Edited By Anu Malhotra,Updated: 22 Jun, 2025 07:19 AM

पश्चिम एशिया में हालात एक बार फिर विस्फोटक मोड़ पर पहुंच गए हैं। ईरान और इज़राइल के बीच बढ़ते तनाव के बीच अब अमेरिका ने सीधे तौर पर सैन्य कार्रवाई करते हुए ईरान के तीन अहम परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया है। अमेरिका के मुताबिक, यह हमला पूरी तरह सफल...
नेशनल डेस्क: पश्चिम एशिया में हालात एक बार फिर विस्फोटक मोड़ पर पहुंच गए हैं। ईरान और इज़राइल के बीच बढ़ते तनाव के बीच अब अमेरिका ने सीधे तौर पर सैन्य कार्रवाई करते हुए ईरान के तीन अहम परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया है। अमेरिका के मुताबिक, यह हमला पूरी तरह सफल रहा और सभी अमेरिकी विमान सुरक्षित रूप से वापस लौट चुके हैं।
ट्रंप की बड़ी घोषणा – मिशन पूरा, सब विमान सुरक्षित
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस सैन्य कार्रवाई की पुष्टि करते हुए बताया कि फोर्डो, नतांज और एस्फाहान में मौजूद परमाणु साइट्स पर बी2 बॉम्बर्स से निशाना साधा गया। ट्रंप ने कहा, “हमने तीन प्रमुख परमाणु स्थलों पर सफलतापूर्वक हमला किया है। हमारे सभी विमान अब ईरानी हवाई सीमा से बाहर हैं और सुरक्षित अपने अड्डों की ओर लौट चुके हैं। यह हमारे बहादुर सैनिकों की असाधारण क्षमता का प्रमाण है। अब समय है शांति की ओर बढ़ने का।”
राष्ट्रपति का राष्ट्र के नाम संबोधन
अमेरिका में इस बड़ी कार्रवाई के बाद ट्रंप राष्ट्र को संबोधित करेंगे। व्हाइट हाउस ने सभी प्रमुख टेलीविजन नेटवर्क को अलर्ट कर दिया है। यह संबोधन स्थानीय समय के अनुसार रात 10 बजे और भारतीय समयानुसार सुबह 7:30 बजे प्रसारित होगा। माना जा रहा है कि ट्रंप इस भाषण में अमेरिका की अगली रणनीति और पश्चिम एशिया में संभावित सैन्य गतिविधियों की दिशा स्पष्ट कर सकते हैं।
ईरान की तीखी चेतावनी – अब हर अमेरिकी है निशाने पर
इस हमले के बाद ईरान ने भी कड़ा रुख अपनाया है। ईरानी सरकारी टीवी के मुताबिक, अब क्षेत्र में मौजूद हर अमेरिकी नागरिक और सैन्यकर्मी उनके निशाने पर हैं। ईरान ने चेतावनी दी है कि इस हमले का करारा जवाब दिया जाएगा। अमेरिकी हमले में जिस तरह से बंकर बस्टर बमों का इस्तेमाल किया गया, उससे ईरान की प्रतिक्रिया और अधिक उग्र हो सकती है।
वेस्ट एशिया में हाई अलर्ट
इस हमले के बाद अमेरिका ने अपने सभी पश्चिम एशियाई सैन्य ठिकानों को हाई अलर्ट पर रखा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम एक बड़े क्षेत्रीय संघर्ष की भूमिका भी बन सकता है, जिसमें अन्य देशों की भागीदारी की आशंका को नकारा नहीं जा सकता।