Edited By Shubham Anand,Updated: 27 Dec, 2025 03:57 PM
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक पुरानी तस्वीर साझा कर आरएसएस-भाजपा की संगठनात्मक ताकत पर टिप्पणी की, जिससे सियासी बहस छिड़ गई। विवाद बढ़ने पर उन्होंने स्पष्ट किया कि यह मोदी या आरएसएस की प्रशंसा नहीं बल्कि संगठन की...
नेशनल डेस्क : मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने शनिवार को सोशल मीडिया पर एक तस्वीर साझा कर राजनीतिक गलियारों में नई बहस छेड़ दी है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक पुरानी तस्वीर पोस्ट की है, जिसमें मोदी फर्श पर बैठे हुए नजर आ रहे हैं।
इस तस्वीर को साझा करते हुए दिग्विजय सिंह ने इसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भारतीय जनता पार्टी की संगठनात्मक शक्ति का उदाहरण बताया है। यह पोस्ट ऐसे समय में सामने आई है, जब दिल्ली में कांग्रेस की एक अहम बैठक आयोजित की गई थी। बैठक से ठीक पहले दिग्विजय सिंह द्वारा यह तस्वीर साझा किए जाने को राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
क्या लिखा था पोस्ट में
दिग्विजय सिंह ने अपनी पोस्ट में लिखा कि उन्हें यह तस्वीर Quora वेबसाइट पर मिली है। उन्होंने इसे “बहुत प्रभावशाली” बताते हुए कहा कि किस तरह आरएसएस का एक जमीनी सेवक और जनसंघ-भाजपा का एक सामान्य कार्यकर्ता आगे बढ़ते हुए पहले राज्य का मुख्यमंत्री और फिर देश का प्रधानमंत्री बना। उन्होंने इसे संगठन की ताकत का प्रतीक बताया और अंत में “जय सिया राम” लिखा।
अपने संदेश में दिग्विजय सिंह ने कहा कि किसी भी राजनीतिक दल की असली शक्ति उसके कैडर और मजबूत संगठन से आती है। उनके अनुसार, विचारधारा से अधिक जरूरी संगठनात्मक ढांचा होता है, जो कार्यकर्ताओं को आगे बढ़ने का अवसर देता है।
पहले भी कर चुके हैं विवादित पोस्ट
इससे पहले 26 दिसंबर को दिग्विजय सिंह ने एक और पोस्ट साझा की थी, जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के क्रिसमस के मौके पर चर्च जाने को लेकर टिप्पणी की थी। उस पोस्ट में उन्होंने लिखा था कि प्रधानमंत्री खुद चर्च जाकर क्रिसमस मना रहे हैं, जबकि उनके समर्थकों को ऐसा करने से रोका जाता है। उन्होंने यह भी लिखा था कि “सबका मालिक एक है, हम सब एक हैं।” उस पोस्ट को लेकर भी सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिली थीं।
पोस्ट पर सफाई: ‘मैंने मोदी या आरएसएस की तारीफ नहीं की’
पीएम मोदी की तस्वीर वाले पोस्ट पर उठे विवाद के बाद दिग्विजय सिंह ने सफाई दी। उन्होंने कहा कि उनके बयान को गलत तरीके से समझा गया है। दिग्विजय सिंह ने स्पष्ट किया कि उन्होंने न तो आरएसएस की और न ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा की है।
उन्होंने कहा कि वह संगठन की भूमिका की बात कर रहे थे, न कि किसी व्यक्ति या विचारधारा की। दिग्विजय सिंह ने कहा कि वह आरएसएस और मोदी की नीतियों के घोर विरोधी हैं और यह बात वह पहले भी कई बार स्पष्ट कर चुके हैं। उन्होंने यह भी कहा कि संगठन को मजबूत करने की बात करना गलत नहीं है और जो उन्हें कहना था, वह उन्होंने कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में भी रख दिया है।
कांग्रेस संगठन को लेकर पहले भी दे चुके हैं सलाह
दिग्विजय सिंह इससे पहले कांग्रेस के भीतर संगठनात्मक सुधारों की जरूरत पर भी खुलकर अपनी राय रख चुके हैं। उन्होंने राहुल गांधी को टैग करते हुए एक पोस्ट में कहा था कि सामाजिक और आर्थिक मुद्दों पर राहुल गांधी की समझ मजबूत है, लेकिन अब पार्टी संगठन पर विशेष ध्यान देने का समय आ गया है।
उन्होंने कहा कि जिस तरह चुनाव आयोग में सुधार की आवश्यकता महसूस की जाती है, उसी तरह कांग्रेस में भी संरचनात्मक बदलाव जरूरी हो चुके हैं। दिग्विजय सिंह के अनुसार, राहुल गांधी ने संगठन निर्माण की शुरुआत जरूर की है, लेकिन पार्टी को अधिक व्यावहारिक और विकेंद्रीकृत तरीके से चलाने की जरूरत है। उन्होंने भरोसा जताया कि राहुल गांधी इस दिशा में प्रभावी कदम उठा सकते हैं।
भाजपा की प्रतिक्रिया: सुधांशु त्रिवेदी का पलटवार
दिग्विजय सिंह के बयान पर भारतीय जनता पार्टी की ओर से भी प्रतिक्रिया सामने आई है। भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि भाजपा की कार्यप्रणाली ही ऐसी है, जिसमें जमीन से जुड़ा कोई भी कार्यकर्ता अपनी प्रतिभा और मेहनत के दम पर शीर्ष नेतृत्व तक पहुंच सकता है।
उन्होंने कहा कि दिग्विजय सिंह ने लंबा राजनीतिक जीवन देखा है और अब शायद उन्हें समझ में आ रहा है कि नरेंद्र मोदी एक साधारण पृष्ठभूमि से निकलकर शीर्ष तक पहुंचे नेता हैं। सुधांशु त्रिवेदी ने राहुल गांधी पर भी तंज कसते हुए कहा कि उनकी समझ पर न केवल भारत में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सवाल उठ चुके हैं। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को अमेरिका में विश्वविद्यालयों में बुलाया जाता है, लेकिन उनकी राजनीतिक समझ पर सवाल उठते रहे हैं, ऐसे में इस तुलना पर टिप्पणी करना स्वाभाविक है।