आम जनता को मिलेगी राहत! खाने के तेल होंगे सस्ते, सरकार ने घटाई कस्टम ड्यूटी

Edited By Pardeep,Updated: 11 Jun, 2025 10:16 PM

edible oil will be cheaper

महंगाई की मार झेल रही आम जनता के लिए एक बड़ी राहत की खबर सामने आई है।

नेशनल डेस्कः महंगाई की मार झेल रही आम जनता के लिए एक बड़ी राहत की खबर सामने आई है। केंद्र सरकार ने कच्चे खाद्य तेलों (Crude Edible Oils) पर बेसिक कस्टम ड्यूटी (Basic Custom Duty) में कटौती का ऐलान किया है, जिससे खाना पकाने के तेल की कीमतों में जल्द ही उल्लेखनीय गिरावट देखी जा सकती है। सरकार के इस फैसले का सीधा फायदा उपभोक्ताओं को मिलने वाला है।


किस खाद्य तेल पर कितना शुल्क घटा?

सरकार ने बुधवार को जारी एक अधिसूचना में बताया कि कच्चे सूरजमुखी तेल, कच्चे सोयाबीन तेल और कच्चे पाम तेल पर सीमा शुल्क को 20% से घटाकर 10% कर दिया गया है। इससे खाद्य तेलों पर कुल आयात शुल्क का अंतर 8.25% से बढ़कर 19.25% हो गया है।

यह नीति बदलाव 31 मार्च 2026 तक प्रभावी रहेगा।


क्या होगा इसका असर?

सरकार का मानना है कि इस कदम से घरेलू बाजार में खाद्य तेलों की खुदरा कीमतों में 10% तक की गिरावट आ सकती है। खाद्य तेल यूनियनों और तेल उद्योग के हितधारकों को निर्देश दिए गए हैं कि वे आयात शुल्क में कमी का पूरा लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचाएं।

इसके दो बड़े फायदे होंगे:

  1. आम जनता को राहत – रसोई का खर्च घटेगा, जिससे महंगाई का बोझ कुछ कम होगा।

  2. महंगाई पर नियंत्रण – खाद्य तेल महंगा होने से CPI (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक) पर असर पड़ता है, जो अब सीमित रह सकता है।


घरेलू रिफाइनिंग सेक्टर को भी मिलेगा बढ़ावा

सरकार के अनुसार, यह कटौती केवल उपभोक्ताओं के लिए नहीं बल्कि घरेलू रिफाइनिंग इंडस्ट्री के लिए भी फायदेमंद है। पाम ऑयल के बजाय अन्य कच्चे तेलों की मांग बढ़ने से स्थानीय रिफाइनिंग सेक्टर को मजबूती मिलेगी। इससे किसानों को भी बेहतर दाम मिल सकते हैं और रोजगार के अवसरों में भी वृद्धि संभव है।


खाद्य तेल क्या होता है?

खाद्य तेल (Edible Oil) वह वनस्पति या पशु आधारित तेल होता है जिसका उपयोग भोजन पकाने के लिए किया जाता है। इसमें सरसों का तेल, सूरजमुखी तेल, सोयाबीन तेल, पाम तेल, और मूंगफली तेल जैसे विभिन्न प्रकार शामिल हैं। इन तेलों का उपयोग तलने, भूनने, या तड़का लगाने जैसे कामों में होता है।


अभी की स्थिति और आगे की संभावना

भारत दुनिया में खाद्य तेल का सबसे बड़ा आयातक है और इसकी घरेलू मांग का करीब 60% हिस्सा आयात से पूरा होता है। कच्चे खाद्य तेलों पर शुल्क में कटौती से देश की तेल कंपनियों की लागत घटेगी, जिससे खुदरा स्तर पर भी दाम कम हो सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले हफ्तों में बाजार में खाद्य तेल के दाम में कमी देखने को मिल सकती है।

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