Edited By Parveen Kumar,Updated: 24 Dec, 2025 06:52 PM

बीजेपी नेता नवनीत राणा के हालिया बयान ने देश की राजनीति में एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। उन्होंने कहा कि देश को बचाने के लिए हिंदुओं को चार बच्चे पैदा करने चाहिए। इस दौरान उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से मुस्लिम समुदाय पर निशाना साधते हुए यह आरोप भी...
नेशनल डेस्क: बीजेपी नेता नवनीत राणा के हालिया बयान ने देश की राजनीति में एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। उन्होंने कहा कि देश को बचाने के लिए हिंदुओं को चार बच्चे पैदा करने चाहिए। इस दौरान उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से मुस्लिम समुदाय पर निशाना साधते हुए यह आरोप भी लगाया कि कुछ लोग ज्यादा बच्चे पैदा कर भारत को पाकिस्तान बनाने की साजिश कर रहे हैं।
इस बयान के सामने आते ही राजनीतिक माहौल गरमा गया। विपक्षी दलों ने इसे भड़काऊ और तथ्यों से परे बताया, वहीं आम लोगों के बीच भी इस पर तीखी बहस देखने को मिली। लेकिन शोर-शराबे और आरोप-प्रत्यारोप के बीच एक सवाल सबसे अहम है- वास्तविकता में हिंदू और मुस्लिम में कौन ज्यादा बच्चे पैदा करता है?
हकीकत क्या कहती है?
अगर राजनीति को एक तरफ रखकर केवल तथ्यों की बात की जाए, तो इसका जवाब सरकारी आंकड़ों में छिपा है। भारत में जनसंख्या और प्रजनन दर से जुड़े सबसे भरोसेमंद आंकड़े नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS) से आते हैं। यह सर्वे स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर पॉपुलेशन साइंसेज द्वारा कराया जाता है।
NFHS-6 क्या बताता है?
NFHS-6 (2023-24) के अब तक जारी हुए आंकड़े साफ संकेत देते हैं कि भारत की कुल प्रजनन दर लगातार गिर रही है। देश अब रिप्लेसमेंट लेवल यानी प्रति महिला दो बच्चों की सीमा से नीचे पहुंच चुका है। इसका मतलब है कि औसतन एक महिला अब दो से कम बच्चों को जन्म दे रही है।
हालांकि, यहां एक अहम बात यह भी है कि NFHS-6 की अब तक जारी रिपोर्ट में धर्म के आधार पर प्रजनन दर का विस्तृत आंकड़ा सार्वजनिक नहीं किया गया है। ऐसे में NFHS-6 के नाम पर हिंदू-मुस्लिम तुलना का कोई भी सीधा दावा फिलहाल आधिकारिक रूप से सही नहीं माना जा सकता।
फिर तुलना कैसे की जाए?
धर्म के अनुसार प्रजनन दर की आखिरी स्पष्ट और आधिकारिक तस्वीर NFHS-5 (2019-21) में सामने आई थी। इस सर्वे के मुताबिक उस समय मुस्लिम महिलाओं की कुल प्रजनन दर करीब 2.36 थी, जबकि हिंदू महिलाओं की प्रजनन दर लगभग 1.94 दर्ज की गई थी। यानी मुस्लिम समुदाय की जन्म दर थोड़ी अधिक जरूर थी, लेकिन यह अंतर बहुत बड़ा नहीं था।
तेजी से घट रहा अंतर
जनसंख्या विशेषज्ञों का कहना है कि सबसे अहम बात यह है कि हिंदू और मुस्लिम- दोनों समुदायों में प्रजनन दर तेजी से घट रही है। शिक्षा का प्रसार, शहरीकरण, महिला सशक्तिकरण, बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं और परिवार नियोजन के उपायों ने इस अंतर को लगातार कम किया है। कई राज्यों में तो मुस्लिम समुदाय की प्रजनन दर भी अब रिप्लेसमेंट लेवल के आसपास पहुंच चुकी है। यानी लंबे समय में दोनों समुदायों के बीच जन्म दर का फर्क और भी कम होता जा रहा है।