भारत ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भता में लगाई देश ने लंबी छलांग

Edited By Yaspal,Updated: 30 Dec, 2021 05:41 PM

india took a giant leap in self reliance in the defense sector

बीते साल जहां देश ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और आधुनिकीकरण के मोर्चे पर लंबी छलांग लगायी जिससे सेनाओं की मारक क्षमता बढ़ी, वहीं भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए सेनाओं के एकीकरण की दिशा में अनेक महत्वपूर्ण पहल की गयी हालांकि इसके सूत्रधार...

नई दिल्लीः बीते साल जहां देश ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और आधुनिकीकरण के मोर्चे पर लंबी छलांग लगायी जिससे सेनाओं की मारक क्षमता बढ़ी, वहीं भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए सेनाओं के एकीकरण की दिशा में अनेक महत्वपूर्ण पहल की गयी हालांकि इसके सूत्रधार और प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत की दुर्घटन में मृत्यु से सशस्त्र बलों को अत्यधिक गहरा आधात पहुंचा। रक्षा उत्पादों और हथियारों के बड़े आयातक की छवि को पीछे छोड़कर देश ने इस वर्ष रक्षा उत्पादों के विनिर्माण का हब बनने के लिए हर संभव प्रयासों का सूत्रपात करते हुए रक्षा निर्यात को बढ़ाने की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाये और अनेक मुकाम हासिल किये।

विमानवाहक पोत से लेकर , लड़ाकू विमान, हेलिकॉप्टर, पनडुब्बी , मिसाइल , असाल्ट राइफल , तोप, राकेट , अत्याधुनिक राडार प्रणाली,हवाई पट्टी रोधी हथियार और अनेक महत्वपूर्ण रक्षा उत्पाद अब देश में ही बनाये जा रहे हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रूस , अमेरिका और फ्रांस तथा अनेक सहयोगी देशों से दो टूक शब्दों में कहा है कि देश की सुरक्षा के लिए जरूरी हथियार और प्लेटफार्म अब हमारी सरजमीं पर ही बनाये जायेंगे। सरकार ने रक्षा क्षेत्र में आयात में निरंतर कमी लाने की अपनी प्रतिबद्धता पर आगे बढ़ते हुए हजारों रक्षा उत्पादों के आयात पर प्रतिबंध लगाने के लिए इस वर्ष इन उत्पादों की दो सूची जारी की। इनमें शामिल उत्पादों के आयात को चरणबद्ध तरीके से पूरी तरह बंद किया जा रहा है।

पिछले डेढ़ वर्ष से भी अधिक समय से पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ चले आ रहे सैन्य गतिरोध के समाधान की दिशा में सैन्य कमांडरों ने 13 दौर की बातचीत के माध्यम से सीमित सफलता हासिल की जिसके तहत नियंत्रण रेखा पर लगभग आमने-सामने खड़े दोनों देशों के सैनिकों को पीछे हटाया गया जिससे तनाव में थोड़ी कमी आयी। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अलग-अलग समय में अलग-अलग जगह पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच छिटपुट झड़पों का दौर साल भर चलता रहा। अभी भी सेना तमाम प्रतिकूल परिस्थितियों में इस दुर्गम क्षेत्र में मातृ भूमि की रक्षा में मुस्तैदी से तैनात है और उसने दुश्मन की सभी नापाक हरकतों तथा साजिशों का करारा जवाब दिया है। इस क्षेत्र में दोनों सेनाओं के करीब 50-50 हजार सैनिक तैनात हैं।

चीन और पाकिस्तान की ओर से दो मोर्चों पर एक साथ उत्पन्न होने वाले खतरों की आशंकाओं तथा भविष्य की अन्य चुनौतियों से निपटने के लिए शुरू किये गये सेनाओं के एकीकरण के अभियान को भी तेजी से अमलीजामा पहनाने की दिशा में काम किया जा रहा है। अभी तीनों सेनाओं की 17 कमान हैं जिनमें से सेना और वायु सेना की 7-7 तथा नौसेना की 3 कमान हैं। एकीकरण की प्रक्रिया में इन सबको मिलाकर चार या पांच कमान बनाये जाने की कवायद की जा रही है। देश के पहले प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल रावत की असमय तथा अचानक हुई मौत से सेनाओं के एकीकरण के प्रयासों को झटका लगा है, लेकिन इस दिशा में काम रुका नहीं है और यह बदस्तूर जारी है।

जनरल रावत, उनकी पत्नी तथा 12 अन्य सैनिकों की गत आठ दिसम्बर को तमिलनाडु में एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना में मौत हो गयी थी। सैन्य कूटनीति के क्षेत्र में भी प्रयासों को आगे बढ़ाते हुए भारत ने अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया के बाद अब रूस के साथ भी रक्षा तथा विदेश मंत्री स्तर की टू प्लस टू वार्ता कर अपने संबंधों को पुख्ता किया है। समुद्री क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभुत्व से निपटने और हिन्द प्रशांत क्षेत्र को मुक्त, समृद्ध और समावेशी बनाने के लिए उसने अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया के साथ अपने गठजोड़ ‘क्वाड' को और मजबूत बनाने की दिशा में ठोस प्रयास किये हैं। रक्षा क्षेत्र में सुधारों को आगे बढ़ाते हुए सरकार ने अपनी आयुध निर्माणियों के निगमीकरण की अपनी योजना को मूर्त रूप देते हुए इसी वर्ष सात नये सार्वजनिक क्षेत्र के उपकरणों का गठन किया।

रक्षा क्षेत्र में स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने की मुहिम को आगे बढ़ाते हुए हिन्दुस्तान ऐरोनाटिक्स लिमिटेड से 83 स्वदेशी तेजस विमान की खरीद का आडर्र दिया गया। इसी वर्ष नौसेना के लिए छह पारंपरिक पनडुब्बी देश में ही बनाये जाने की परियोजना को भी मंजूरी दी गयी। देश में ही बनाये जा रहे विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत के समुद्री परीक्षण भी गत अगस्त में शुरू हुए और इसे आने वाले वर्ष नौसेना के बेड़े में शामिल किये जाने की उम्मीद है।

सेना के ए के-203 असाल्ट राइफलों को देश में ही बनाये जाने के लिए रूस के साथ मिलकर एक संयुक्त उपक्रम की स्थापना के लिए भी इसी वर्ष समझौता किया गया। इसी वर्ष रूस से एस- 400 हवाई रक्षा मिसाइल प्रणाली की भी आपूर्ति शुरू हो गयी है। इससे देश की मारक क्षमता कई गुना बढ़ जायेगी और विशेष रूप से पाकिस्तान और चीन की दोतरफा कारर्वाई से निपटने में मदद मिलेगी। पांच में से पहली मिसाइल प्रणाली को पंजाब सेक्टर में तैनात किया जा रहा है। वायु सेना की हवाई ताकत बनकर उभरे राफेल की आपूर्ति भी निरंतर चल रही है और अब तक वायु सेना को 30 विमान मिल चुके हैं तथा बाकी छह की आपूर्ति अगले वर्ष अप्रैल तक हो जायेगी। देश ने इस वर्ष अनेक स्वदेशी मिसाइलों और हथियारों के सफल परीक्षण किये।

सेनाओं में लैंगिक समानता की दिशा में भी इस वर्ष एक बड़ा कदम उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद उठाया गया जिसमें राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) के दरवाजे महिलाओं के लिए खोल दिये गये हैं और अगले वर्ष शुरू होने वाले एनडीए के कोर्स में महिला कैडेट पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर प्रशिक्षण लेती नजर आयेंगी। इससे पहले न्यायालय ने महिलाओं के लिए स्थायी कमीशन की बाधाओं को दूर करते हुए सरकार से उन्हें स्थायी कमीशन देने को कहा था।

वर्ष के शुरू में भारत और पाकिस्तान की सेनाओं ने 2003 के संघर्ष विराम समझौते के तहत नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम समझौते की घोषणा की। हालांकि इस पर पूरी तरह अमल नहीं हो सका और समय-समय पर इसका उल्लंघन होता रहा। सीमापार से घुसपैठ में अपेक्षाकृत कमी दर्ज की गयी। नागालैंड के मोन जिले में सेना की कारर्वाई में 14 असैनिकों की मौत के कारण सेना विवादों में घिर गयी। इसी वर्ष नौसेना तथा वायु सेना को नये प्रमुख मिले और जहां एडमिरल आर हरिकुमार ने नौसेना की तो एयर चीफ मार्शल विवेक राम चौधरी ने वायु सेना की कमान संभाली।

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