Edited By Radhika,Updated: 04 Jul, 2025 01:57 PM

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में कांवड़ यात्रा से पहले हरिद्वार जाने वाले मार्ग पर ढाबों की चेकिंग को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। आरोप है कि एक ढाबे पर मुस्लिम कर्मचारी की पहचान के लिए उसकी पैंट उतरवाई गई, जिससे धार्मिक तनाव का माहौल बन गया है।...
नेशनल डेस्क: उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में कांवड़ यात्रा से पहले हरिद्वार जाने वाले मार्ग पर ढाबों की चेकिंग को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। आरोप है कि एक ढाबे पर मुस्लिम कर्मचारी की पहचान के लिए उसकी पैंट उतरवाई गई, जिससे धार्मिक तनाव का माहौल बन गया है। यह घटना सोशल मीडिया और मीडिया में तीखी प्रतिक्रिया का विषय बनी हुई है।
नाम बदलकर रखा गया था नौकरी पर
एक मीडिया रिपोर्ट में ये सामने आया कि जिस मुस्लिम कर्मचारी की पहचान की गई, उसका असली नाम तजम्मुल है। ढाबा मालिक ने उसे नाम बदलकर ‘गोपाल’ रखने को कहा था। तजम्मुल अब वह ढाबा छोड़ चुका है और इस मामले में खुद को अपमानित महसूस कर रहा है।

ढाबा मालिक बोले—
विवाद के केंद्र में आए ‘पंडित जी वैष्णो ढाबा’ के नए संचालक सुनील ने इस तरह की चेकिंग पर सख्त आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि अगर कोई जांच करनी है तो वह प्रशासन या पुलिस को करनी चाहिए, आम नागरिक को यह अधिकार किसने दिया? उन्होंने सवाल उठाया कि धर्म के नाम पर किसी को नंगा करना कौन-सी आस्था है?
ढाबा बंद, मालिक को आर्थिक नुकसान
सुनील ने बताया कि विवाद के बाद से ढाबा तीन दिन से बंद पड़ा है, जिससे भारी आर्थिक नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि ढाबे में सभी खाना बनाने वाले कर्मचारी हिंदू थे और अन्य दो स्टाफ — सनव्वुर और गोपाल (तजम्मुल) — सिर्फ बर्तन धोने और गाड़ी रोकने का काम करते थे।

‘कांवड़ रूट पर हिंदू-मुस्लिम मिलजुल कर काम करते हैं’
सुनील का कहना है कि कांवड़ यात्रा के दौरान ढाबों पर हिंदू और मुस्लिम दोनों मिलजुलकर काम करते हैं। भोजन शुद्ध शाकाहारी होता है और किचन में लहसुन-प्याज का भी उपयोग नहीं होता। उन्होंने कहा कि अगर किसी को शक है तो वह खुद किचन में आकर देख सकता है।
स्वामी यशवीर बोले—“ढाबों में आस्था से खिलवाड़ नहीं चलेगा”
इस पूरे अभियान को चला रहे स्वामी यशवीर महाराज का कहना है कि कांवड़ यात्रा के दौरान श्रद्धालु हरिद्वार देवी-देवताओं के दर्शन करने आते हैं, और यह देखा गया है कि सनातन धर्म के नाम से चल रहे कई ढाबे मुस्लिम संचालकों के हैं। उन्होंने दावा किया कि अतीत में खाने को अशुद्ध करने की खबरें भी आई हैं, इसलिए यह चेकिंग जरूरी है।
प्रशासन चुप, लोगों में बढ़ रहा है असंतोष
फिलहाल प्रशासन की तरफ से इस मामले में कोई स्पष्ट बयान नहीं आया है। लेकिन धार्मिक पहचान को लेकर इस तरह की सार्वजनिक जांच ने कानून और संविधान की भावना पर सवाल खड़े कर दिए हैं।