Edited By Niyati Bhandari,Updated: 12 Feb, 2023 08:44 AM

हिंदू शास्त्रों के अनुसार हर साल फाल्गुन माह की षष्ठी तिथि को यशोदा जयंती मनाई जाती है। इस अवसर पर सारे ब्रज मंडल में बहुत ही धूम रहती है।
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Yashoda jayanti 2023: हिंदू शास्त्रों के अनुसार हर साल फाल्गुन माह की षष्ठी तिथि को यशोदा जयंती मनाई जाती है। इस अवसर पर सारे ब्रज मंडल में बहुत ही धूम रहती है। कन्हैया का जन्म चाहे देवकी मां के गर्भ से हुआ था लेकिन उनका पालन- पोषण यशोदा मां ने किया था। तभी को उन्हें देवकी नंदन नहीं बल्कि यशोदा नंदन कहकर पुकारा जाता है। यशोदा मां को ममता की मूर्त माना जाता है। आज के दिन महिलाएं खासतौर पर अपनी संतान की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं और जो महिला संतान सुख से वंचित हैं वो भी व्रत रख कर अपनी गोद भरने की मनोकामना को पूर्ण कर सकती हैं।
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Yashoda Jayanti puja Muhurat यशोदा जयंती मुहूर्त:
यशोदा जयंती का आरंभ 11 फरवरी को सुबह 07 बजकर 38 मिनट पर होगा। 12 फरवरी 2023 को 08 बजकर 15 मिनट पर इसका समापन हो जाएगा। उदया तिथि के अनुसार यशोदा जयंती 12 को मनाई जाएगी।

Yashoda Jayanti Puja vidhi यशोदा जयंती पूजन विधि:
सुबह स्नान करके साफ-सुथरे वस्त्र पहनें और व्रत करने का संकल्प करें।
पूजा के लिए कान्हा को गोद में लिए यशोदा मां की मूर्ति अथवा चित्र सामने रखें। अगर प्रतिमा या तस्वीर नहीं है तो कृष्ण जी के सामने दिया जलाएं।
मैया यशोदा को लाल चुनरी ओढ़ाएं और कुमकुम, फूल, तुलसी, धूप-दीप से पूजा करें।
मां यशोदा और बाल गोपाल को माखन-मिश्री का भोग लगाएं।
पूजा करने के बाद हाथ जोड़ कर अपनी संतान की लम्बी आयु की प्रार्थना करें और गायत्री मंत्र का जाप करें।

Gayatri Mantra: ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।
Yashoda Jayanti Significance यशोदा जयंती का महत्व: आज के दिन अगर कोई महिला व्रत रख कर मां यशोदा की पूजा करती है तो उसकी संतान को कभी भी दुःख नहीं झेलना पड़ता। कहते हैं जो माता सच्चे मन से कान्हा जी की पूजा करती है श्री कृष्ण उसकी संतान की स्वयं रक्षा करते हैं और जिन माता की गोद सूनी होती है उसकी झोली भगवान जल्द ही भर देते हैं। वैष्णव परंपरा के लोग इस दिन को बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं।
