विशेषज्ञों की सलाह की अनदेखी और अचानक कोविड पाबंदियां हटाना चीन को पड़ा भारी

Edited By Tanuja,Updated: 26 Mar, 2023 02:57 PM

ignoring experts china s sudden zero covid exit cost lives

चीन ने जब पिछले साल दिसंबर में अचानक अपनी “जीरो कोविड” नीति समाप्त की तब देश संक्रमण के मामलों में उछाल की रोकथाम के लिए तैयार नहीं...

बीजिंग: चीन ने जब पिछले साल दिसंबर में अचानक अपनी “जीरो कोविड” नीति समाप्त की तब देश संक्रमण के मामलों में उछाल की रोकथाम के लिए तैयार नहीं था, लिहाजा उसे इसका खामियाजा भुगतना पड़ा। देखते ही देखते अस्पतालों में एंबुलेंस की कतारें लग गईं, दिन भर शवों का अंतिम संस्कार होने लगा और जगह की कमी के कारण लोग गोदामों में अपने प्रियजनों के शवों का निपटान करने लगे। चीन की सरकारी मीडिया ने दावा किया था कि यह फैसला “वैज्ञानिक विश्लेषण और काफी विचार विमर्श” के आधार पर लिया गया है और इसमें किसी भी तरह की जल्दबाजी नहीं की गई।

 

हालांकि एसोसिएटेड प्रेस ने पाया कि वास्तविकता यह है कि चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ने चरणबद्ध तरीके से पाबंदियां हटाने की देश के शीर्ष चिकित्सा विशेषज्ञों की योजना को ठंडे बस्ते में डाले रखा और जब उस योजना पर अमल शुरू किया तब तक काफी देर हो चुकी थी। चीन में सर्दी के दस्तक देने पर अचानक पाबंदियां हटाने का फैसला लिया गया जबकि उस समय वायरस काफी आसानी से फैलता है। ‘एसोसिएटेड प्रेस' को मिलीं आंतरिक रिपोर्ट, दिशानिर्देशों, विभिन्न दस्तावेज और साक्षात्कारों के अनुसार अनेक बुजुर्ग लोगों का टीकाकरण नहीं होने, एंटी वायरल दवाओं की कमी, अस्पतालों में पर्याप्त प्रबंध नहीं होने के कारण लाखों लोगों की मौत हुई, जिनकी जान बचाई जा सकती थी।

 

कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, लॉस एंजेलिस में महामारीविद झांग जुओ फेंग ने कहा, “अगर उनके पास पहले से पाबंदियां हटाने की वास्तविक योजना होती, तो बहुत सी चीजें नहीं होती। अनेक लोगों की जान बचाई जा सकती थी।” चीन ने दो वर्ष तक तो वायरस पर सफलतापूर्वक नियंत्रण रखा, जिसकी वजह से लाखों लोगों की जान बच सकी। उस समय अन्य देश यह तय नहीं कर पा रहे थे कि लॉकडाउन लगाया जाए जा नहीं। लेकिन 2021 के अंत में बेहद संक्रामक ओमीक्रोन स्वरूप के फैलने के बाद चीन के कई शीर्ष स्वास्थ्य विशेषज्ञ और अधिकारी जीरो-कोविड नीति को लेकर चिंतित थे। 2021 के अंत में चीन के नेताओं ने पाबंदियां हटाने के तौर-तरीकों पर चर्चा शुरू कर दी।

 

मार्च 2022 में चिकित्सा विशेषज्ञों ने चीन के मंत्रिमंडल को धीरे-धीरे पाबंदियां हटाने का प्रस्ताव पेश किया, लेकिन उसी महीने शंघाई में प्रकोप फैलने के बाद चर्चाओं पर विराम लग गया। इसके बाद चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने शहर में दोबारा लॉकडाउन लगा दिया। इसके बाद हालात सामान्य होने लगे और पाबंदियां हटाने की योजना ठंडे बस्ते में डाल दी गई। हालांकि दिसंबर 2022 में अचानक कोविड-19 पाबंदियां हटाने का फैसला लिया गया, जो काफी घातक साबित हुआ।

 

एसोसिएटेड प्रेस की पड़ताल में पता चला है कि चीन ने जब पिछले साल दिसंबर में अपनी “जीरो कोविड” नीति समाप्त की तब देश संक्रमण के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए तैयार नहीं था, लिहाजा उसे इसका खामियाजा भुगतना पड़ा। पाबंदियां हटाने के बाद वायरस का प्रकोप तेजी से फैला और एक अनुमान के मुताबिक इस दौरान लाखों लोगों को जान गंवानी पड़ी। हांगकांग विश्वविद्यालय और वैज्ञानिकों के अनुमान के अनुसार यदि टीकाकरण को लेकर बेहतर व्यवस्था की गई होती और एंटीवायरल दवाओं का उचित प्रबंध किया गया होता तो दो से तीन लाख लोगों की जान बचाई जा सकती थी।  

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