पाक नेताओं की शहबाज शरीफ को चेतावनी- 'नोबेल पुरस्कार के लिए ट्रंप का नाम भेजने से पहले सोच लें, वह हमले...'

Edited By Radhika,Updated: 23 Jun, 2025 01:43 PM

he may attack pak leaders warn sharif on trump s nobel prize

पाकिस्तान के कुछ प्रमुख नेताओं और हस्तियों ने ईरान के परमाणु केंद्रों पर अमेरिका के हालिया हमलों के बाद सरकार से 2026 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नाम की सिफारिश करने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा है।

नेशनल डेस्क: पाकिस्तान के कुछ प्रमुख नेताओं और हस्तियों ने ईरान के परमाणु केंद्रों पर अमेरिका के हालिया हमलों के बाद सरकार से 2026 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नाम की सिफारिश करने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा है। पाकिस्तान सरकार ने शुक्रवार (20 जून, 2025) को एक आश्चर्यजनक कदम उठाते हुए घोषणा की थी कि वह हाल ही में भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान शांति प्रयासों के लिए डोनाल्ड ट्रंप के नाम की सिफारिश इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए करेगी।

ईरान पर हमले के बाद बढ़ी आपत्ति

उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार के हस्ताक्षर वाला अनुशंसा-पत्र नॉर्वे में नोबेल शांति पुरस्कार समिति को भेजा जा चुका है। अमेरिका द्वारा ईरान के फोर्डो, इस्फहान और नतांज परमाणु केंद्रों पर हमले किए जाने के बाद इस फैसले को लेकर पाकिस्तान के भीतर ही आपत्तियां उठने लगी हैं। एक समाचार पत्र ने लिखा कि कुछ प्रमुख राजनेताओं ने सरकार से नवीनतम घटनाक्रम के मद्देनजर अपने फैसले की समीक्षा करने की मांग की है। जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (JUI-F) के प्रमुख और वरिष्ठ नेता मौलाना फजलुर रहमान ने सीधे तौर पर मांग की है कि सरकार अपना फैसला वापस ले।

फजलुर रहमान ने उठाए सवाल

मौलाना फजलुर रहमान ने रविवार को मरी में पार्टी की एक बैठक में कार्यकर्ताओं से कहा, "राष्ट्रपति ट्रंप का शांति का दावा झूठा साबित हुआ है; नोबेल पुरस्कार के लिए प्रस्ताव वापस लिया जाना चाहिए।" उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि डोनाल्ड ट्रंप की हाल ही में पाकिस्तान के सेना प्रमुख, फील्ड मार्शल आसिम मुनीर के साथ बैठक और दोनों के साथ में भोजन करने से 'पाकिस्तानी शासकों को इतनी खुशी हुई' कि उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति को नोबेल पुरस्कार के लिए नामित करने की सिफारिश कर दी।

फजल ने सवाल किया, "ट्रंप ने फिलिस्तीन, सीरिया, लेबनान और ईरान पर इजराइल के हमलों का समर्थन किया है। यह शांति का संकेत कैसे हो सकता है?" उन्होंने आगे कहा, "जब अमेरिका के हाथों पर अफगानों और फिलिस्तीनियों का खून लगा हो, तो वह शांति का समर्थक होने का दावा कैसे कर सकता है?"

अन्य नेताओं और हस्तियों ने भी की निंदा

पूर्व सीनेटर मुशाहिद हुसैन ने 'एक्स' (पहले ट्विटर) पर लिखा, "चूंकि ट्रंप अब संभावित शांतिदूत नहीं रह गए हैं, बल्कि एक ऐसे नेता हैं जिन्होंने जानबूझकर एक अवैध युद्ध छेड़ दिया है, इसलिए पाकिस्तान सरकार को अब नोबेल पुरस्कार के लिए उनके नाम की सिफारिश पर पुनर्विचार करना चाहिए, उसे रद्द करना चाहिए!" उन्होंने यह भी कहा कि ट्रंप इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और इजराइल की 'युद्ध लॉबी' के जाल में फंस गए हैं, और अपने राष्ट्रपति पद की सबसे बड़ी भूल कर रहे हैं।

पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के सांसद अली मुहम्मद खान ने भी अपने एक्स अकाउंट पर इस फैसले पर 'पुनर्विचार करें' लिखा। उन्होंने ईरान पर अमेरिकी हमले और गाजा में इजराइल की ओर से की गई हत्याओं के लिए निरंतर अमेरिकी समर्थन होने का दावा किया। एक अलग पोस्ट में, विपक्षी पीटीआई ने अमेरिकी हमलों को बिना उकसावे के किया गया बताते हुए उनकी निंदा की और ईरान की संप्रभुता के लिए पूर्ण समर्थन व्यक्त किया।

अमेरिका में पाकिस्तान की पूर्व राजदूत मलीहा लोधी ने इस कदम को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया और कहा कि यह जनता के विचारों को प्रतिबिंबित नहीं करता है। वरिष्ठ पत्रकार मारियाना बाबर और लेखिका व सामाजिक कार्यकर्ता फातिमा भुट्टो ने भी सोशल मीडिया पर इस सिफारिश को लेकर सवाल उठाए हैं।

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