अफगानिस्तान में तालिबान शासन को रूस की औपचारिक मान्यता, ऐसा करने वाला पहला देश बना

Edited By Updated: 04 Jul, 2025 06:06 AM

russia formally recognizes taliban rule in afghanistan

रूस ने अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को औपचारिक रूप से मान्यता दे दी है। यह फैसला उस वक्त आया है जब दुनिया के ज्यादातर देशों ने अब तक तालिबान को आधिकारिक सरकार के रूप में मान्यता नहीं दी है। यह रूस की विदेश नीति में एक बड़ा रणनीतिक परिवर्तन माना जा...

काबुल/मॉस्कोः रूस ने अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को औपचारिक रूप से मान्यता दे दी है। यह फैसला उस वक्त आया है जब दुनिया के ज्यादातर देशों ने अब तक तालिबान को आधिकारिक सरकार के रूप में मान्यता नहीं दी है। यह रूस की विदेश नीति में एक बड़ा रणनीतिक परिवर्तन माना जा रहा है।


क्या हुआ बैठक में?

रूसी संघ के राजदूत दिमित्री झिरनोव ने काबुल में तालिबान सरकार के विदेश मंत्री मौलवी अमीर खान मुत्ताकी से मुलाकात की। इस बैठक में झिरनोव ने औपचारिक रूप से यह जानकारी दी कि रूसी सरकार ने अफगानिस्तान के "इस्लामी अमीरात" को मान्यता देने का निर्णय लिया है।

तालिबान के विदेश मंत्रालय ने भी इस बैठक की पुष्टि करते हुए कहा कि: "रूसी राजदूत ने अफगानिस्तान की मौजूदा सरकार को आधिकारिक मान्यता देने के फैसले से अवगत कराया है। यह तालिबान और रूस के बीच बढ़ते संबंधों का प्रतीक है।"


रूस का दृष्टिकोण: तालिबान अब 'सहयोगी'

रूस पिछले कुछ वर्षों से तालिबान के साथ धीरे-धीरे राजनयिक और सुरक्षा सहयोग बढ़ा रहा था, लेकिन अब यह फैसला एक औपचारिक राजनीतिक स्वीकृति है।

  • रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पहले दिए गए बयानों में तालिबान को "आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सहयोगी" बताया था।

  • रूस की चिंता मध्य एशिया में आइसिस (IS-K) और अन्य आतंकी संगठनों की सक्रियता को लेकर रही है, और पुतिन प्रशासन का मानना है कि तालिबान ऐसे समूहों के खिलाफ स्थिरता बनाए रखने में सहायक हो सकता है।


दुनिया का नजरिया क्या है?

  • संयुक्त राष्ट्र (UN) और यूरोपीय संघ (EU) जैसे संगठनों ने अब तक तालिबान को मान्यता नहीं दी है, खासकर महिलाओं की शिक्षा और अधिकारों को लेकर।

  • अमेरिका और उसके सहयोगी देश तालिबान से बातचीत तो कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने मान्यता देने से इनकार किया है जब तक मानवाधिकारों में सुधार नहीं होता।


रूस के इस कदम के क्या मायने हैं?

  1. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तालिबान को मान्यता मिलने का रास्ता खुल सकता है।

  2. रूस अफगानिस्तान में आर्थिक और रणनीतिक हित साधने की कोशिश कर सकता है, खासकर खनिज संसाधनों और सुरक्षा साझेदारी को लेकर।

  3. इससे चीन, ईरान और मध्य एशियाई देशों को भी तालिबान के साथ संबंध बढ़ाने का नैतिक आधार मिल सकता है।

  4. पश्चिमी देशों और रूस के बीच भू-राजनीतिक टकराव और गहराने की संभावना है, क्योंकि यह कदम अमेरिका के रुख के उलट है।


तालिबान की प्रतिक्रिया

तालिबान ने रूस के इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि यह कदम "दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास और सहयोग को और मजबूत करेगा।"

तालिबान सरकार लंबे समय से वैश्विक मान्यता के लिए प्रयास कर रही थी और रूस की स्वीकृति एक बड़ी कूटनीतिक जीत मानी जा रही है।

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