Bank Alert: इस विदेशी कंपनी के हाथों बिकने जा रहा ये सरकारी बैंक, खाताधारकों के लिए जानें जरुरी बातें

Edited By Updated: 27 Jun, 2025 04:48 PM

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सरकारी बैंकों की बिक्री की दिशा में केंद्र सरकार एक और बड़ा कदम उठाने जा रही है। इस बार बारी आई है IDBI बैंक की, जो जल्दी ही एक प्राइवेट बैंक में तब्दील हो सकता है। सरकार और LIC की इस बैंक में कुल 95% हिस्सेदारी है जिसमें से करीब 60.72% हिस्सेदारी...

नेशनल डेस्क: सरकारी बैंकों की बिक्री की दिशा में केंद्र सरकार एक और बड़ा कदम उठाने जा रही है। इस बार बारी आई है IDBI बैंक की, जो जल्दी ही एक प्राइवेट बैंक में तब्दील हो सकता है। सरकार और LIC की इस बैंक में कुल 95% हिस्सेदारी है जिसमें से करीब 60.72% हिस्सेदारी बेचने की योजना पर काम शुरू हो चुका है। इंटर-मिनिस्टीरियल ग्रुप (IMG) ने शेयर खरीद समझौते (SPA) को अपनी मंजूरी दे दी है, जिससे यह प्रक्रिया अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है। IDBI बैंक को खरीदने की दौड़ में कई दिग्गज कंपनियां हैं। Emirates NBD (दुबई स्थित बैंक) इस रेस में सबसे आगे मानी जा रही है। हालांकि सरकार की ओर से अभी तक किसी एक कंपनी को लेकर पुष्टि नहीं की गई है। इस डील के लिए जनवरी 2024 में इच्छुक कंपनियों ने अपने रुचि पत्र (EOI) दाखिल किए थे।

डील से सरकार को भारी मुनाफा

सरकार को इस विनिवेश प्रक्रिया से 40,000 से 50,000 करोड़ रुपये जुटाने की उम्मीद है। यह पैसा सरकार के राजस्व घाटे को कम करने और अन्य योजनाओं में निवेश करने में काम आ सकता है। इसके अलावा, यह कदम भारत के बैंकिंग सेक्टर को और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने की दिशा में भी देखा जा रहा है।

फाइनेंशियल बोली सितंबर में शुरू होगी

रिपोर्ट के मुताबिक, अब यह मामला कोर ग्रुप ऑफ सेक्रेटरीज़ ऑन डिसइन्वेस्टमेंट के पास भेजा जाएगा। वहां से मंजूरी मिलने के बाद सितंबर के पहले सप्ताह में फाइनेंशियल बिडिंग शुरू हो सकती है। एक गोपनीय रिजर्व प्राइस भी तय किया गया है जिसे संभावित खरीदारों को नहीं बताया जाएगा। इससे पारदर्शिता बनी रहेगी और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा।

खाताधारकों को कैसे होगा असर?

जब कोई बैंक सरकारी से प्राइवेट में तब्दील होता है, तो इसका असर सीधे तौर पर खाताधारकों की सेवाओं पर पड़ सकता है। आइए जानते हैं कैसे:

  • सुविधाएं हो सकती हैं बेहतर:
    निजीकरण के बाद बैंक की सेवा गुणवत्ता में सुधार आ सकता है। टेक्नोलॉजी, ग्राहक सेवा और डिजिटल बैंकिंग में बदलाव देखे जा सकते हैं।

  • ब्याज दरें हो सकती हैं बदलती:
    प्राइवेट बैंक आमतौर पर लोन पर ब्याज दरें अधिक लेते हैं और बचत पर कम ब्याज देते हैं। ऐसे में लोन लेने वाले ग्राहकों के लिए यह महंगा साबित हो सकता है।

  • शुल्क बढ़ने की आशंका:
    ATM निकासी, खाता मेंटेनेंस, SMS अलर्ट जैसी सुविधाओं पर शुल्क बढ़ सकता है।

  • सरकारी सुरक्षा कम हो सकती है:
    फिलहाल सरकारी बैंकों में जमा धन को लेकर ग्राहकों को ज्यादा भरोसा रहता है। प्राइवेट बैंकिंग में यह भरोसा कम हो सकता है, हालांकि RBI के नियम हर बैंक पर लागू होते हैं।

सरकार क्यों बेच रही है IDBI बैंक?

सरकार का उद्देश्य बैंकिंग सेक्टर को अधिक सक्षम और कुशल बनाना है। IDBI बैंक लंबे समय से घाटे में रहा है और इसे मजबूत करने के लिए निजी पूंजी की जरूरत है। निजीकरण से बैंक के कामकाज में प्रोफेशनलिज्म आने की उम्मीद है जिससे यह प्रतिस्पर्धा में बना रह सकेगा।

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