अमेरिका बनाएगा 'गोल्डन डोम' डिफेंस सिस्टम, क्या है ये नए हथियारों के दौड़ की शुरुआत?

Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 24 May, 2025 12:36 PM

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अमेरिका अब एक ऐसा डिफेंस सिस्टम बनाने की तैयारी में है, जिसे 'गोल्डन डोम' कहा जा रहा है। ये तकनीक दुश्मन के किसी भी मिसाइल या हवाई हमले को हवा में ही रोकने का दावा करती है। लेकिन सवाल ये है कि क्या ये सिर्फ अमेरिका की सुरक्षा तक सीमित रहेगा या फिर...

इंटरनेशनल डेस्क: अमेरिका अब एक ऐसा डिफेंस सिस्टम बनाने की तैयारी में है, जिसे 'गोल्डन डोम' कहा जा रहा है। ये तकनीक दुश्मन के किसी भी मिसाइल या हवाई हमले को हवा में ही रोकने का दावा करती है। लेकिन सवाल ये है कि क्या ये सिर्फ अमेरिका की सुरक्षा तक सीमित रहेगा या फिर इससे दुनिया में हथियारों की नई दौड़ शुरू हो जाएगी? दुनिया जिस तेज़ी से हथियारों की नई तकनीकों की ओर बढ़ रही है, उसने अमेरिका की सुरक्षा चिंताओं को और गहरा कर दिया है। अंतरिक्ष से गिरने वाले वारहेड, ध्वनि से तेज़ क्रूज़ मिसाइलें और हाइपरसोनिक हमलों के डरावने परिदृश्य ने अमेरिकी नेतृत्व को चेताया है कि मौजूदा मिसाइल रक्षा प्रणाली भविष्य के खतरों का सामना नहीं कर पाएगी। इन खतरों के जवाब में, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ‘गोल्डन डोम’ नाम की एक नई मिसाइल सुरक्षा प्रणाली का खाका पेश किया है। ट्रम्प का दावा है कि यह प्रणाली अंतरिक्ष, समुद्र और ज़मीन से आने वाले सभी प्रकार के मिसाइल हमलों को रोकने में सक्षम होगी चाहे वो रूस, चीन या किसी और शक्ति से आएं।
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कैसा होगा ‘गोल्डन डोम’?

हालांकि अभी यह योजना विचार के स्तर पर है, लेकिन ट्रम्प प्रशासन के मुताबिक इसमें कई परतों वाला सुरक्षा कवच होगा, जिसमें अंतरिक्ष-आधारित सेंसर, इंटरसेप्टर और एडवांस कमांड सिस्टम शामिल होंगे। इसका मकसद मिसाइलों को लॉन्च के पहले चरण में ही पहचानकर उन्हें नष्ट करना होगा।

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क्या है ये नए हथियारों के दौड़ की शुरुआत?

'गोल्डन डोम' जैसी एडवांस्ड डिफेंस तकनीक दरअसल सिर्फ सुरक्षा के लिए नहीं, बल्कि हथियारों की एक नई दौड़ की शुरुआत का संकेत भी है। जब कोई देश इतनी उन्नत मिसाइल रक्षा प्रणाली बनाता है जो दुश्मन के किसी भी हमले को नाकाम कर सकती है, तो इससे बाकी देश अपनी सुरक्षा और हमलावर क्षमता बढ़ाने के लिए नए और ज्यादा ताकतवर हथियार विकसित करने लगते हैं। ऐसे में यह तकनीक दुनिया में सैन्य संतुलन को बदल सकती है और रूस, चीन जैसे देशों को भी जवाबी हथियार बनाने के लिए प्रेरित कर सकती है। यानी एक देश की सुरक्षा तैयारी, दूसरों के लिए खतरे की घंटी बन सकती है।

इजराइल के ‘आयरन डोम’ से तुलना

ट्रम्प की योजना इज़राइल की ‘आयरन डोम’ प्रणाली से प्रेरित है, जो छोटे रॉकेट और ड्रोन हमलों को रोकने में कारगर है। लेकिन अमेरिका के लिए ‘गोल्डन डोम’ को और ज़्यादा शक्तिशाली बनाना होगा क्योंकि उसे हाइपरसोनिक और इंटरकॉन्टिनेंटल मिसाइल जैसे बड़े खतरों से भी निपटना है। 
विशेषज्ञों के मुताबिक, इस तरह की प्रणाली बनाना बेहद जटिल और महंगा होगा। अमेरिकी कांग्रेसनल बजट ऑफिस (CBO) का कहना है कि सिर्फ अंतरिक्ष-आधारित सुरक्षा नेटवर्क पर ही $500 अरब डॉलर से ज़्यादा खर्च हो सकता है। जबकि ट्रम्प इस योजना की कुल लागत करीब $175 अरब डॉलर बताकर इसे कुछ ही सालों में पूरा करने की बात कर चुके हैं।

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रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि ‘गोल्डन डोम’ को बनाना सिर्फ तकनीकी ही नहीं, बल्कि रणनीतिक और कूटनीतिक रूप से भी चुनौतीपूर्ण होगा। इसकी वजह से अमेरिका और उसके विरोधियों के बीच हथियारों की दौड़ और तेज़ हो सकती है। चीन पहले ही चेतावनी दे चुका है कि यह योजना अंतरिक्ष को "युद्ध का मैदान" बना सकती है।
इसके बावजूद, कई रणनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि अमेरिका को अपने विरोधियों की बढ़ती हमलावर क्षमताओं के सामने खुद को बेहतर ढंग से सुरक्षित करना ही होगा। ‘गोल्डन डोम’ पूरी तरह कामयाब हो या न हो, लेकिन यह अमेरिका के विरोधियों की रणनीति को चुनौती देने वाला कदम हो सकता है।

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