Edited By Tanuja,Updated: 24 Dec, 2025 05:17 PM

पाकिस्तान और ईरान ने एक ही दिन में 3,000 से अधिक अफगन शरणार्थियों को ज़बरन देश से निकाल दिया। तालिबान के अनुसार, शरणार्थियों को दबाव, उत्पीड़न और अमानवीय हालात का सामना करना पड़ रहा है। मानवाधिकार संगठनों की चुप्पी पर भी सवाल उठ रहे हैं।
International Desk: पाकिस्तान और ईरान द्वारा अफ़ग़ान शरणार्थियों के खिलाफ सख़्त रवैये ने एक बार फिर मानवाधिकारों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। तालिबान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सिर्फ़ एक दिन में 3,000 से अधिक अफ़ग़ान शरणार्थियों को इन दोनों देशों से निकालकर अफ़ग़ानिस्तान भेज दिया गया। तालिबान के उप-प्रवक्ता मुल्ला हमदुल्ला फ़ितरत के अनुसार, मंगलवार को 693 परिवारों के कुल 3,610 लोग विभिन्न सीमा चौकियों के ज़रिए अफ़ग़ानिस्तान लौटे। इनमें तोरख़म, इस्लाम क़ला, स्पिन बोल्डक और बह्रामचा जैसे प्रमुख बॉर्डर पॉइंट शामिल हैं।
फ़ितरत ने बताया कि कुछ परिवारों को उनके मूल इलाक़ों तक पहुँचाया गया, जबकि सीमित संख्या में लोगों को मानवीय सहायता दी गई। बावजूद इसके, ज़मीनी हक़ीक़त बेहद चिंताजनक बताई जा रही है। अफ़ग़ान मीडिया और शरणार्थियों के बयानों के मुताबिक, पाकिस्तान में रह रहे अफ़ग़ान नागरिक लगातार पुलिस दबाव, अवैध गिरफ़्तारी और कथित वसूली का सामना कर रहे हैं। कई मामलों में सादे कपड़ों में लोग खुद को पुलिस बताकर शरणार्थियों को पकड़ लेते हैं, जिससे डर और अराजकता का माहौल बना हुआ है।
अफ़ग़ान शरणार्थियों का कहना है कि न तो उन्हें बुनियादी मानवाधिकार मिल रहे हैं और न ही उनकी शिकायत सुनने वाला कोई है। हालात इतने खराब हैं कि कई लोग यह भी नहीं समझ पाते कि उन्हें पकड़ने वाले पुलिस हैं या अपराधी। विश्लेषकों का मानना है कि तालिबान-पाकिस्तान तनाव के बीच शरणार्थियों को दबाव का हथियार बनाया जा रहा है, जबकि अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन इस पूरे संकट पर लगभग चुप हैं।