Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 15 May, 2025 07:18 PM

जिसे कभी बस एक सपना और जादू की तरह माना जाता था, अब वह विज्ञान की हकीकत बन चुका है। यूरोप के सबसे बड़े वैज्ञानिक संस्थान CERN (यूरोपियन ऑर्गेनाइजेशन फॉर न्यूक्लियर रिसर्च) के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा कारनामा किया है
नेशलन डेस्क: जिसे कभी बस एक सपना और जादू की तरह माना जाता था, अब वह विज्ञान की हकीकत बन चुका है। यूरोप के सबसे बड़े वैज्ञानिक संस्थान CERN (यूरोपियन ऑर्गेनाइजेशन फॉर न्यूक्लियर रिसर्च) के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा कारनामा किया है जो सदियों से कीमियागरों का सपना रहा है सीसे को सोने में बदलना। यह प्रयोग CERN के लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर (LHC) में ALICE परियोजना के अंतर्गत किया गया। वैज्ञानिकों ने शीशे के नाभिकों को एक-दूसरे से बेहद तेज गति से टकराया और इसी टकराव के दौरान कुछ क्षणों के लिए सोने के नाभिक बनने का प्रमाण पाया।
क्या है ये प्रयोग?
ALICE परियोजना बिग बैंग (महाविस्फोट) के तुरंत बाद की स्थितियों को समझने के लिए चलाया गया वैज्ञानिक प्रयास है। इसमें वैज्ञानिक यह जानने की कोशिश करते हैं कि ब्रह्मांड की शुरुआत में कौन-कौन सी ताकतें सक्रिय थीं और तत्वों का निर्माण कैसे हुआ। इसी प्रयास में जब शीशे के परमाणु नाभिकों को उच्च ऊर्जा से एक-दूसरे के बेहद करीब टकराया गया, तो उनके बीच कुछ ऐसे बदलाव देखने को मिले जिससे सोने के नाभिकों की मौजूदगी सिद्ध हुई। यह प्रक्रिया क्षणिक (कुछ ही समय के लिए) थी, लेकिन वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण। इससे यह साबित हुआ कि अत्यंत उच्च ऊर्जा और सटीक स्थितियों में, एक तत्व को दूसरे में बदला जा सकता है ठीक वैसे ही जैसे सदियों पहले कीमियागर कल्पना करते थे।
सपना जो अब सच हुआ
मध्ययुगीन युग में कीमियागरों का सपना था कि आम धातु जैसे सीसा को सोने में बदला जा सके। यह प्रक्रिया क्राइसोपोइया कहलाती थी। उस समय यह बस एक रहस्य और प्रयोगात्मक कल्पना थी। अब, आधुनिक परमाणु भौतिकी ने यह दिखा दिया है कि विज्ञान के दम पर यह सिद्धांत हकीकत में बदला जा सकता है भले ही क्षणिक रूप में ही सही। कीमियागर (Alchemists) वे लोग होते थे जो प्राचीन और मध्ययुगीन समय में रसायन विज्ञान (केमिस्ट्री) और दर्शन (फिलॉसफी) का मिश्रण करते हुए यह मानते थे कि साधारण धातुओं को सोने में बदला जा सकता है, और वे इस रहस्य की खोज में जीवनभर लगे रहते थे।