविष्कार की बात आती है तो जो सबसे पहला नाम लिया जाता है, वह है जे.एल. बेयर्ड का लेकिन असल में ऐसा नहीं है। टेलीविजन के आविष्कारक कौन हैं, इस बात पर आज भी लोगों के बीच मतभेद हैं।

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Story of credit for invention आविष्कार के श्रेय की कहानी
टेलीविजन के आविष्कार का श्रेय लेने का किस्सा भी दरअसल हवाई जहाज के आविष्कारकों के जैसा ही है, जिसके निर्माण में तो कई लोग लगे थे लेकिन जब यह बनकर तैयार हुआ तो मात्र कुछ लोगों को इसका श्रेय मिल पाया और बाकियों को भुला दिया गया।

Farnsworth considered T.V. father of फार्न्सवर्थ माने गए टी.वी. के जनक
अगर किसी एक को श्रेय देने की बात आए तो यह फिलो टी.फार्न्सवर्थ को मिलना चाहिए। इसका कारण है कि टेलीविजन के पूरे इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम का पेटेंट उनके ही नाम पर है। फार्न्सवर्थ ने अपनी किशोरावस्था के दिनों में ही टेलीविजन पिक्चर्स के ट्रांसमिशन पर काम करना शुरू कर दिया था। वर्ष 1927 में 21 साल की उम्र में उन्होंने एक इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसमीटर और रिसीवर का प्रदर्शन कर दिखाया। इसके द्वारा जो चित्र भेजा गया था, वह केवल एक वर्ग के बीच में खींची गई एक लकीर का था। वर्ष 1930 में फार्न्सवर्थ ने इसके पेटैंट के लिए अप्लाई कर दिया लेकिन उनके साथ ही इस आविष्कार पर किसी और ने भी अपना दावा कर रखा था लेकिन आखिरकार फार्न्सवर्थ  पेटेंट कर्ताओं को यह समझाने में सफल रहे कि इस आविष्कार पर दावा करने वाले लोगों में से कोई भी इसे 1931 से पहले नहीं बना पाया था। साथ ही उन्होंने अपने स्कूल टीचर की मदद से यह भी साबित कर दिया कि इस आविष्कार का आइडिया उन्हें स्कूल के दौरान ही आया था और इस तरह 1935 में टेलीविजन के पूरे सिस्टम का पेटैंट फार्न्सवर्थ के नाम पर दिया गया इसलिए उनको ही टेलीविजन का जनक माना जाता है।

Then J.L. Why the name Baird फिर जे.एल. बेयर्ड का नाम क्यों

अब मन में यह सवाल आ रहा होगा कि जॉन लागी बेयर्ड को टेलीविजन का आविष्कारक क्यों कहा जाता है ? 

असल में स्कॉटलैंड के रहने वाले बेयर्ड ने टेलीविजन ट्रांसमिशन का एक मैकेनिकल सिस्टम तैयार किया था, जिसे उन्होंने 1925 में टेस्ट किया और 1926 में इसे सबके सामने प्रदर्शित भी किया। यह दुनिया की सबसे पहली हिलती-डुलती तस्वीर का ट्रांसमिशन था। इसके अलावा बेयर्ड ने 1925 में पहली बार किसी मनुष्य को लाइव ब्रॉडकास्ट करने का काम किया था। सबसे पहला कलर ट्रांसमिशन, ट्रांस अटलांटिक ट्रांसमिशन और स्टीरियोस्कोपिक ब्रॉडकास्ट भी बेयर्ड के संचालन में ही किया गया था।

यही वजह है कि जे.एल. बेयर्ड को टेलीविजन का आविष्कारक माना जाता है लेकिन असल में टेलीविजन के आविष्कारकों की फेहरिस्त काफी लंबी है। शुरुआत में इस टी.वी. का रेजोल्यूशन 30 का था जोकि कुछ सुधारों के बाद 1939 में 240 तक पहुंच गया था। इसके कुछ ही समय बाद फिलो टी. फार्न्सवर्थ द्वारा निर्मित इलेक्ट्रॉनिक टेलीविजन का निर्माण शुरू हो गया, जिसने बेयर्ड के टेलीविजन को पीछे छोड़ कर चारों तरफ अपनी पैठ बना ली।

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Mechanical TV was made in 1920 में बना था मैकेनिकल टी.वी.
अब तक तुम यह तो समझ ही गए होंगे कि टी.वी. दो तरह का होता है, मैकेनिकल और इलैक्ट्रिकल। जब पहली बार 1920 में मैकेनिकल टी.वी. का आविष्कार किया गया, तब इसमें एक स्पाइरल पैटर्न में बने एक छेद में एक घूमने वाली डिस्क लगी होती थी। इसे बनाने वाले दो लोग थे, स्कॉटलैंड के जे.एल. बेयर्ड और अमेरिकी चार्ल्स  फ्रांसिस जेंकिस, हालांकि इससे भी पहले एक जर्मन आविष्कारक पाल गोटलिब निपको मैकेनिकल टी.वी. बना चुके थे।

The first electrical TV was made in 1927 में बना पहला इलेक्ट्रॉनिक टी.वी.
वर्ष 1927 में दुनिया का पहला इलेक्ट्रॉनिक टेलीविजन बना। इसे बनाने वाले थे फिलो टेलर फार्न्सवर्थ। अपने स्कूल के वक्त से ही वह एक ऐसा सिस्टम बनाने की कोशिश कर रहे थे जो चलती-फिरती इमेजेज को कैप्चर कर उन्हें कोड में बदल सके और बाद में उन्हें रेडियो तरंगों के माध्यम से अलग-अलग डिवाइस में भेज सके।

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Television has changed a lot काफी बदल चुका है टेलीविजन
इलेक्ट्रॉनिक टी.वी. कैथोड-रे टेक्नोलॉजी पर आधारित होता है, जिसमें दो या इससे अधिक एनोड यानी पॉजिटिव टर्मिनल होते हैं। कैथोड नेगेटिव टर्मिनल होता है। इसमें एक वैक्यूम ट्यूब लगी होती है, जिसमें यह इलेक्ट्रॉन रिलीज करता है। यह इलेक्ट्रॉन नेगेटिव चार्जड होते हैं और पॉजिटिव चार्जड एनोड की तरफ आकर्षित होते हैं। ये एनोड ट्यूब के अंतिम सिरे पर, जहां स्क्रीन लगी होती है, वहां पहुंच जाते हैं और स्क्रीन पर तस्वीरें दिखने लगती है।

टेलीविजन स्क्रीन भी मामूली शीशे की नहीं बनी होती, इसे फास्फर से कोटेड किया जाता है। इसी पर इलेक्ट्रॉन इमेज को उभारते हैं। इसके बाद बदलते जमाने के साथ टी.वी. भी पूरी तरह बदल गया और इलेक्ट्रिक टी.वी. की जगह एल.सी.डी. टी.वी. ने ले ली और एल.सी.डी. टी.वी. से भी बेहतर पिक्चर क्वालिटी देने वाली एल.ई.डी. टी.वी. आ गए हैं। अब तो 4-के अल्ट्रा एच.डी. टी.वी. भी आने लगे हैं हालांकि ये अभी महंगे हैं।

 

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